मध्यप्रदेश में क़ड़ाके की ठंड पड़ रही है. इसके अलावा पूर्वी मध्यप्रदेश के इलाकों में बारिश होने का पूर्वानुमान लगाया गया है. ऐसे में तैयार फसलों को नुकसान हो सकता है. इसे लेकर किसानों के लिए सलाह जारी की गई है. इसमें कहा गया है कि प्रदेश में कुछ स्थानों पर गरज के साथ बिजली गिरने की संभावना है. इसलिए किसान अपनी उपज को सुरक्षित स्थानों पर रखें. इसके अलावा जो फल और सब्जी पेड़ में लगे हैं उनकी सुरक्षा का उपाय करें. तेज हवाओं से उनका बचाव करने के उपाय करें. साथ ही कहा गया है कि आंधी के दौरान सिंचाई ना करें साथ ही उर्रवरक का इस्तेमाल नहीं करें. तेज हवा के दौरान जानवरों को घर के अंदर रखें. बिजली चमकने के दौरान घर से अंदर सुरक्षित स्थान पर रहें.
इसके अलावा मध्यप्रदेश में घना कोहरा होने का अनुमान लगाया गया है. इसे देखते हुए किसानों को सलाह दी गई है कि कोहरे के कारण फसलों में कीट और रोग का प्रकोप हो सकता है. आलू टमाटर और प्याज की अगेती और पछेती खेती में झुलसा रोग का प्रकोप हो सकता है. पौधों में इसके लक्षण दिखाई देने पर बचाव के उपाय करें. सतपुड़ा पठारी क्षेत्र के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि यहां पर कपास के फसलों में नमी की कमी हो सकती है. इसलिए सिंचाई करते रहें. कपास की फसल में अभी बीजाणु विकसित हो रहे हैं, इसलिए कपास चुनने के लिए खेत को साफ रखें. वहीं गन्ने की फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई करने के लिए कहा गया है. गन्ने की फसल को लाल सड़न रोग के प्रकोप से बचाने के लिए कार्बेन्डाजिम एक ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें.
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मालवा पठार क्षेत्र को लेकर जारी किए गए सलाह में कहा गया है कि समय पर बोई गई गेहूं की फसल में सीआरआई अवस्था पर सिंचाई करें तथा 3-4 दिन बाद उर्वरक डालें. वर्तमान मौसम के कारण आलू और टमाटर की फसल में पत्ती झुलसा रोग हो सकता है. इसलिए लक्षण दिखाई देने पर डाइथेन-एम-45 का दो ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. खरपतवारों को हटाने के लिए सब्जियों में अंतर-कृषि क्रियाएं करें. देर से बोई गई सरसों की फसल में निराई-गुड़ाई करें. झाबुआ पर्वतीय क्षेत्र में कपास को चुनने के लिए कपास के खेत को साफ-सुथरा रखें.
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वर्तमान मौसम की स्थिति चने की फसल में कैटरपिलर का प्रकोप हो सकता है. इससे छुटकारापाने के लिए 20-25 प्रति हेक्टेयर की दर से 'टी' आकार के फेरोमोन ट्रैप का उपयोग करें. शुरुआती अवस्था में नियंत्रण के लिए आठ नग प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में प्याज के पौधों की रोपाई करें. निमाड़ घाटी क्षेत्र में गेहूं में जड़ माहू और तना छेदक कीट के नियंत्रण के लिए थायमेथोक्साम 12.6 प्रतिशत और लैम्ब्डा का छिड़काव करें. अरहर की फसल को फली मक्खी और फली छेदक कीट से बचाने के लिए साइहलोथ्रिन 9.5 प्रतिशतल ZC को 200 मिली प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर जमीन में फसल पर स्प्रे करें. मध्य नर्मदा घाटी क्षेत्र में समय पर बोई गई गेहूं की फसल में सीआरआई अवस्था में सिंचाई करें. बैंगन की फसल में कीड़े, कैटरपिलर और फल छेदक कीट को नियंत्रित करने के लिए डाइमेथोएट 30 ईसी को 7 मिलीलीटर प्रति 10 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. इस दौरान सिंचाई नहीं करें.
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