राजस्थान के जालोर जिले में बीज और उर्वरक विक्रेताओं को नियमों के विरुद्ध जाकर व्यापार करना महंगा पड़ गया. कृषि विभाग ने शिकायत मिलने पर छह उर्वरक एवं बीज विक्रेता फर्मों के लाइसेंस सस्पेंड कर दिए हैं. विभाग ने सांचौर और चितलवाना क्षेत्र में छह उर्वरक और बीज विक्रेताओं के लाइसेंस और अथॉराइजेशन पत्र 15 दिन के लिए सस्पेंड कर दिए हैं. ये विक्रेता नियमों के विपरीत जाकर काम कर रहे थे. इस पर कृषि विभाग के अधिकारियों ने जांच कर 15 दिन के लिए लाइसेंस सस्पेंड करने के साथ-साथ स्पष्टीकरण भी मांगा है.
जालौर जिले में कृषि विभाग में संयुक्त निदेशक डॉ. आरबी सिंह ने बताया कि पिछले कई दिनों से सांचौर और चितलवाना क्षेत्र में किसान बीज एवं उर्वरक विक्रेताओं की शिकायतें मिल रही थीं. शिकायतों की जांच के लिए सहायक निदेशक कृषि (विस्तार) भीनमाल ने जांच की.
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जांच में पाया गया कि कुछ विक्रेता किसानों को बीज या उर्वरक बेचने के बाद बिल नहीं दे रहे. साथ ही बैन कंपनियों के उत्पाद बेचने और पोस मशीन से उर्वरक नहीं बेच रहे हैं. शिकायत मिलने पर कृषि विभाग ने संबंधित फर्मों को नोटिस जारी किया और जवाब मांगा गया. फर्मों ने इस नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया. इसके बाद विभाग ने संबंधित फर्मों पर यह कार्रवाई की है.
डॉ. सिंह ने बताया कि शिकायतों की जांच और नोटिस का जवाब नहीं मिलने पर कार्रवाई हुई है. ये सभी छह फर्म उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985, आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955, कीटनाशी अधिनियम 1968 एवं बीज नियंत्रण आदेश 1983 का उल्लघंन कर अपना व्यापार कर रहे थे.
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उन्होंने बताया कि जांच में अनियमितता पाये जाने पर सांचौर की मैसर्स सायना सीड्स एंड फर्टीलाईजर, मैसर्स राजस्थान एग्रो सेन्टर, मैसर्स गुजरात एग्रो एजेन्सी, मैसर्स जम-जम ट्रेडिंग कंपनी, मैसर्स धनलक्ष्मी कृषि केन्द्र व श्री राम खाद बीज भंडार, सिवाड़ा के उर्वरक, कीटनाशक, बीज लाइसेंस और अथॉराइजेशन पत्रों को 30 मार्च, 2023 से 15 दिन के लिए तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है.
साथ ही इन फर्मों से सात दिन के भीतर स्पष्टीकरण भी मांगा गया है और निर्देश दिये गए हैं कि कोई भी फर्म निलम्बन अवधि में किसी भी प्रकार के उर्वरक, कीटनाशक, बीज का कारोबार नहीं करेंगे. अगर ऐसा करते पाए गए तो उन पर विधिक एवं प्रशासनिक कार्रवाई की जायेगी.
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