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Sugarcane farming: गन्ना बुवाई की इस खास तकनीक से होगी ज्यादा कमाई, खत्म होगा पैसे का लंबा इंतजार

Sugarcane farming: गन्ना बुवाई की इस खास तकनीक से होगी ज्यादा कमाई, खत्म होगा पैसे का लंबा इंतजार

गन्ने की खेती भारतीय किसानों के लिए मुख्य नकदी फसल मानी जाती है. चीनी, गुड़ और अन्य उत्पादों के उत्पादन में गन्ने का प्रमुख योगदान होता है लेकिन गन्ना किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि उन्हें अपनी उपज का भुगतान प्राप्त करने के लिए 12 महीने तक इंतजार करना पड़ता है. इससे किसानों को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. इस समस्या के हल के लिए इंटर क्रॉपिग तकनीक अपना सकते हैं और इससे ज्यादा और जल्दी कमाई कर सकते हैं. इससे पैसे कमाने का लंबा इंतजार भी खत्म होगा.

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गन्ना में  इंटर-कॉपिग तकनीक से कमाएं ज्यादा और जल्दी गन्ना में इंटर-कॉपिग तकनीक से कमाएं ज्यादा और जल्दी

बढ़ती जनसंख्या, सीमित जमीन और बढ़ती महंगाई के बीच किसानों को अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए उन्नत तकनीकों से खेती करना ही एकमात्र विकल्प है. उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और बिहार जैसे उत्तर भारतीय राज्यों के गन्ना किसानों को अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के लिए बेहतर किस्मों और उच्च कमाई वाली तकनीकों को अपनाने की जरूरत है. गन्ना किसानों को अपनी उपज का मूल्य प्राप्त करने के लिए लगभग 12 महीने तक का इंतजार करना पड़ता है और चीनी मिलों द्वारा भुगतान में देरी एक आम समस्या है, जो किसानों के लिए अतिरिक्त चुनौतियां खड़ी करती है. ऐसे में शरदकालीन गन्ने की खेती के दौरान सब्जियों की इंटरक्रॉपिंग करके किसान अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं. भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के अनुसार, शरदकालीन गन्ने में जाड़े वाली सब्जियों की खेती करके किसान 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते हैं. इसके लिए सही विधियों और सही किस्मों के बीजों का चुनाव जरूरी है.

गन्ना खेती से जल्द मुनाफा कमाने का मंत्र जानें

गन्ना एक लंबी अवधि की फसल है, लेकिन इसके साथ सब्जियों की इंटरक्रॉपिंग करने से किसान अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं. इस प्रकार की खेती से न केवल गन्ना उत्पादन का खर्च कम होता है, बल्कि सब्जियों की सह-फसल से होने वाली कमाई से इस लागत की भरपाई भी हो जाती है. इंटरक्रॉपिंग से उर्वरक, कीटनाशक, सिंचाई और प्रबंधन पर अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ता, क्योंकि गन्ने के साथ-साथ सब्जियों की देखभाल भी आसानी से की जा सकती है.

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गन्ने के साथ बोई गई सब्जियों की फसल मंडियों में बेचकर किसानों को तत्काल नकद भुगतान प्राप्त हो सकता है, जिससे उनके पारिवारिक खर्चों का निपटान भी आसान हो जाता है. साथ ही प्रति एकड़ आय में भी वृद्धि होती है. फसल विविधीकरण से किसानों की विभिन्न जरूरतों की पूर्ति होती है और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आता है.

गन्ने में सब्जियों की खेती से कम समय में ज्यादा कमाई 

गन्ने की बुवाई में लाइन से लाइन की दूरी 90 सेंटीमीटर रखी जाती है और इस खाली स्थान में सब्जी फसलों की बुवाई करके किसान तीन से चार महीनों में प्रति एकड़ 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक की अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं. अगर शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की इंटरक्रॉपिंग की जाए, तो प्रति एकड़ 8 क्विंटल आलू के बीज की जरूरत होती है. गन्ने के बीच खाली स्थान में दो लाइनों में आलू लगाया जाता है, जिससे प्रति एकड़ 100 क्विंटल आलू की पैदावार हो सकती है.

