जितना जल्दी हो खेती करने के तौर-तरीकों को हमें बदलना होगा. फसल चक्र की परंपरा में भी बदलाव लाना होगा. किसी भी फसल की बुवाई से पहले उसकी कई स्तर पर तैयारी करनी होगी. जलवायु परिवर्तन के असर को देखते हुए ऐसा करना बहुत जरूरी हो गया है. यह कहना है आस्ट्रेलिया में भारतीय मूल के एग्रीकल्चर साइंटिस्ट डॉ. सूर्यकांत का. 12 साल से आस्ट्रेलिया में सेवाएं दे रहे सूर्यकांत 'किसान तक' से बातचीत कर रहे थे. उनका कहना है कि आज तमाम तरह के माध्यम से खेती से जुड़ी जानकारियां सामने आ रही हैं. इसलिए यह जरूरी है कि बाजार की जानकारी के साथ-साथ किसान फसल बुवाई से पहले चार क्षेत्रों की जानकारी जरूर लें.
जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम चक्र में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है. खेती-किसानी पर इसका ज्यावदा असर देखा जा रहा है. इसलिए जरूरी है कि हम अपने खेती करने के तरीकों में बड़े स्तर पर जानकारियों को शामिल करें. इसमे मौसम से लेकर फसल की वेरायटी, बीमारी और आर्थिक से जुड़ी जानकारियां भी शामिल हैं.
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डॉ. सूर्यकांत एग्रीकल्चर विक्टोरिया रिसर्च सेंटर, आस्ट्रेलिया के डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी, एनवायरमेंट एंड क्लाइमेट एक्शन रिसर्च लीडर हैं. डॉ. सूर्यकांत चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, हिसार में एक सेमिनार में हिस्सा लेने आए हुए थे. उनका कहना है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने की लड़ाई कोई एक दिन की नहीं है. इसमें सालों-साल लगेंगे. सभी देशों को मिलकर यह लड़ाई लड़नी होगी. लेकिन उससे पहले हमें खेती करने के अपने तरीकों में हर पल की जानकारी को शामिल करना होगा.
इसके लिए हर किसान को चाहिए कि वो मौसम विज्ञानी, प्लांट ब्रीडर, पैथोलाजिस्ट और कृषि विज्ञानी को अपना दोस्त बनाए. उनकी बताई गई हर बात को सुने. खासतौर पर जब किसान नई फसल की बुवाई करने जा रहा हो तो अपने इन चार दोस्तों से सलाह जरूर लें. हर जिले और शहर में आपको यह चार दोस्त मिल जाएंगे. अगर इनसे मिल नहीं सकते तो सोशल मीडिया और संबंधित विभागों की बेवसाइट पर जाकर भी इनसे जुड़ी जानकारी हासिल की जा सकती है. यूट्यूब पर एक्सपर्ट के वीडियो सुने जा सकते हैं.
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उदाहरण के तौर पर जैसे गेहूं-बाजरे का बाजार रोजाना रेट से अपडेट होता रहता है, जैसे किसान भी अपनी फसल से जुड़े बाजार का रेट लेते रहते हैं. ठीक उसी तरह फसल से जुड़ी जानकारी से भी किसान कोअपडेट रहना होगा. बुवाई करने जा रहे हैं तो उससे पहले मौसम के बारे में पूरी जानकारी कर लें. आजकल बहुत पहले ही मौसम के पूर्वानुमान मिल जाते हैं. शहर के हिसाब से फसल की कौन सी वेरायटी लगाएं इसके बारे में आपको प्लांट ब्रीडर बताएंगे. पैथोलाजिस्ट बीमारी के बारे में बता देंगे. वहीं फसल से जुड़ी दूसरी तरह की और जानकारियों के लिए कृषि विज्ञानी से भी जरूर बात करें.
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