किस जिले में कौन कौन सी फसल कितने रकबे में बोई जा रही है और इससे कितनी उपज हो रही है, कृषि एवं राजस्व विभाग के कर्मचारी, इसका आकलन मैन्युअल तरीके से करके सरकार को आंकड़े उपलब्ध कराते हैं. अब योगी सरकार ने इसके सटीक आंकड़े जुटाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित Digital Crop Survey कराने की पहल की है. सरकार द्वारा गठित स्टेट लेवल स्टीयरिंग कमेटी इस काम काे अंजाम दे रही है. इसकी शुरुआत आगामी खरीफ फसल की बुआई के दौरान यूपी के 19 जिलों से की गई है. यूपी के मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र की अध्यक्षता में डिजिटल क्राप सर्वे के लिए स्टेट लेवल स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में इसकी तैयारियों का जायजा लेते हुए इस काम काे हरी झंडी दे दी गई.
मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से बताया गया कि भारत सरकार की डिजिटल क्रॉप सर्वे परियोजना से यूपी को भी जोड़ा गया है. इसके लिए यूपी सरकार ने खेती किसानी के क्षेत्र में डिजिटल सेवाएं मुहैया कराने के लिए 'डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर इनिशिएटिव (एग्रीस्टैक) प्रोजेक्ट को लेकर केंद्र सरकार के साथ एमओयू किया है.
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मुख्य सचिव ने इसके माध्यम से हर गांव के प्रत्येक खेत का डिजिटल क्राप सर्वे कराने के लिये आवश्यक तैयारियां समय से पूरी करने के लिए निर्देश दिए हैं. परियोजना के पहले चरण में 19 जिलों को शामिल किया गया है. ये जिले भदोही, संतकबीर नगर, औरैया, महोबा, हमीरपुर, सुल्तानपुर, वाराणसी, जौनपुर, प्रतापगढ़, मिर्जापुर, मुरादाबाद, जालौन, चित्रकूट, फर्रुखाबाद, अयोध्या, चन्दौली, झांसी, बस्ती और हरदोई हैं.
इन सभी जिलों के उपग्रह पिक्चर आधारित शत-प्रतिशत मानचित्र यानी Geo Reference Map उपलब्ध हैं. इसलिए इन जिलों को सर्वे में पहले चरण में शामिल कर लिया गया. इन जिलों में आगामी खरीफ एवं रबी की फसल की बुवाई और उपज का शत-प्रतिशत सर्वे कराया जायेगा. इसके अलावा मुख्य सचिव ने शेष 56 जिलों के ऐसे 10 गांवों का भी चयन करने को कहा है जिनके जियो रेफरेन्स मैप उपलब्ध हैं. कोशिश की जाएगी कि इन गांवों को भी डिजिटल क्राप सर्वे के पहले चरण में ही शामिल कर लिया जाए.
ग्राम पंचायत स्तर पर डिजिटल क्राप सर्वे लेखपाल, सहायक लेखपाल, पंचायत सहायक और गांव के प्रगतिशील किसानों की मदद से कराया जाएगा. सर्वे करने के लिए खास तौर पर डिजाइन किए गए एप का इस्तेमाल किया जाएगा. यह काम तकनीक से लैस युवा सर्वेयर करेंगे.
एप पर डेटा अंकित करने में कर्मियों को असुविधा न हो, इसके लिये पहले मास्टर ट्रेनर की ट्रेनिंग कराकर उनके माध्यम से सर्वेयर एवं सुपरवाइजर सहित सम्बन्धित अन्य कर्मियों की ट्रेनिंग आगामी 12 जुलाई तक पूरी कर ली जाएगी.
मुख्य सचिव ने सर्वेयर और सुपरवाइजर का चयन आगामी 20 जून तक करने का निर्देश दिया है. जनपद स्तर पर प्रोजेक्ट ऑफिसर की जिम्मेदारी मुख्य विकास अधिकारी को सौंपी गई है. मुख्य सचिव ने सर्वे के काम में आने वाली समस्याओं के समाधान के लिये एक हेल्प डेस्क भी बनाने को कहा है.
मुख्य सचिव ने सर्वे की इस परियोजना को अंजाम देने के काम पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी कृषि विभाग के सचिव काे सौंपी है. सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय यूनिट का गठन किया जाएगा. इसमें राजस्व, कृषि, पंचायती राज और उद्यान विभाग के अलावा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा.
