Advisory for Wheat Farming: गेहूं की फसल में जल्दी बाली निकलने के संकेत, किसान पढ़ लें कृष‍ि वैज्ञान‍िकों की एडवाइजरी

Advisory for Wheat Farming: गेहूं की फसल में जल्दी बाली निकलने के संकेत, किसान पढ़ लें कृष‍ि वैज्ञान‍िकों की एडवाइजरी

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने गेहूं की फसल में खरपतवार न‍ियंत्रण, पीला रतुआ रोग और गुलाबी बेधक के समाधान के ल‍िए एडवाइजरी जारी की है. ज‍िन क‍िसानों ने अब तक गेहूं की बुवाई नहीं की है उनके ल‍िए बहुत देरी से बोई जाने वाली क‍िस्मों के बारे में जानकारी दी गई है.

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Advisory for Wheat Farming: गेहूं की फसल में जल्दी बाली निकलने के संकेत, किसान पढ़ लें कृष‍ि वैज्ञान‍िकों की एडवाइजरीगेहूं की खेती करने वाले क‍िसानों के ल‍िए एडवाइजरी जारी.

गेहूं की खेती वाले कुछ क्षेत्रों से ऐसी रिपोर्ट आ रही है क‍ि फसल में ध्वज पत्ता (फ्लैग लीफ) दिखाई दे रहा है और जल्द बाली निकलने के संकेत हैं. अगर ऐसी स्थ‍िति क‍िसी क‍िसान को द‍िखाई दे रही है तो फसल पर किसी भी केम‍िकल का छिड़काव न करें. खेत में सिंचाई कर हल्की नाइट्रोजन की मात्रा डालने का प्रयास करें और वैज्ञान‍िकों से संपर्क करें. आईसीएआर के अधीन आने वाले भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल की ओर से गेहूं की फसल को लेकर जारी एडवाइजरी में क‍िसानों को यह जानकारी दी गई है. आगामी दिनों में बार‍िश और तापमान पूर्वानुमान के संबंध में र‍िसर्चरों और मौसम व‍िभाग से मिले इनपुट के आधार पर संस्थान ने क‍िसानों को गेहूं की अच्छी खेती के ल‍िए सलाह दी है.  

संस्थान ने बताया है क‍ि उत्तर, उत्तर पूर्व और मध्य भारत में इस दौरान कोई बड़ी बारिश होने की संभावना नहीं है. सप्ताह के दौरान तापमान सामान्य रहेगा लेकिन दूसरे सप्ताह में तापमान सामान्य से अधिक हो सकता है. वैज्ञान‍िकों ने बहुत देर से बोई जाने वाली गेहूं की क‍िस्मों की जानकारी भी दी है. इस एडवाइजरी में जो प्रमुख बातें कही गईं हैं उसे जान और समझ लीज‍िए.

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खरपतवारों का ऐसे करें न‍ियंत्रण 

  • गेहूं में संकरी पत्ती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए क्लोडिनाफॉप 15 डब्ल्यूपी @ 160 ग्राम प्रति एकड़ या पिनोक्साडेन 5 ईसी @ 400 मिलीलीटर प्रति एकड़ लगाएं. चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए 2,4-डी 500 मिली प्रत‍ि एकड़ या मेटसल्फ्यूरॉन 20 डब्ल्यूपी 8 ग्राम प्रति एकड़ या कारर्पोट्राजोन 40 डीएफ 20 ग्राम प्रत‍ि एकड़ की दर से छिड़काव करें. 
  • यदि गेहूं के खेत में संकरी और चौड़ी पत्ती वाले दोनों तरह के खरपतवार हैं तो पहली सिंचाई से पहले या सिंचाई के 10-15 दिन बाद 120-150 लीटर पानी में सल्फोसल्फ्यूरॉन 75 डब्ल्यूजी 13.5 ग्राम प्रत‍ि एकड़ या सल्फोसल्फ्यूरॉन+मेटसल्फ्यूरॉन 16 ग्रामप्रत‍ि एकड़ की दर से 120-150 लीटर पानी में प्रयोग करें. 
  • बहु शाकनाशी प्रतिरोधी फालारिस माइनर (कनकी/गुल्ली डंडा) के नियंत्रण के लिए, बुआई के 3 दिन बाद पाइरोक्सासल्फोन 85 डब्ल्यूजी 60 ग्राम प्रत‍ि एकड़ की दर से छिड़काव करें या पहली सिंचाई के 10-15 दिन बाद 120-150 लीटर पानी का उपयोग करके क्लोडिनाफॉप मेट्रिबुज़िन 12+42% WP के तैयार मिश्रण संयोजन को 200 ग्राम प्रत‍ि एकड़ पर स्प्रे करें. 

