मक्का की खेती में खरपतवार नियंत्रण हमेशा किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती रही है. खरपतवार की वजह से उपज घटती है, फसल की गुणवत्ता और किसानों की आय पर भी सीधा प्रभाव पड़ता है. इस समस्या के समाधान के लिए गोदरेज एग्रोवेट ने ISK जापान के सहयोग से आशिताका नामक इनोवेटिव हर्बिसाइड लॉन्च किया है. यह किसानों की फसल सुरक्षा सुनिश्चित करता है.
हमने इस मुद्दे को लेकर गोदरेज एग्रोवेट के सीईओ एनके राजवेलु से सीधी बातचीत की. आशिताका के ज़रिए गोदरेज एग्रोवेट न केवल मक्का किसानों की आय और उत्पादकता में सुधार लाने की दिशा में काम कर रहा है. साथ ही आधुनिक और जलवायु-अनुकूल फसल संरक्षण के नए मानक स्थापित करने की दिशा में भी प्रयासरत है.
1. हाल ही में आईएसके जापान के सहयोग से गोदरेज एग्रोवेट द्वारा लॉन्च किए गए “आशिताका” (Ashitaka) — टोलपाइरलेट-आधारित नवाचारपूर्ण हर्बिसाइड — किस तरह मक्का की खेती में घास और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के प्रतिरोध की समस्या का समाधान करता है, और मौजूदा समाधानों की तुलना में इसके क्या विशिष्ट लाभ हैं?
मक्का की फसल में शुरुआती खरपतवार संक्रमण शुरुआती अवस्था में खरपतवार नियंत्रण नहीं किया जाए, तो 65 प्रतिशत तक की उपज हानि हो सकती है. देर से किया गया नियंत्रण न केवल फसल की उपज और किसानों की आय को प्रभावित करता है, बल्कि मिट्टी में खरपतवार के बीजों की संख्या भी बढ़ा देता है, जिससे अगली फसल पर भी असर पड़ता है.
इसी चुनौती का समाधान करने के लिए, हमने हाल ही में “आशिताका” नामक एक मक्का-विशिष्ट हर्बिसाइड लॉन्च किया है, जिसे आईएसके-जापान के सहयोग से भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप विकसित किया गया है. यह एक अभिनव समाधान है, जो घास और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों दोनों पर प्रभावी नियंत्रण प्रदान करता है.
आशिताका को जब खरपतवार की 2–4 पत्ती अवस्था में छिड़का जाता है, तो यह प्रभावी रूप से खरपतवार नियंत्रण सुनिश्चित करता है. इससे फसल और खरपतवार के बीच प्रतिस्पर्धा कम होती है, जिससे पौधों को सीमित नमी और पोषक तत्वों का बेहतर उपयोग करने में मदद मिलती है, और फूल आने और दाना भरने की महत्वपूर्ण अवस्थाओं में पौधों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है.
इसकी अनुशंसित खुराक — 50 मि.ली. प्रति एकड़, साथ में 400 मि.ली. सर्फैक्टेंट प्रति एकड़, 2–4 पत्ती अवस्था में — शुरुआती चरण में खरपतवार नियंत्रण में मदद करती है और मौसमी उतार-चढ़ाव के दौरान होने वाली खरपतवार-संबंधी उपज हानि को कम करती है.
इससे न केवल फसल की उपज और दाने की गुणवत्ता में स्थिरता आती है, बल्कि बारानी क्षेत्रों में किसानों को आय में उतार-चढ़ाव से सुरक्षा भी मिलती है. भारतीय मक्का किसानों के लिए, आशिताका केवल एक और हर्बिसाइड नहीं, बल्कि एक विश्वसनीय, समयबद्ध समाधान है जो उपज की सुरक्षा और दीर्घकालिक कृषि उत्पादकता को सुनिश्चित करता है.