अगर गन्ने के साथ फूलगोभी की इंटरक्रॉपिंग की जाए, तो प्रति एकड़ 200 ग्राम बीज की जरूरत होती है और गन्ने के बीच खाली स्थान में एक लाइन में फूलगोभी की रोपाई की जाती है. इससे प्रति एकड़ 100 से 110 क्विंटल फूलगोभी की पैदावार हो सकती है. इसी तरह, पत्तागोभी की इंटरक्रॉपिंग के लिए भी 200 ग्राम बीज की जरूरत होती है और गन्ने के बीच एक लाइन में पत्तागोभी की रोपाई की जाती है, जिससे प्रति एकड़ 100 से 110 क्विंटल पत्ता गोभी की पैदावार हो सकती है.

गन्ना में प्याज और लहसुन की खेती से बढ़ाएं आमदनी

इसी तरह, अगर गन्ने के साथ प्याज की इंटरक्रॉपिंग की जाए, तो प्रति एकड़ 3 किलो प्याज के बीज की जरूरत होती है. गन्ने के बीच खाली स्थान में दो लाइनों में प्याज की रोपाई की जाती है, जिससे प्रति एकड़ 80 से 100 क्विंटल प्याज की पैदावार प्राप्त की जा सकती है. लहसुन की इंटरक्रॉपिंग के लिए गन्ने के बीच खाली स्थान में तीन लाइनों में लहसुन की बुवाई की जाती है. इसके लिए प्रति एकड़ 180 किलो लहसुन के बीज की जरूरत होती है और इससे प्रति एकड़ 20 से 30 क्विंटल लहसुन का उत्पादन होता है. अगर गन्ने के साथ राजमा की इंटरक्रॉपिंग की जाए, तो प्रति एकड़ 30 किलो बीज की जरूरत होती है. गन्ने के बीच खाली स्थान में दो लाइनों में राजमा की बुवाई की जाती है, जिससे प्रति एकड़ 80 से 100 क्विंटल तक राजमा का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. 

गन्ने के साथ सब्जियों की खेती से लाभ की गारंटी

सहफसली खेती के माध्यम से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होती है, बल्कि इससे मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है. गन्ने की बुवाई के लिए नाली विधि और गड्ढा विधि का अधिक उपयोग किया जाता है, जो इंटरक्रॉपिंग के लिए अत्यधिक प्रभावी है. गन्ने के साथ आलू, राजमा, प्याज, लहसुन, फूलगोभी, पत्तागोभी जैसी फसलों की सहफसली खेती करने से किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त हो सकती है. उदाहरण के लिए, आलू की सहफसली खेती से प्रति एकड़ 110 क्विंटल आलू की पैदावार हो सकती है, जिससे 50 हजार रुपये की अतिरिक्त आय प्राप्त होती है. इसी प्रकार, प्याज और लहसुन से 60 से 70 हजार की आमदनी मिल सकती है. राजमा की सहफसली खेती से प्रति एकड़ 7 क्विंटल उत्पादन और 60-65 हजार रुपये की अतिरिक्त आय हो सकती है. 

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गन्ने की इंटरक्रॉपिग में इस बात का रखें ध्यान

गन्ना बुवाई के लिए कुंड विधि, समतल विधि, गड्ढा विधि और नाली विधि का प्रयोग किया जाता है. इनमें से नाली विधि और गड्ढा विधि का अधिक उपयोग होता है. नाली विधि में 30 सेंटीमीटर चौड़ी और गहरी नालियों में गन्ने की बुवाई की जाती है. नई बुवाई पद्धति में गन्ना पौध रोपण विधि बहुत प्रभावी साबित हो रही है. इस विधि में पहले गन्ने की नर्सरी तैयार की जाती है और फिर तैयार पौधों को मुख्य खेत में रोपा जाता है. यह विधि इंटरक्रॉपिंग के लिए विशेष रूप से उपयोगी है. गन्ने में इंटरक्रॉपिंग से किसानों को गन्ना मूल्य मिलने में देरी की समस्या का समाधान मिलता है.