देश के किसानों को कई बार कृषि और बागवानी में रुचि होने के बावजूद वो खेती नहीं कर पाते हैं. क्योंकि उनके पास खेती के लिए जमीन नहीं होती है. पर अब रुचि रखने वाले किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. इसी कड़ी में किसानों के लिए बिहार सरकार एक ऐसी योजना शुरू करने जा रही है, जिसके तहत बीज उत्पादन इकाइयों की स्थापना के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड के तहत निजी एजेंसियों को पट्टे पर खेती के लिए जमीन दी जाएगी. इसको लेकर अधिकारियों ने कहा कि नई योजना का उद्देश्य कृषि रोडमैप के जल्द शुरू होने वाले चौथे संस्करण के तहत उच्च कृषि उत्पादन के लिए बीज उत्पादन को बढ़ाना है.
राज्य के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने कहा कि हम विभिन्न खाद्यानों के लिए बीज के उत्पादन के लिए पीपीपी मोड के तहत इच्छुक किसानों को पट्टे पर जमीन दी जाएगी. सरकार उससे उत्पादित बीजों का 50 प्रतिशत पट्टे पर ली गई जमीन के किराए के रूप में किसानों से खरीदेगी.
उन्होंने कहा कि सरकार चौथे कृषि रोडमैप के तहत इस योजना का अनावरण करेगी. साथ ही भंडारण उपकरण खरीदने में भी हम सब्सिडी देंगे ताकि वे आसानी से काम कर सकें. उन्होंने कहा कि योजना के लिए नियम बनाए जा रहे हैं. जिससे राज्य को इस योजना से कृषि में बढ़ावा मिलेगा.
अधिकारियों ने कहा कि राज्य का कृषि विभाग पंजीकृत किसानों को सब्सिडी वाले बीज विकसित करा रही है और किसानों के दरवाजे पर बीज उपलब्ध कराने की पहल से किसानों की तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है. साथ ही अधिकारियों ने कहा कि बीज उत्पादन बजट में पिछले कुछ वर्षों में अलग-अलग खाद्यान्नों के बीजों की उच्च उत्पादकता और खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि देखी गई है.
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अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2022-23 में चावल का उत्पादन लगभग 60-62 लाख मीट्रिक टन होने की उम्मीद जताई जा रही है. हालांकि अंतिम रिकॉर्ड की अभी भी प्रतीक्षा की जा रही है. वहीं अधिकारियों के अनुसार इस वर्ष गेहूं का उत्पादन लगभग 70 लाख मीट्रिक टन होने की उम्मीद है. जोकि 2021-22 की तुलना में लगभग चार लाख टन अधिक है. ऐसी ही उत्पादन में बढ़ोतरी को देखते हुए सरकार ये फैसला ले रही है.
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