अभी पाले और ठंड की स्थिति देखी जा रही है. गेहूं समेत कई रबी फसलों पर पाले का प्रकोप है. शीतलहर में फसलों को पाले की मार अधिक पड़ती है, इसलिए किसानों को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए. किसानों को अपनी फसलों की बराबर देखरेख करनी चाहिए जिससे कि समय पर असर का पता चल सके. इससे समय रहते फसल का प्रबंधन करने का मौका मिलेगा और फसल को बचाया जा सकेगा. इसमें कृषि वैज्ञानिकों की सलाह बहुत काम आती है. किसानों को इन सलाहों पर गौर करना चाहिए और उसे अमल में लेकर तुरंत बचाव का उपाय करना चाहिए. ऐसे में आपको हम पाले से नुकसान के चार लक्षण बताते हैं जिससे किसान जान सकेंगे कि फसल को क्या हुआ है.
अगर आप किसान हैं और अभी आपने रबी फसलों जैसे कि गेहूं, चना या सरसों जैसी फसलों की बुवाई की है, तो आपको पाले से नुकसान के लक्षम जरूर समझने और बूझने चाहिए. इसमें थोड़ी सी भी लापरवाही फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकती है. ये लक्षण कृषि वैज्ञानिकों ने बताए हैं, इसलिए ये जानकारी भरोसेमंद भी है.
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कुछ आसान टिप्स हैं, जैसे कि फसलों के आसपास धुआं करके या सिंचाई करके पाले से बचाया जा सकता है. इसके अलावा खेत में बालू मिलाकर भी फसल को पाले से बचाया जा सकता है. बलुई मिट्टी युक्त सतह जल्द गर्म होती है और गर्मी लंबी अवधि तक बनी रहती है. अपने इसी गुण के कारण बालू पाले से कुछ हद तक लड़ने में सहायक है. किसान फसलों की क्यारियों के बीच हीटर लगाकर भी पाले से बचाव कर सकते हैं. हीटर लगाने से पौधों के आसपास का तापमान बढ़ जाता है और फसल मरने से बच जाती है.
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