Advisory for Farmers: पूसा ने सब्ज‍ियों की खेती के ल‍िए जारी की एडवाइजरी, क‍िसान इन बातों का रखें ध्यान  

Advisory for Farmers: पूसा ने सब्ज‍ियों की खेती के ल‍िए जारी की एडवाइजरी, क‍िसान इन बातों का रखें ध्यान  

कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने बताया क‍ि यह मौसम ब्रोकली, फूलगोभी तथा बंदगोभी की पौधशाला तैयार करने के लिए उपयुक्त है. पौधशाला उथली क्यारियों पर ही बनाएं. जिन किसानों की पौधशाला तैयार है वह मौसस को ध्यान में रखते हुए पौध की रोपाई ऊंची मेड़ों पर करें. 

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Advisory for Farmers: पूसा ने सब्ज‍ियों की खेती के ल‍िए जारी की एडवाइजरी, क‍िसान इन बातों का रखें ध्यान  फूलगोभी की पौधशाला के ल‍िए उपयुक्त है यह मौसम (Photo-Kisan Tak).

पूसा के कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने क‍िसानों के ल‍िए नई एडवाइजरी जारी की है. इसमें खासतौर पर सब्ज‍ियों की खेती को लेकर जानकारी दी गई है. बताया गया है क‍ि इस मौसम में किसान गाजर की बुवाई कर सकते हैं. बुवाई से पहले म‍िट्टी में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें. गाजर की पूसा रूधिरा क‍िस्म क‍िसानों के ल‍िए अच्छी रहेगी. बीज दर 2 क‍िलोग्राम प्रति एकड़ रखनी चाह‍िए. लेक‍िन अगर इसकी बुवाई मशीन द्वारा की जाती है तो फ‍िर बीज स‍िर्फ एक क‍िलोग्राम प्रति एकड़ की दर से लगेगा. जिससे बीज की बचत होगी और उत्पाद की गुणवत्ता भी अच्छी रहेगी. बुवाई से पहले बीज को 2 ग्राम प्रति क‍िलोग्राम बीज की दर से केप्टान से उपचारित करें. खेत में देसी खाद, पोटाश और फॉस्फोरस उर्वरक अवश्य डालें. 

इस मौसम में किसान सरसों साग की बुवाई भी कर सकते हैं. इसके ल‍िए पूसा साग-1 की बुवाई कर सकते हैं. मूली में जापानी व्हाईट, हिल क्वीन या पूसा मृदुला की बुवाई की जा सकती है. पालक की बुवाई कर रहे हैं तो आल ग्रीन और पूसा भारती का चयन कर सकते हैं. बथुआ में पूसा बथुआ-1 की बुवाई करना उपयुक्त होगा. मेथी में पूसा कसूरी, गांठ गोभी में व्हाईट वियना, पर्पल वियना जबक‍ि धनिया में पंत हरितमा या संकर किस्मों की बुवाई मेड़ों या फ‍िर उथली क्यारियों में कर सकते हैं. इन सब्जी फसलों की बुवाई से पहले म‍िट्टी में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें.

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फूलगोभी की पौधशाला के ल‍िए उपयुक्त है मौसम 

कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने बताया क‍ि यह मौसम ब्रोकली, फूलगोभी तथा बंदगोभी की पौधशाला तैयार करने के लिए उपयुक्त है. पौधशाला भूमि से उठी हुई क्यारियों पर ही बनाएं. जिन किसानों की पौधशाला तैयार है वह मौसस को ध्यान में रखते हुए पौध की रोपाई ऊंची मेड़ों पर करें. तापमान को ध्यान में रखते हुए किसान इस समय लहसुन की बुवाई कर सकते हैं. बुवाई से पहले म‍िट्टी में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें. इसकी उन्नत किस्में –जी-1, जी-41, जी-50 और जी-282 हैं. खेत में देसी खाद और फास्फोरस उर्वरक अवश्य डालें.

म‍िर्च की खेती करने वाले दें ध्यान 

वैज्ञान‍िकों ने क‍िसानों को सलाह दी है क‍ि मिर्च तथा टमाटर के खेतों में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में दबा दें. इससे रोग का फैलाव दूसरे पौधों में नहीं होगा. यदि प्रकोप अधिक है तो इमिडाक्लोप्रिड़ को 0.3 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें. किसान गुलाब के पौधों की कटाई-छटाई करें. कटाई के बाद बाविस्टीन का लेप लगाएं ताकि कवकों का आक्रमण न हो.

मटर की बुवाई में न करें देर

तापमान को ध्यान में रखते हुए मटर की बुवाई में ओर अधिक देरी न करें अन्यथा फसल की उपज में कमी होगी. कीड़ों का प्रकोप अधिक हो सकता है. बुवाई से पूर्व म‍िट्टी में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें. इसकी उन्नत किस्में पूसा प्रगति और आर्किल हैं. बीजों को कवकनाशी केप्टान या थायरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से मिलाकर उपचार करें. उसके बाद फसल विशेष राईजोबियम का टीका अवश्य लगाएं. गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा कर लें और राईजोबियम को बीज के साथ मिलाकर उपचारित करके सूखने के लिए किसी छायेदार स्थान में रख दें. फ‍िर अगले दिन बुवाई करें. 

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