यह कहानी बिहार के औरंगाबाद जिले के रहने वाले बृजकिशोर मेहता की है. वैसे तो बिहार के अधिकांश परिवारों की कहानी है कि जब घर के बड़े या छोटे बेटे को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होता है, तो वह उससे पहले ही घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए निवासी से प्रवासी हो जाता है. बड़े शहरों में देश की जीडीपी बढ़ाने के साथ खुद का आर्थिक पक्ष को मजबूत करने के लिए दिल्ली, महाराष्ट्र ,गुजरात सहित अन्य राज्यों की ओर पलायन कर जाते हैं. यह सिलसिला आज भी जारी है. कुछ ऐसा ही बृजकिशोर मेहता ने भी किया था. आज से करीब दस पहले हरियाणा के हिसार में रोजगार के दम पर रोटी का जुगाड़ करने के चक्कर में गए थे. लेकिन वह ज्यादा समय तक नौकरी नहीं किए. बल्कि वहां से एक ऐसी विदेशी फल की खेती सीख कर आए, जिसने उन्हें धनवान बना दिया. आज एक करोड़ रुपए के आसपास कमाई कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं स्ट्रॉबेरी की खेती की.
आज इसकी खेती से यह अपनी किस्मत बदलने के साथ करीब दस से अधिक किसानों की जिंदगी बदल रहे हैं. बिहार में पिछले दस सालों के दौरान राज्य के कई जिलों के किसान बड़े एवं छोटे स्तर पर स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. इससे एक अच्छी कमाई भी कर रहे हैं. वहीं बृजकिशोर जो कभी अपनी जमीन में धान, गेहूं सहित अन्य फसलों की खेती से घर की बुनियादी सुविधा पूरा नहीं कर पाते थे, आज वे स्ट्रॉबेरी की खेती को अच्छी कमाई का बेहतर विकल्प मानते हैं. आज इसी के बदौलत परिवार के सभी सदस्य शिक्षित होने के साथ घर भौतिक सुविधा से परिपूर्ण है.
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पहाड़ों के गोद में बसा बृजकिशोर का गांव चील्खी बिगहा में आज चालीस किसान स्ट्रॉबेरी की खेती से जुड़े हुए हैं. लेकिन जब यह पहली बार हरियाणा से पौधे लेकर आए तो उस समय किसी को इसके बारे में कुछ पता ही नहीं था. किसान तक से बातचीत के दौरान बृजकिशोर कहते हैं कि केवल 60 पौधे लेकर गांव आए और खेती शुरू की थी. आज वे 10 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. वे साल में करीब एक करोड़ 40 लाख रुपये का स्ट्रॉबेरी बेचते हैं. उनका कहना है कि 10 एकड़ में खेती करने पर 70 लाख रुपये का खर्च आता है. इस तरह वे एक साल में स्ट्रॉबेरी की खेती से 70 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं.
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बृजकिशोर मेहता के खेत पर राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी आ चुके है. बृजकिशोर ने तब सीएम नीतीश से राज्य में पैक हाउस और स्ट्रॉबेरी के पौधे उपलब्ध न होने की बात कही थी. मगर अभी तक कोई समाधान नहीं हो पाया है. ये बताते हैं कि उनके खेत का स्ट्रॉबेरी बिहार सहित अन्य राज्यों में जाता है, जिसमें से करीब 70 प्रतिशत माल का निर्यात केवल कोलकाता में होता है. कभी नौकरी के लिए हरियाणा जाने वाले बृजकिशोर के यहां आज करीब दो सौ लोग काम कर रहे हैं.
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