पीला रतुआ रोग का समाधान 

  • रतुआ के लिए अनुकूल मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह दी गई है क‍ि पीला रतुआ की घटनाओं को देखने के लिए नियमित रूप से अपनी फसल का निरीक्षण करें. यदि किसान अपने गेहूं के खेतों में पीला रतुआ देखते हैं तो उसके समाधान के ल‍िए ये उपाय सुझाए गए हैं.  
  • इसके आगे प्रसार को रोकने के लिए संक्रमण क्षेत्र पर प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी @ 0.1 प्रतिशत या टेबुकोनाजोल 50% + ट्राइफ्लोक्सीस्ट्रोबिन 25% डब्ल्यूजी @ 0.06% का एक स्प्रे दिया जाना चाहिए. 
  • एक लीटर पानी में एक मिलीलीटर रसायन मिलाना चाहिए और इस प्रकार एक एकड़ गेहूं की फसल में 200 मिलीलीटर कवकनाशी को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. 
  • जिन किसानों ने पिछले वर्ष एक प्रकार के कवकनाशी का उपयोग किया है, उन्हें इस वर्ष वैकल्पिक कवकनाशी का उपयोग करने का सुझाव दिया जा रहा है. मौसम साफ होने पर किसानों को फसल पर छिड़काव करना चाहिए. 

गुलाबी बेधक के लिए सलाह

गुलाबी छेदक या बेधक का हमला उन क्षेत्रों में देखा गया है जहां विशेष रूप से धान, मक्का, कपास और गन्ना उगाया जाता है. गेहूं की फसल को मुख्य तौर पर इल्लियों द्वारा क्षति होती है. कैटरपिलर तने में प्रवेश करता है और टिशू को खाता है. इससे फसल की प्रारंभिक अवस्था में तने में डेड हार्ट बन जाते हैं. प्रभावित पौधे पीले पड़ जाते हैं और आसानी से उखाड़े जा सकते हैं. जब पौधों को उखाड़ा जाता है तो उनकी निचली शिराओं पर गुलाबी रंग की इल्लियां देखी जा सकती हैं. 

कैसे करें मैनेजमेंट 

  • संक्रमित कल्लों को हाथ से चुनने और उन्हें नष्ट करने से छेदक का हमला कम हो जाता है. 
  • संक्रमण से बचने के लिए, नाइट्रोजन उर्वरकों को विभाजित खुराकों में उपयोग करने की सलाह दी जाती है.  
  • यदि प्रकोप अधिक हो तो 1000 मिलीलीटर क्विनालफॉस 25% EC को 500 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर मिलाकर छिड़काव करें. 

देरी से बोई जाने वाली गेहूं की क‍िस्में 

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के न‍िदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र स‍िंह ने कहा क‍ि उत्तरी भारत में गन्ना, कपास, धान और आलू की कटाई देर से होने के कारण कुछ किसान गेहूं की बुवाई बहुत देर से कर रहे हैं. अति पछेती बुआई के लिए उपयुक्त किस्में एचडी 3271, एचआई 1621, एचडी 2851, डब्ल्यूआर 544 हैं. बहुत देर से की जाने वाले गेहूं की बुआई 18 सेमी की पंक्ति दूरी पर 50 किलोग्राम प्रत‍ि एकड़ बीज दर का उपयोग करके की जानी चाहिए. नाइट्रोजन की मात्रा का प्रयोग बुवाई के 40-45 दिन बाद तक पूरा कर लेना चाहिए. सिंचाई से ठीक पहले यूरिया डालें.  

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