देश कई हिस्सों में ठंड में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. शीतलहर और कोहरे का प्रकोप जारी है, इस बीच हो रही बारिश ने परेशानी और बढ़ा दी है. ऐसे समय में किसानों को अपने खेत के साथ-साथ पशुओं पर भी विशेष ध्यान देना होता है. ताकि अपने पशुओं को किसान ठंड से बचा सकें. अधिक ठंड पड़ने के कारण दुधारू पशुओं पर सबसे ज्यादा असर देखा जाता है. ठंड के कारण सबसे पहले तो दूध कम हो जाता है. इसके अलावा शीतलहर के चलते पशुओं में कई प्रकार के रोगों का प्रकोप हो सकता है. बीमारी पड़ने पर कई बार पशुओं की मौत भी हो जाती है, इसके चलते किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है.
अत्यधिक सर्दी के कारण दुधारू पशुओं को ठंड लगने की शिकायते सबसे ज्यादा आतीं हैं. इसके अलावा निमोनिया, दस्त, अफारा रोग, खुरपका-मुंहपका और गलघोंटू जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है. ऐसे में दूधारू पशुओं को ठंड से बचाने के लिए उपाय करने चाहिए. सर्दियों में अक्सर पशुपालक अपने पशुओं को बचा हुआ खाना या हरा चारा दे देते हैं इसके चलते उनके पेट में गैस बनने लगती है, इसे अफारा रोग कहा जाता है. अफारा रोग होने पर पशु चिड़चिड़ा हो जाता है. इस रोग से बचाव के लिए सर्दियों में पशुओं को हरा चारा के साथ सूखा चारा अधिक खिलाएं और साथ में गुड़ खिलाएं. इसके अलावा अफारा रोग होने पर सरसों के तेल में तारपीन मिलाकर पिला दें.
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सर्दियों में पशुओं को निमोनिया होने की भी शिकायत मिलती है. क्योंकि अक्सर गाय खुले में या ओस में बंधी होती है. निमोनिया होने पर गाय-भैंस के आंख और नाक से पानी गिरने लगता है साथ ही पशु को बुखार भी हो जाता है इससे वह सुस्त हो जाता है. इससे बचाने के लिए पशुओं को रात के वक्त खुले आसमान के नीचे नहीं बांधे. तेज धूप या मौसम गर्म होने पर ही उन्हें बाहर निकाले या नहलाएं. स्काईमेट की खबर के अनसार इसके साथ ही बीमार पशु को नौसादर, सौंठ औऱ आजवायन को अच्छी तरह से कूटकर मिला दे और 250 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर दिन में दो बार दें. इसके साथ ही पशुओं को एंटीबॉयोटिक का इंजेक्शन लगाए और उनके रहने की जगह को सूखा रखें.
इन सबके अलावा सर्दियों में पशुओं को ठंडेला रोग भी लग जाता है. इसका असर दूध उत्पादन पर पड़ता है. ठंड लगने के बाद पशुओं की नाक बंद हो जाती है और उन्हें सासं लेने में परेशानी होती है. पशुओं का नाक बंद होने पर बाल्टी में गर्म खौलता हुआ पानी ले और उसके उपर घांस डाल दें. इसके बाद पशु की नाक में एक मोटा कपड़ा रखे. इससे पशुओं की बंद नाक खुल जाएगी. इस विधि को सावधानीपूर्वक करें ताकि पशुओं को गर्म पानी से जलन नहीं हो. इसके अलावा पानी में अजवाइन, धनिया और मेथी कूटकर पानी में उबाल दे. फिर हल्का गर्म होने पर इसे पशुओं को पिलाएं. इससे पशु को आऱाम मिलेगा.
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इसके अलावा दुधारू पशुओं में थनैला रोग का प्रकोप देखने के लिए मिलता है. इसके प्रभाव से थनों में सूजन दर्द और कड़ापन होता है. साथ ही थनों से फटा हुआ थक्केयुक्त दही की तरह जमा हुआ दूध निकलता है. दूध से दुर्गंध आती है साथ ही थन में गांठे पड़ जाती है. इससे बचाव के लिए दूध निकालने के बाद थन में बीटाडीन लगाए और अच्छे से थनों की सफाई करें. साफ सफाई ही इस बीमारी का इलाज है. इसके अलावा बीमारी होने पर पशु चिकित्सक से संपर्क करें.
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