इस खरीफ सीजन के लिए भारत नहीं करेगा यूरिया इंपोर्ट, ये रही इसके पीछे की पूरी कहानी

इस खरीफ सीजन के लिए भारत नहीं करेगा यूरिया इंपोर्ट, ये रही इसके पीछे की पूरी कहानी

अप्रैल-जनवरी चालू वित्त वर्ष के दौरान, यूरिया का आयात 1.4 प्रतिशत बढ़कर 7.31 मिलियन टन हो गया है. जिसकी बिक्री 7.3 प्रतिशत बढ़कर 31.85 मिलियन टन हो गई है. आपको बता दें पिछले साल इसका शुरुआती स्टॉक कम था. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल-जनवरी में यूरिया का घरेलू उत्पादन 12.8 प्रतिशत बढ़कर 23.72 मिलियन टन हो गया.

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इस खरीफ सीजन के लिए भारत नहीं करेगा यूरिया इंपोर्ट, ये रही इसके पीछे की पूरी कहानीइस साल नहीं होगी यूरिया की कमी!

पिछले कई दशकों में पहली बार भारत खरीफ सीजन की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यूरिया का आयात नहीं करेगा. मौजूदा स्टॉक अनुमानित मांग से अधिक है, जिससे सरकार को किसी भी कमी को दूर करने और स्थिर खाद्यान्न उत्पादन सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है. रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने बुधवार को कहा कि आगामी खरीफ बुवाई के मौसम में उर्वरकों की कोई कमी नहीं होगी. घरेलू उत्पादन और 19.43 मिलियन टन (mt) का अनुमानित स्टॉक लगभग 18 मिलियन टन स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा.

मंत्री ने कहा कि लंबी अवधि के आपूर्ति समझौतों के तहत आयात किए जा रहे यूरिया का उपयोग अगले सर्दियों के मौसम में किया जाएगा. लेकिन खरीफ (गर्मी में बोई गई) मांग को पूरा करने के लिए आयात की कोई आवश्यकता नहीं होगी. उन्होंने कहा कि देश को कॉम्प्लेक्स (एन, पी, के पोषक तत्वों का संयोजन) उर्वरकों का आयात करने की भी आवश्यकता नहीं होगी.

आयात में 1.4 फीसदी की बढ़त

अप्रैल-जनवरी चालू वित्त वर्ष के दौरान, यूरिया का आयात 1.4 प्रतिशत बढ़कर 7.31 मिलियन टन हो गया है. जिसकी बिक्री 7.3 प्रतिशत बढ़कर 31.85 मिलियन टन हो गई है. आपको बता दें पिछले साल इसका शुरुआती स्टॉक कम था. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल-जनवरी में यूरिया का घरेलू उत्पादन 12.8 प्रतिशत बढ़कर 23.72 मिलियन टन हो गया. अधिकारियों ने कहा कि इस अवधि के दौरान कुछ बंद यूरिया संयंत्रों को फिर से चालू किया गया है. जिससे घरेलू उपलब्धता बढ़ाने में मदद मिली है. इस वर्ष 1 अप्रैल को अनुमानित प्रारंभिक स्टॉक 55 लाख टन है जबकि अगले छह महीनों के दौरान घरेलू उत्पादन 139.3 लाख टन है. दूसरी ओर, मंडाविया ने कहा कि स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) का कुछ आयात होगा.

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नैनो यूरिया को लेकर मंत्री का बयान

नैनो यूरिया पर, मंत्री ने कहा कि वार्षिक उत्पादन क्षमता 17 करोड़ बोतलों तक पहुंच गई है. नवंबर 2025 तक 44 करोड़ बोतलों को छू लेगी, जो पारंपरिक यूरिया के 20 मिलियन टन के बराबर है. जैसा कि वर्तमान यूरिया उत्पादन क्षमता 26 मिलियन टन से अधिक है. नैनो यूरिया के उपयोग के साथ, 2025 तक पारंपरिक यूरिया के संदर्भ में कुल उपलब्धता 46 मिलियन टन से अधिक हो जाएगी, जो लगभग 36 मिलियन टन की वर्तमान वार्षिक मांग से बहुत अधिक होगी. 

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