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सिंचाई के अभाव और अच्छे बीजों की कमी से घट रहा था कृषि उत्पादन: अमित शाह

सिंचाई के अभाव और अच्छे बीजों की कमी से घट रहा था कृषि उत्पादन: अमित शाह

केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में कृषि उत्पादन इसलिए कम नहीं था क्योंकि हमारे पूर्वज खेती करना नहीं जानते थे, बल्कि सिंचाई सुविधाओं और अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों की कमी के कारण कृषि उत्पादन में कमी देखी जा रही थी.

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जैविक खेती करने की कही बात- अमित शाह जैविक खेती करने की कही बात- अमित शाह

भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था. इसका मुख्य कारण यह था कि भारत की भूमि बहुत उपजाऊ थी. भारत में लगभग हर फसलों की खेती की जा सकती थी. हालांकि अभी भी भारत में कृषि योग्य भूमि बहुत अधिक है, जिसके कारण भारत को आज भी कृषि प्रधान देश कहा जाता है, लेकिन प‍िछले कुछ सालों में भारत खेती में प‍िछड़ा हुआ नजर आ रहा था.इसको लेकर केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बीते द‍िन बड़ी बात कही है. उन्होंने एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में कृषि उत्पादन इसलिए कम नहीं था क्योंकि हमारे पूर्वज खेती करना नहीं जानते थे, बल्कि सिंचाई सुविधाओं और अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों की कमी के कारण कृषि उत्पादन में कमी देखी जा रही थी.

रासायनिक खादों के अत्यधिक इस्तेमाल पर अमित शाह ने कहा कि कई किसानों ने अधिक उत्पादन के लिए रासायनिक के इस्तेमाल को बढ़ा दिया जिस वजह से मिट्टी की गुणवत्ता को काफी नुकसान पहुंचा है.  

पश्च‍िमी देशों को नहीं थी खेती की जानकारी 

पश्चिमी देश की खेती पर प्रकाश डालते हुए अम‍ित शाह ने कहा खेती कैसे की जाती है, वो नहीं जानते थे, जबकि हमारे पूर्वज को खेती-बाड़ी की अच्छी जानकारी थी. ऐसे में भारत में कृषि उत्पादन के कम होने का मुख्य कारण सिंचाई की सुविधा और अच्छी गुणवत्ता वाले बाजों की कमी का होना था. जिस वजह से हमें कृषि उत्पादन में कमी का सामना करना पड़ा. हालांकि, हमने इसका निष्कर्ष निकाला कि यूरिया के इस्तेमाल से हम उत्पादन बढ़ा सकते हैं, लेकिन इस प्रक्रिया में, हमने अपनी मिट्टी की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाया.

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1960 और 1970 में भारत में भोजन की हुई थी कमी

खाद्य सुरक्षा पर बात करते हुए शाह ने कहा कि 1960 और 1970 के दशक में भारत में भोजन की कमी हुआ करती थी. खाद्य सुरक्षा की कमी को दूर करने के लिए अमेरिका जैसे देशों से खाद्यान्न आयात किया जाता था. इस पर काबू पाने के लिए, सरकार ने सामान्य बोरलॉग और एमएस स्वामीनाथन जैसे कृषि वैज्ञानिकों की मदद से और अमेरिका स्थित गैर सरकारी संगठनों के समर्थन से चावल, गेहूं, ज्वार की उच्च उपज और रोग प्रतिरोधी किस्मों को बढ़ावा देकर 1967-68 में हरित क्रांति की शुरुआत की. जिसके बाद भारत ने कृषि क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई.

किसानों को जैविक खेती करने की जरूरत- अमित शाह

गृह मंत्री व सहकार‍िता मंत्री अम‍ित शाह ने कहा क‍ि इतना ही नहीं बाजरा, मक्का आदि, खेती के कार्यों में मशीनीकरण को अपनाना और डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और यूरिया जैसे रासायनिक उर्वरकों का उपयोग और कीट नियंत्रण के लिए सिंथेटिक रसायनों के अनुप्रयोग शुरू किया गया. इन उपायों की बदौलत 1970 के दशक के अंत तक देश में खाद्यान्न उत्पादन में काफी वृद्धि हुई. वहीं दूसरी तरफ रासायनिक खादों के इस्तेमाल से जहां एक तरफ उपज बढ़ रही थी. वहीं दूसरी तरफ मिट्टी की उपजाऊ क्षमता घटती चली गई. ऐसे में इसको रोकने के लिए अमित शाह ने किसानों से जैविक खेती की ओर रुख करने को कहा.