2. चूंकि गोदरेज एग्रोवेट तमिलनाडु जैसे प्रमुख क्षेत्रों में मक्का किसानों तक अपनी पहुंच बढ़ाने की योजना बना रहा है, ऐसे में आशिताका लॉन्च के बाद गोदरेज एग्रोवेट कौन-से विशेष शैक्षणिक कार्यक्रम या डिजिटल पहलें लागू कर रहा है, ताकि किसान एकीकृत खरपतवार प्रबंधन के सर्वोत्तम तरीकों को अपना सकें?
हमने आशिताका को चरणबद्ध तरीके से लॉन्च किया — शुरुआत तमिलनाडु से की गई, इसके बाद आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में विस्तार किया गया. यह लॉन्च खरीफ सीजन की प्रमुख बुवाई अवधि के अनुरूप था, जब समय पर खरपतवार नियंत्रण सबसे महत्वपूर्ण होता है.
जागरुकता और अपनाने को बढ़ावा देने के लिए, हम डिजिटल माध्यमों और जमीनी पहलों— दोनों को जोड़ रहे हैं.
हमारा डिजीन्यूज़ प्लेटफ़ॉर्म, जो एक ऑडियो-कॉन्फ्रेंसिंग टूल है, एक ही कॉल के ज़रिए किसानों के बड़े समूहों को जोड़ता है और उन्हें फसल प्रबंधन, कीट नियंत्रण और हमारे उत्पादों की जानकारी प्रदान करता है.
वहीं 'हेलो गोदरेज' एक डिजिटल नॉलेज हब के रूप में कार्य करता है, जहां किसान खेती से जुड़े सवालों, कीट प्रबंधन और फसल समाधान पर विशेषज्ञ मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं.
कृषकों के बीच अपनाने को बढ़ावा देने के लिए, गोदरेज एग्रोवेट ने डिजिटल पहलों के साथ-साथ फील्ड-स्तर पर भी व्यापक गतिविधियां शुरू की हैं, जिनमें किसान जागरुकता कार्यक्रम, फील्ड डे और डेमो प्लॉट्स शामिल हैं. इन पहलों के माध्यम से किसान वास्तविक परिस्थितियों में आशिताका के प्रदर्शन को स्वयं देख सकते हैं. इस प्रकार ये सभी प्रयास मिलकर एक संपूर्ण सीखने वाला पारिस्थितिकी तंत्र बनाते हैं, जो किसानों में विश्वास पैदा करता है और उत्पाद को सफलतापूर्वक अपनाने को सुनिश्चित करता है.
3. आगे की दिशा में देखते हुए, आशिताका की शुरुआत गोदरेज एग्रोवेट को उभरते हुए मक्का फसल संरक्षण (crop protection) बाजार में बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने में कैसे मदद करेगी, और अगले वित्त वर्ष में इससे संभावित राजस्व प्रभाव क्या रहेगा?
भारत में मक्का की मांग लगातार बढ़ रही है — इसका कारण है पशु चारे, औद्योगिक उपयोगों और उभरते जैव-ईंधन अवसरों में इसका बढ़ता इस्तेमाल. हालांकि, भारत में मक्का की औसत उत्पादकता अभी भी 3.3 टन प्रति हेक्टेयर है, जो वैश्विक औसत 6.6 टन प्रति हेक्टेयर से काफी कम है.
इस उत्पादकता अंतर को पाटने के लिए प्रभावी फसल संरक्षण समाधान आवश्यक हैं, जो किसानों को शुरुआती खरपतवार संक्रमण जैसी समस्याओं से फसल की रक्षा करने और देश की बढ़ती मक्का मांग को पूरा करने में मदद करें. इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, आशिताका का लॉन्च हमें भारत के तेजी से बढ़ते मक्का फसल संरक्षण बाजार में एक मजबूत और रणनीतिक स्थिति प्रदान करता है.