इसके अलावा इस योजना को लागू करने की जिम्मेदारी कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी को सौंपी गई है. उनकी अध्यक्षता में प्रदेश स्तरीय इंप्लीमेंटेशन कमेटी का गठन किया जाएगा. इसमें कृषि निदेशक, बतौर सदस्य सचिव एवं सम्बन्धित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी सदस्य के रूप में शामिल होंगे.
इसी प्रकार जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जनपद स्तरीय इंप्लीमेंटेशन कमेटी, उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता में तहसील स्तरीय इंप्लीमेंटेशन कमेटी का गठन किया जाएगा. सभी कमेटियों में प्रोग्रेसिव फार्मर को भी सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा.
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में सभी जिलों का कृषि मानचित्र बनाया जा रहा है. अभी तक 22 जिलों में खेतों का जियो रेफरेंसिंग का कार्य शत-प्रतिशत पूरा हो चुका है. मुख्य सचिव ने शेष जिलों में भी खेतों के जियो रेफरेंसिंग काम को तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए.
उल्लेखनीय है कि यूपी सरकार ने एग्रीस्टैक के संबंध में केंद्र सरकार के साथ एमओयू किया है. एग्रीस्टैक के माध्यम से लैंड रिकॉर्ड रजिस्ट्री, फार्मर रजिस्ट्री एवं क्रॉप रजिस्ट्री का डेटाबेस तैयार किया जा रहा है. यूपी के अलावा गुजरात, मध्य प्रदेश, ओडिशा, असम और राजस्थान ने भी केंद्र सरकार के साथ इस तरह का एमओयू किया है.
यह डेटाबेस, खेती किसानी के लिहाज से किसानों के लिए बहुउपयोगी आयाम विकसित करेगा. इसके माध्यम से फसल बीमा क्लेम, आपदा राहत वितरण, कृषि निवेश का निर्धारण एवं वितरण, कृषि उत्पाद का विक्रय जैसे महत्वपूर्ण कामों में कृषकों को सुविधा होगी. इसके जरिए हर किसान को एक विशिष्ट डिजिटल पहचान भी मिलेगी.
इसके माध्यम से किसानों की खेती, उनका व्यक्तिगत विवरण, उत्पादन एवं उनके वित्तीय विवरणों का रिकॉर्ड दर्ज करना संभव हो सकेगा. जानकारों की मानें तो एग्रीस्टैक किसानों को कृषि खाद्य मूल्य श्रृंखला में एंड-टू-एंड सर्विसेज प्रदान करने के लिए एकीकृत मंच तैयार करेगा.
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एग्रीस्टैक डेटाबेस के आधार पर सरकारी सुविधाएं पाने के लिए किसानों को बार-बार सत्यापन की समस्या से निजात मिलेगी. किसानों की जानकारी उनके आधार के साथ लिंक होगी. सरकार का दावा है कि इससे प्रदेश के लघु एवं सीमांत किसानों को अत्यधिक लाभ मिलेगा.
इतना ही नहीं एग्रीस्टैक के माध्यम से किए जा रहे डिजिटल क्राप सर्वे में प्रत्येक खेत का भौतिक सत्यापन कर संपूूर्ण जानकारी के साथ खेत की फोटो उसी समय एप के माध्यम से अपलोड कर दी जाएगी. इसके साथ ही खेत में लगी फसल का नाम, प्रकार, श्रेणी, सिंचाई का विवरण, बुवाई की तारीख, क्राॅप की फोटो, भूखण्ड का जीआईएस कोऑर्डिनेट्स, क्रॉप सर्वे की तिथि और समय आदि जरूरी जानकारियां एप पर दर्ज की जाएगी.
खेत में साल भर में एक ही फसल पैदा होने या मल्टीपल एवं मिक्सड क्राप और इंटरक्राप होने की जानकारी को भी अपलोड करने की सुविधा उपलब्ध करायी गई है. यह सर्वे रियल टाइम और जियो टैगिंग पर आधारित होने के कारण इससे सटीक परिणाम मिलेंगे. इस डाटा का उपयोग किसान क्रेडिट कार्ड सहित अन्य योजनाओं में किया जाएगा.
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