रासायनिक खादों और पेस्टिसाइड को लेकर केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए बयान पर एग्रो केम फेडरेशन ऑफ इंडिया (ACFI) ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. फेडरेशन पेस्टीसाइड बनाने वाली कंपनियों का सबसे बड़ा संगठन है. राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (NCOL) की शुरुआत करते वक्त केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री शाह ने कहा था कि रासायनिक खादों और पेस्टिसाइड के इस्तेमाल से पैदा होने वाला अन्न खाने से कैंसर हो रहा है. इससे बीपी और शुगर जैसी बीमारियां हो रही हैं. शाह के इस बयान को इंडस्ट्री ने सिरे से खारिज कर दिया है. क्योंकि उसे लगता है कि सरकार के ऐसे बयानों से लोग रासायनिक खादों और पेस्टिसाइड का इस्तेमाल कम कर देंगे, जिससे उसका हित प्रभावित होगा. ACFI के महानिदेशक डॉ. कल्याण गोस्वामी ने शाह के इस बयान पर आंकड़ों सहित इंडस्ट्री का पक्ष रखा है.
गोस्वामी ने कहा, "विश्व स्तर पर, भारत कैंसर रेट में 172वें स्थान पर है. संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और डेनमार्क जैसे देशों में कैंसर का रेट कहीं अधिक है. यहां तक कि कृषि के अंतर्गत कम क्षेत्र वाले सिंगापुर में भी कैंसर की दर भारत की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है. वास्तव में, विश्व स्वास्थ्य संगठन की ग्रुप वन सूची में मनुष्यों के लिए कैंसरकारी माने जाने वाले 120 पदार्थों में प्रोसेस्ड लाल मांस, शराब, तंबाकू आदि शामिल हैं. लेकिन, इसमें एक भी कृषि रसायन शामिल नहीं है. इस तरह के प्रचार के विपरीत, पंजाब, जो देश में सबसे अधिक कीटनाशकों का उपयोग करता है वो भारत में कैंसर के मामले में 24वें स्थान पर है.
इसे भी पढ़ें: पराली से प्रदूषण फैलाने का सबसे बड़ा 'गुनहगार' है पंजाब, आंकड़ों में दिख रहा सरकार का नकारापन
दरअसल, सरकार अब खुलकर रासायनिक खादों और पेस्टीसाइड के बेतहाशा इस्तेमाल के खिलाफ बोल रही है. केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने ऑर्गेनिक और नेचुरल फार्मिंग वाले उत्पादों को प्रमोट करने और उसका एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक्स लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई है. पूसा स्थित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी के सभागार में 8 नवंबर को इस कंपनी की शुरुआत की गई. जिसमें किसानों से नेचुरल और ऑर्गेनिक फार्मिंग करने की अपील की गई. साथ ही रासायनिक खादों और कीटनाशकों का अंधाधुंध इस्तेमाल बंद करने वकालत की गई. ताकि लोगों की सेहत ठीक रहे. खेती की इनपुट कॉस्ट घटे और ऑर्गेनिक उत्पादों की वजह से किसानों की आय बढ़े.
दरअसल, ऑर्गेनिक और प्राकृतिक खेती वाली सरकार की मुहिम और यह सहकारी ऑर्गेनिक कंपनी एग्रो केमिकल इंडस्ट्री को तबाह करने की क्षमता रखती है. यह कंपनी 'भारत ऑर्गेनिक' ब्रांड के जरिए ऑर्गेनिक उत्पादों का कारोबार करेगी. इससे किसानों को न सिर्फ उनके उत्पादों का दाम मिलेगा बल्कि इस कंपनी के मुनाफे में 50 फीसदी हिस्सेदारी भी मिलेगी. इसलिए अब किसान तेजी से ऐसी खेती की ओर रुख करेंगे. ऐसे में एग्रो केमिकल इंडस्ट्री का हित दांव पर लगा हुआ है दिखाई दे रहा है. इसलिए अब केमिकल वाली खेती की वकालत करने वालों के पेट में दर्द हो रहा है. भले ही उसके मालिक लोग खुद ऑर्गेनिक उत्पाद ही क्यों न खाते हों.
प्रधानमंत्री खुद लंबे समय से ऐसी खेती की वकालत करते आ रहे हैं जिसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का इस्तेमाल न हो. सरकार की यह मुहिम रंग ला रही है और जैविक खेती का दायरा इस वक्त 59 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुका है. इसलिए सरकार जब-जब किसी मंच पर केमिकल फ्री खेती की बात करती है तब-तब एग्रो केमिकल इंडस्ट्री से जुड़े लोगों और इस इंडस्ट्री के 'जेबी' कृषि वैज्ञानिकों की छटपटाहट बढ़ जाती है.
इसे भी पढ़ें: Sugarcane Price: दिवाली से पहले हरियाणा के किसानों को बड़ा तोहफा, गन्ने के दाम का 'डबल धमाका'
शाह ने कहा, "उत्पादन को बढ़ाने में फ़र्टिलाइज़र और पेस्टीसाइड के अत्यधिक उपयोग ने कई बुरे परिणाम हमारे भविष्य पर डाल दिए हैं. आज यह परिणाम धीरे-धीरे नजर के सामने दिखाई देते हैं. ज्यादा फर्टिलाइजर और पेस्टिसाइड के उपयोग वाले अन्न के कारण मानव शरीर कई प्रकार के रोगों से ग्रसित भी हुआ है.... कुछ राज्यों से बड़े शहरों की ओर ट्रेन जाती है, उनका नाम कैंसर ट्रेन रखा गया है. कई राज्यों में फर्टिलाइजर और पेस्टिसाइड का उपयोग इतना ज्यादा बढ़ गया कि उससे पैदा हुए अन्न को खाने के कारण मानव शरीर कैंसर से ग्रसित हुआ. यह तो सबसे बड़ा नुकसान है. इसके साथ-साथ डायबिटीज और बीपी जैसी कई सारी बीमारियां धीरे-धीरे नजर आने लगी हैं."
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today