हमारी चरणबद्ध लॉन्च रणनीति प्रमुख मक्का उत्पादक क्षेत्रों में व्यवस्थित रूप से बाजार पैठ सुनिश्चित करती है. हमारे मजबूत वितरण नेटवर्क — डिस्ट्रीब्यूटरों और रिटेलर्स — के समर्थन से, हमें उम्मीद है कि यह उत्पाद अगले 3–4 वर्षों में लगभग 200 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न करेगा, जिसमें वित्त वर्ष 2025–26 से ही सार्थक योगदान शुरू हो जाएगा.
4. भारत में व्यापक फसल संरक्षण परिदृश्य की बात करें, जिसका मूल्य लगभग 24,500 करोड़ रुपये है और 2030 तक इसके 3.21 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. आने वाले वर्षों में कौन-से प्रमुख रुझान इस क्षेत्र की वृद्धि को आगे बढ़ाएंगे, जैसे जैविक उत्पादों और फफूंदनाशकों का बढ़ता उपयोग?
भारत में सटीक कृषि तकनीकों को अपनाने और सतत खेती के प्रति बढ़ती जागरुकता ने अधिक उन्नत और पर्यावरण-अनुकूल फसल संरक्षण समाधानों की मांग बढ़ा दी है.
हम देख रहे हैं कि बाजार में जैविक और एकीकृत कीट प्रबंधन समाधानों की ओर स्पष्ट झुकाव है. यह बदलाव हमारी अपनी रणनीतियों में किए गए निवेश से भी मेल खाता है, जिसमें रासायनिक और जैविक तकनीकों का संयोजन किया गया है.
अवशेष-मुक्त आईपीएम समाधानों के लिए प्रोविवी के साथ हमारा सहयोग इस प्रवृत्ति का उदाहरण है, विशेष रूप से उच्च-मूल्य और निर्यात-संवेदनशील फसलों में जहां वैश्विक स्थिरता मानक तेजी से महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं. कवकनाशी की मांग में वृद्धि जलवायु-प्रेरित रोग दबाव से बढ़ती चुनौतियों को दर्शाती है, जबकि शाकनाशी खंड का विस्तार जारी है क्योंकि किसान अधिक कुशल खरपतवार प्रबंधन समाधान चाहते हैं.
हमारे Hitweed पोर्टफोलियो की पिछले दो वर्षों में उल्लेखनीय वॉल्यूम ग्रोथ इस मांग का स्पष्ट संकेत है, और आशिताका का आगमन इस तेजी से बढ़ते सेगमेंट में हमारी स्थिति को और मजबूत करता है.
आने वाले वर्षों में, हमारा लक्ष्य है कि पांच वर्षों के भीतर गोदरेज एग्रोवेट भारत की शीर्ष 10 एग्रोकेमिकल कंपनियों में शामिल हो. इसके लिए हम नवाचार, स्थिरता और किसान-केंद्रित समाधानों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हमें विश्वास है कि डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, वैश्विक सहयोग और उन्नत अनुसंधान एवं विकास (R&D) हमारी वृद्धि को गति देंगे, जबकि IPM और जैविक उत्पादों जैसी सतत पहलें कृषि को अधिक लचीला और पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदार बनाएंगी.
5. बदलते फसल संरक्षण बाजार में, गोदरेज एग्रोवेट अगले पांच वर्षों में भारत की शीर्ष 10 एग्रोकेमिकल कंपनियों में शामिल होने के लिए खुद को कैसे स्थापित कर रहा है — विशेषकर धान और बागवानी जैसे नए क्षेत्रों में विस्तार के माध्यम से?
अगले पांच वर्षों में भारत की शीर्ष 10 एग्रोकेमिकल कंपनियों में शामिल होने का हमारा विज़न विविध फसल पोर्टफोलियो विस्तार और रणनीतिक साझेदारियों पर आधारित है. मक्का सेगमेंट में आशिताका की शुरुआत इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो कपास और बागवानी फसलों में हमारी मौजूदा मजबूती को अनाज श्रेणी में विस्तार के साथ पूरक बनाता है.
