भारत में हरी मिर्च का मसालों में अपना एक अहम स्थान है, क्योंकि चटपटे भोजन का स्वाद लेना हो तो मिर्च सबसे जरूरी चीजों में से एक है. लेकिन बदलते मौसम का प्रभाव इन दिनों मिर्च की फसल पर दिखाई दे रहा है. तापमान में उतार-चढ़ाव की वजह से फसल पर कीटों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. साथ ही आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि मिर्च एक ऐसी फसल है जिस पर कीटों सबसे अधिक प्रभाव होता है. ऐसे में हर बार मिर्च की खेती करने वाले किसानों को अक्सर पत्तियां खाने वाले और रस चूसने वाले कीटों से फसल को भारी नुकसान उठाना पड़ता है.
इन कीटों के प्रभाव से पौधों की वृद्धि रुक जाती है और उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है. वहीं, इन कीटों से फसलों को बचाने के लिए किसान कई तरह की दवाओं का भी इस्तेमाल करते हैं, जिससे मिट्टी की क्वालिटी भी खराब होती है. ऐसे में कृषि एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि किसान रासायनिक दवाओं की बजाय देसी जैविक घोल का उपयोग करें, जो न सिर्फ असरदार है, बल्कि मिट्टी और फसल दोनों के लिए सुरक्षित भी है.
एक्सपर्ट की मानें तो मिर्च की फसल को कीटों से बचाने के लिए नीम की निंबोली से बना घोल बहुत लाभकारी होता है. यह घोल पत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों और रस चूसने वाले कीटों दोनों पर असर करता है. खास बात ये है कि इसे किसान बिना पैसे खर्च किए खुद अपने घर पर भी आसानी से तैयार कर सकते हैं. साथ ही किसान फसलों पर इसका छिड़काव हर 15 दिन में कर सकते हैं. इस घोल का छिड़काव करने से कीटों पर नियंत्रण पाया जा सकता है.
बता दें कि निंबोली से बना घोल बनाने के लिए किसानों को सबसे पहले 5 किलो नीम की निंबोली लेना होगा और उसे अच्छी तरह से कूटना या पीसना होगा. उसके बाद 20 लीटर की बाल्टी में 10 लीटर साफ पानी और उसमें यह निंबोली चूर्ण डालकर दो दिन तक ढंककर गलने के लिए रख दें. दो दिन बाद इस मिश्रण को छान लें और जो गाढ़ा नीम निंबोली घोल) तैयार होगा, उसे मिर्च की फसलों पर छिड़काव के लिए इस्तेमाल करें. वहीं, छिड़काव के लिए 15 लीटर के पंप में 13.5 लीटर पानी लें और उसमें 1 लीटर नीम निंबोली का तैयार घोल मिलाएं. इस मिश्रण को मिर्च की फसल पर अच्छी तरह से छिड़कें. यह प्रक्रिया हर 15 दिन में एक बार दोहरानी चाहिए. इससे कीटों की संख्या कम हो जाती है और फसलों को नुकसान नहीं होता है.
बता दें कि यह घरेलू देसी उपाय पूरी तरह से जैविक और सस्ता है. इससे न केवल मिर्च की फसल सुरक्षित रहती है, बल्कि लंबे समय में मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है. किसान अगर समय-समय पर इस जैविक उपाय का पालन करें, तो कीटनाशकों पर निर्भरता भी घटेगी और उत्पादन में वृद्धि भी देखने को मिलेगी. ऐसे में अगर आपके मिर्ची की फसल पर ऐसे कोई कीट का असर दिख रहा है तो इस घोल का छिड़काव जरूर करें.
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