आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद मालविंदर सिंह कंग ने किसानों पर खाद के साथ जबरन ‘बूस्टर’ खरीदने का दबाव बनाए जाने के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की है. वह संसद की रसायन और उर्वरक संबंधी स्थायी समिति के सदस्य भी हैं. उन्होंने इस मामले को संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष कीर्ति आजाद के सामने उठाते हुए केंद्र सरकार से देशभर में इस तरह की प्रथाओं को रोकने के लिए ठोस और पारदर्शी राष्ट्रीय नीति बनाने की अपील की है.
कंग ने अपने पत्र में लिखा कि उन्हें यह मामला तब पता चला जब रूपनगर से विधायक दिनेश चड्ढा (आप नेता) ने उन्हें इस तरह की गड़बड़ी की जानकारी दी. विधायक ने बताया कि किसानों को सब्सिडी वाले उर्वरक लेने के साथ-साथ कई बार गैर-जरूरी रासायनिक ‘बूस्टर’ भी खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है. शिकायत मिलने पर पंजाब पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज की और प्रमुख डिस्ट्रीब्यूटर्स को गिरफ्तार किया.
कंग ने कहा, “रूपनगर जैसे प्रमुख कृषि क्षेत्र में किसानों को सब्सिडी वाले डीएपी (Di-Ammonium Phosphate) के साथ गैर जरूरी ‘बूस्टर’ खरीदने को मजबूर किया जा रहा है. 1350 रुपये वाले डीएपी बैग के साथ डिस्ट्रीब्यूटर कैल्शियम नाइट्रेट, पॉलीहेलाइट, बायो-पोटाश, म्यूरीएट ऑफ पोटाश और सिटी कंपोस्ट जैसे उत्पाद जबरन बेच रहे हैं, जबकि इनकी न तो सरकार ने मंजूरी दी है और न ही ये सभी फसलों के लिए जरूरी हैं.”
आप सांसद के अनुसार, “कैल्शियम नाइट्रेट (1100 रुपये), पॉलीहेलाइट (900 रुपये), बायो पोटाश (600 रुपये), एमओपी (1600 रुपये) और सिटी कंपोस्ट (300 रुपये) जैसे उत्पाद किसानों पर थोपे जा रहे हैं. यही नहीं, 256 रुपये वाले यूरिया बैग के साथ भी किसानों को सल्फर (270 रुपये) या नैनो यूरिया (250 रुपये) खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है. यह ‘फोर्स्ड बंडलिंग’ किसानों की जेब पर सीधा वार है और सरकार की सब्सिडी योजना के उद्देश्य को विकृत कर रही है.”
आप सांसद कंग ने कहा कि पंजाब पुलिस द्वारा तत्काल कार्रवाई करते हुए प्रमुख दोषियों की गिरफ्तारी सराहनीय कदम है, लेकिन यह घटना केवल पंजाब तक सीमित नहीं है. यह पूरे देश में फैले एक गहरे संकट का संकेत है, जहां किसानों के हितों की आड़ में कुछ वितरक मनमानी कर रहे हैं.
सांसद ने मांग की कि केंद्र सरकार और रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय एक सख्त राष्ट्रीय फ्रेमवर्क तैयार करे, जिसमें ऐसी जबरन बंडलिंग पर पूर्ण प्रतिबंध हो. साथ ही सभी लेन-देन की डिजिटल निगरानी, किसानों के लिए अलग शिकायत निवारण मंच और दोषियों पर कठोर दंड- जैसे लाइसेंस रद्दीकरण या ब्लैकलिस्टिंग की व्यवस्था की जाए.
उन्होंने कहा कि देशभर में वितरण चैनलों का ऑडिट और पारदर्शी प्रणाली लागू कर ही किसानों के भरोसे को बहाल किया जा सकता है. सरकारी सब्सिडी किसानों के लिए राहत का जरिया है, इसे मुनाफाखोरी का औजार नहीं बनने दिया जा सकता. (एएनआई)
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