लहसुन की अच्छी उपज चाहिए तो ऐसे करें अमोनियम सल्फेट का इस्तेमाल, पढ़ें एक्सपर्ट की सलाह

लहसुन की अच्छी उपज चाहिए तो ऐसे करें अमोनियम सल्फेट का इस्तेमाल, पढ़ें एक्सपर्ट की सलाह

अमोनियम सल्फेट एक नमक होता है जो अमोनिया और सल्फ्यूरिक एसिड की प्रक्रिया से बनता है.  व्यावसायिक रूप से यह सफेद रंग में पाया जाता है. इसमें 21 फीसदी नाइट्रोजन और 60 फीसदी सल्फर की मात्रा पाई जाती है.

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लहसुन की अच्छी उपज चाहिए तो ऐसे करें अमोनियम सल्फेट का इस्तेमाल, पढ़ें एक्सपर्ट की सलाहलहसुन की अच्छी उपज चाहिए तो ऐसे करें अमोनियम सल्फेट का इस्तेमाल

लहसुन एक कंद वाली मसाला फसल है. इसमें एलिसिन नामक तत्व पाया जाता है, जिसके कारण इसकी एक खास गंध और तीखा स्वाद होता है. लहसुन की एक गांठ में कई कलियां पाई जाती हैं, उन्हें अलग करके और छीलकर कच्चा और पकाकर खाया जाता है. साथ ही इसका इस्तेमाल स्वाद, औषधीय गुणों और मसाले के तौर पर किया जाता है. ये गले और पेट संबंधी बीमारियों में लाभदायक होता है. इसमें पाए जाने वाले सल्फर के गुण ही इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए जाने जाते हैं. यह एक नकदी फसल है. इसमें कुछ अन्य प्रमुख पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं. इसका उपयोग आचार,चटनी,मसाले और सब्जियों में किया जाता है. वहीं अगर आपको लहसुन की अच्छी उपज चाहिए तो आपको अमोनियम सल्फेट का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके उपयोग से आपकी फसल उत्पादन में वृद्धि होगी. 

क्या है अमोनियम सल्फेट

अमोनियम सल्फेट एक नमक होता है जो अमोनिया और सल्फ्यूरिक एसिड की प्रक्रिया से बनता है.  व्यावसायिक रूप से यह सफेद रंग में पाया जाता है. इसमें 21 फीसदी नाइट्रोजन और 60 फीसदी सल्फर की मात्रा पाई जाती है. इसका उपयोग कृषि में व्यापक रूप से किया जाता है. इसे व्यापक रूप से फसल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है.

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अमोनियम सल्फेट का इस्तेमाल

  • अमोनियम सल्फेट का इस्तेमाल तब करें जब मिट्टी हवादार और उपजाऊ हो.
  • जल्दी बोई गई लहसुन की फसल में अमोनियम सल्फेट की कमी होती है.
  • अगर लहसुन की पत्तियां पीली पड़ने लगें, तो उसमें अमोनियम सल्फेट की कमी हो जाती है. 
  • अगर आपका फसल 60 दिन के अंदर की है तो अमोनियम सल्फेट खाद का इस्तेमाल करें.
  • वहीं अगर फसल 60 दिन से ज्यादा की हो तब उसमें 5 ग्राम प्रति लीटर अमोनियम सल्फेट को पानी मिलाकर स्प्रे करें. 
  • फ़सल को प्रति एकड़ 40 किलो नाइट्रोजन, 20 किलो फॉस्फोरस और 20 किलो पोटाश की जरूरत होती है.
  • यदि फसलों में अमोनियम सल्फेट का उपयोग किया जाता है, तो फसल को सल्फर खुराक की आवश्यकता नहीं होती है. 
  • अमोनियम सल्फेट का उपयोग करने से उपज में वृद्धि होती है.  

खेती के लिए उपयुक्त मौसम 

भारत में लहसुन की औसत उपज आंकड़ों के अनुसार केवल 9 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर है. इसलिए जब आपूर्ति की कमी होती है, तो कीमतें अत्यधिक होती हैं. मौजूदा समय में लहसुन की कीमतों में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है. दरअसल प्याज या अन्य सब्जियों की तुलना में लहसुन की खेती की लागत अधिक है, क्योंकि बीज महंगे होते हैं. वहीं फसल उत्पादन में अधिक समय लगता हैं और तुलनात्मक रूप से उपज कम होती है. अच्छी खेती व्यवस्था अपनाने से अधिक और बेहतर क्वालिटी की उपज प्राप्त की जा सकती है. लहसुन एक ऐसी फसल है जो ठंड के मौसम में अच्छे तरह से उगते हैं. पौधे के विकास के दौरान ठंड और थोड़े आर्द्र मौसम में कंद अच्छे से परिपक्व होते हैं. बाद में कटाई के समय शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है.

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