इस महीने ठंड के साथ कोहरे का भारी असर देखा जा रहा है. इससे आमजन की परेशानी बढ़ गई है. ठंड और कोहरे ने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. हालांकि इसमें एक अच्छी बात ये है कि फसलों को इससे फायदा हो रहा है. केवल दिक्कत पाले को लेकर है. अभी तक पाले का प्रभाव कम था. पर जब से शीतलहर शुरू हुई है, तब से गेहूं और चने जैसी रबी फसलों पर खतरा बढ़ गया है. इससे बचने के लिए कृषि वैज्ञानिक कई तरह के उपाय बता रहे हैं. किसान इन सुझावों पर गौर कर अपनी फसलों की सेहत सुधार सकते हैं. अगर फसल कुछ मारी गई है, तो उसका बचाव कर सकते हैं.
फसलों के लिहाज से पाला बेहद खतरनाक माना जाता है. इससे पौधों की पत्तियां पीली हो जाती हैं. यहां तक कि तने भी सिकुड़ जाते हैं और अंत में पूरी तरह से सूख जाते हैं. इसलिए एक्सपर्ट हर हाल में फसलों को पाले से बचाने का तरीका बताते हैं. कृषि वैज्ञानिक यह भी बताते हैं कि बेहद आसान तरीके से गेहूं जैसी फसल को पाले से बचाया जा सकता है. इसी में एक है काला पाला जिससे फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान होता है.
काला पाला एक तरह से पाले की अवस्था है. वैज्ञानिक बताते हैं कि काला पाला उस अवस्था को कहते हैं, जब जमीन के पास हवा का तापमान बिना पानी के जमे 0 डिग्री सेल्सियस कम हो जाता है. वायुमंडल में नमी इतनी कम हो जाती है कि ओस का बनना रुक जाता है, जो पानी के जमने को रोकता है. इस अवस्था में फसलों को भारी नुकसान होता है जिससे उचित समय पर बचाव बेहद जरूरी हो जाता है.
ये भी पढ़ें: Wheat Crop: गेहूं की फसल देर से बोई है तो तुरंत करें ये उपाय, पैदावार के नुकसान से बच सकते हैं
इसी तरह एक अवस्था सफेद पाले का होता है. सफेद पाले में वायुमंडल में तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से कम हो जाता है और साथ ही वायुमंडल में नमी ज्यादा होने की वजह से ओस बर्फ के रूप में बदल जाती है. पाले की यह अवस्था सबसे ज्यादा हानि पहुंचाती है. यदि पाला अधिक देर तक रहे, तो पौधे मर सकते हैं.
वैज्ञानिकों ने पाले से बचाव के आसान तरीके बताए हैं. वैज्ञानिक कहते हैं कि जब वायुमंडल का तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से कम और 0 डिग्री तक पहुंच जाता है, तो पाला पड़ता है. इसलिए पाले से बचाव के लिए किसी भी तरह से वायुमंडल के तापमान को 0 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बनाए रखना जरूरी हो जाता है. ऐसा करने के लिए कुछ उपाय सुझाए गए हैं, जिन्हें अपनाकर हमारे किसान ज्यादा फायदा उठा सकेंगे.
वैज्ञानिक कहते हैं कि पौधों को पाले से बचाव के दो तरीके हैं. पहला, खेतों की सिंचाई और दूसरा, पौधों को ढककर. ये दोनों तरीके बेहद आसान हैं और किसान बिना किसी खर्च के इसे कर सकते हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक, चब भी पाला पड़ने की आशंका हो या मौसम पूर्वानुमान विभाग द्वारा पाले की चेतावनी दी गई हो, तो फसल में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए. इससे तापमान 0 डिग्री से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है.
ये भी पढ़ें: Advisory for Wheat Farming: गेहूं की फसल में जल्दी बाली निकलने के संकेत, किसान पढ़ लें कृषि वैज्ञानिकों की एडवाइजरी
पाले से सबसे अधिक नुकसान नर्सरी को होता है. ऐसे में नर्सरी के पौधों को रात में प्लास्टिक से ढक देना चाहिए. ऐसा करने से प्लास्टिक के अंदर का तापमान 2-3 डिग्री तक बढ़ जाता है और फसलों को थोड़ी गर्मी मिल जाती है. प्लास्टिक की चादर से फसल को ढकने से सतह का तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता है और पौधे पाले से बच जाते हैं, लेकिन यह कुछ महंगी तकनीक है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today