झारखंड में एक बार फिर तीन दिनों तक बारिश होने का अनुमान लगाया गया गया है. ऐसे में झारखंड के किसानों के लिए कृषि सलाह जारी किया गया है. ताकि किसानों को मौसम के कारण किसी तरह का नुकसान नहीं हो. किसानों ने कहा गया है कि पिछले दिनों हुई बारिश और आगामी बारिश को देखते हुए गेहूं और मक्का के खेतों से जल निकासी की उचित व्यवस्था करें. खेत में जलजमाव नहीं होने दें. इस समय के मौसम में रात के तापमान में अधिक गिरावट दर्ज की जाती है ऐसे मौसम में मिट्टी का तापमान रात के समय सामान्य बनाए रखने के लिए सब्जियों की नर्सरी के उपर कम गालत वाले पॉलिथीन कवर या पुआल का उपयोग करें.
आईएमडी की तरफ से जारी सलाह में कहा गया है कि इस मौसम में गेहूं की फसल में रोगों का प्रकोप हो सकता है. खास कर इस समय रतुआ का प्रकोप होता है, इसलिए इससे बचाव के लिए किसान लगातार फसलों की निगरानी करें. अगर फसल में काला, भूरा या पीला रतुआ का प्रकोप होता है तो इससे बचाव के लिए डाइथेन एम-45 का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. सरसों की फसल में इस वक्त चेंपा कीट का प्रकोप हो सकता है इसलिए लगातार इसकी निगरानी करने की सलाह किसानों को दी गई है. अगर खेत में चेंपा का संक्रमण शुरुआती अवस्था में है तो प्रभावित भाग को काट कर नष्ट कर दें. पर अधिक संक्रमण दिखाई देने पर तीन मिली प्रति लीटर पानी की दर से इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें.
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चने की फसल अब फूल आना शुरू हो गए हैं इसके साथ की कुछ पौधों में फल भी आना शुरू हो जाता है. इस समय चना में फली छेदक कीट का प्रकोप हो सकता है. इसकी निगरानी के लिए फिरोमोन ट्रैप का इस्तेमाल करें.इसके अलावा खेत में जिन जगहों पर पौधों में 25-35 फीसदी फूल खिल चुके हैं उन जगहों पर टी आकार का खूंटा गाड़ दें. ताकि वहां पर चिड़ियां आकर बैठ सके और कीट को खा सकें.मिर्च के पौघों में इस वक्त मकड़ी का प्रकोप हो सकता है. इसके प्रभाव से पत्तियां नीचे की तरफ मुड़ जाती और सिकुड़ने लगती हैं साथ ही पौधा बौना हो जाता है. मिर्च में घुन के नियंत्रण के लिए इथियन 50 प्रतिशत ईसी का 600 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें.
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मुर्गीपालकों के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि रात के समय में तापमान में हो रही गिरावट से मुर्गियों को काफी नुकसान हो सकता है. इसलिए मुर्गियों के शेडे के तापमान में बढ़ाए रखने के लिए लाइट की संख्या को बढ़ाई जा सकती है. इसके साथ ही कमरे के तापमान को नियंत्रित करने के लिए मुर्गियों के शेड में गर्म हवा का ब्लोअर चलाएं. ठंड के मौसम में पशुओं की ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने के लिए उन्हें नियमित रुप से नमक के साथ मिनरल मिक्सचर प्रदान करें. इसके अलावा खाने में गेहूं के दाने और गुड़ भी दें.
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