हमारा साझेदारी मॉडल, विशेष रूप से जापानी कंपनियों जैसे वैश्विक नवप्रवर्तकों के साथ सहयोग, हमें आधुनिक तकनीकों तक पहुंच प्रदान करता है, जबकि भारत में हमारी स्थापित बाजार उपस्थिति इनके स्थानीयकरण और सफल अपनाने को सुनिश्चित करती है.
हमारी इन-हाउस अनुसंधान एवं विकास क्षमताएं और रणनीतिक इन-लाइसेंसिंग मिलकर हमें एक मजबूत उत्पाद पाइपलाइन बनाए रखने में सक्षम बनाती हैं, जो कृषि की नई चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करती है. हम हर वर्ष कम से कम एक नया फसल संरक्षण उत्पाद लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं, ताकि किसानों के लिए नवाचारपूर्ण और भिन्न समाधान लगातार उपलब्ध करा सकें.
इसके साथ, हमारी डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन पहलों में सैटेलाइट डेटा एकीकरण और सटीक कृषि उपकरण शामिल हैं, जो हमें भारत में कृषि प्रौद्योगिकी अपनाने के अग्रणी मोर्चे पर स्थापित करते हैं.
अगले वर्ष के लिए हमारा ध्यान धान कीट नियंत्रण उत्पादों पर केंद्रित है, जो नियामक स्वीकृति के अधीन है. यह हमारी संगठित और चरणबद्ध रणनीति को दर्शाता है — जिसमें नए फसल सेगमेंट में विस्तार बाजार की संभावनाओं और किसानों की वास्तविक जरूरतों पर आधारित है.
6. वैश्विक स्तर पर फसल संरक्षण रसायनों पर बढ़ते नियामक दबाव और स्थिरता (sustainability) की मांगों के बीच, गोदरेज एग्रोवेट भारतीय कृषि के लिए जलवायु-अनुकूल समाधान विकसित करने के लिए किन नवीन अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं में निवेश कर रहा है?
नवाचार हमारी अनुसंधान एवं विकास रणनीति का केंद्र है, और हम रासायनिक नवाचारों के साथ-साथ सतत एवं एकीकृत समाधानों के बीच संतुलन बना रहे हैं. एक ओर, आशिताका हमारी क्षमता को दर्शाता है कि हम वैश्विक स्तर पर विशिष्ट अणुओं को ISK जापान जैसे सहयोगों के माध्यम से भारतीय किसानों तक पहुंचा सकते हैं. दूसरी ओर, हम सक्रिय रूप से ऐसे एकीकृत कीट प्रबंधन ढांचे (IPM frameworks) विकसित कर रहे हैं जो रासायनिक और जैविक तकनीकों का संयोजन करते हैं.
वैश्विक नवप्रवर्तकों के साथ सहयोग हमें इस यात्रा को गति देने में मदद कर रहा है. इससे हम न केवल किसानों के लिए उत्पादकता में सुधार ला पाएंगे, बल्कि जलवायु-अनुकूल और टिकाऊ कृषि पद्धतियों की बढ़ती मांग को भी पूरा कर पाएंगे.
आगे की दिशा में, हम ड्रोन-आधारित अनुप्रयोगों और सैटेलाइट-निर्देशित सटीक कृषि में निवेश कर रहे हैं, जो पारंपरिक फसल संरक्षण और आधुनिक तकनीक के संयोजन को दर्शाता है.
ये पहलें न केवल उत्पाद की प्रभावशीलता बढ़ाती हैं और पर्यावरणीय प्रभाव कम करती हैं, बल्कि व्यापक रूप से भारतीय कृषि को अधिक लचीला और जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूल बनाने के हमारे लक्ष्य का भी समर्थन करती हैं.
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