अप्रैल का महीना चल रहा है और ज्यादातर किसान अपने खेतों में फसलों की कटाई कर रहे हैं. हालांकि इस बीच बिन मौसम बरसात ने कई अन्नदाताओं को परेशानी में डाल रखा है. दूसरी ओर छुट्टा पशुओं की समस्याओं से भी ज्यादातर किसान जूझ रहे हैं. हालांकि किसानों की इस परेशानी को समझते हुए एक नई तकनीक इजाद की गई है. किसानों को छुट्टा पशुओं से राहत दिलाने के लिए गोरखपुर स्थित बुद्धा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी के इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्यूनिकेशन विभाग ने ऐसा हूटर बनाया है जो खेत के पास जानवर के आते ही बजने लगेगा. साथ ही किसान के मोबाइल पर इसका मैसेज भी आएगा जिससे उसे आगाह होने में मदद मिलेगी.
इस हूटर को बुद्धा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्र हर्ष कुमार मिश्रा, शिवम कुमार चौरसिया, आदित्य कसौधन और अनिल कुमार चौधरी ने तैयार किया है. "इंटरनेट ऑफ थिंग्स" पर आधारित इस अनोखे यंत्र को करीब एक माह के भीतर इन छात्रों ने तैयार किया है.
इस हूटर का नाम IOT क्रॉप रक्षक रखा गया है. अभी इस यंत्र का प्रोटोटाइप इन छात्रों ने प्रस्तुत किया है. इन छात्रों का दावा है कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स के तहत तैयार हुए इस यंत्र से खेतों में छुट्टा पशुओं से हो रहे फसलों के नुकसान को बचाने में काफी हद तक मदद मिलेगी.
इस प्रोजेक्ट से जुड़े छात्र हर्ष कुमार मिश्रा ने बताया कि वे भी खेती वाले बैकग्राउंड से आते हैं और छुट्टा पशुओं से परेशान रहे हैं. इस वजह से उन्होंने एक ऐसा यंत्र बनाने का सोचा जिससे किसानों को राहत मिल सके.
इस उपयोगी प्रोजेक्ट से जुड़े छात्र हर्ष कुमार मिश्रा ने बताया कि IOT क्रॉप रक्षक में वाईफाई मॉड्यूल लगा हुआ है जो इंटरनेट से 24 घंटे कनेक्ट रहेगा. इस यंत्र में एक सिम लगाया गया है जो हॉटस्पॉट क्रिएट करेगी और इस प्रोटोटाइप में लगे सभी डिवाइस को आपस में जोड़े रखेगी. साथ ही इस प्रोजेक्ट में ऊपर की तरफ एक सोलर पैनल लगाया गया है जो इस यंत्र को पर्याप्त मात्रा में बिजली उपलब्ध कराएगी. इस यंत्र में एक वाइड रेंज का कैमरा लगाया गया है जिसमें नाइट विजन भी है. लिहाजा जब कोई भी पशु इस कैमरे की रेंज में आएगा तो इस यंत्र में लगा डिटेक्टर उसको डिटेक्ट करेगा जिससे हूटर अपने आप बजना शुरू हो जाएगा.
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यदि उस समय कोई भी जानवर आस-पास मौजूद रहेगा तो यह डिवाइस अगले ही पल उस खेत के मालिक किसान के मोबाइल पर एक एसएमएस अलर्ट भेजेगा. इससे किसान को यह सूचना मिल जाएगी कि उसके खेत में कोई अनावश्यक तत्व या छुट्टा पशु प्रवेश कर चुका है. इस डिवाइस की क्षमता लगभग पांच सौ मीटर है. इस यंत्र को मौसम के अनुकूल बनाया गया है जो बरसात के साथ-साथ अन्य सभी प्राकृतिक परेशानियों से निपटने में सक्षम है.
प्रोजेक्ट से जुड़े छात्र शिव कुमार चौरसिया ने बताया कि इस यंत्र को दो महीने तक एक गांव में रखकर बाकायदा टेस्ट किया गया है, जिसके अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं. टेस्टिंग के बाद ही डिवाइस को लांच किया गया है. इस डिवाइस में ऐसा प्रोग्रामिंग किया गया है जिससे यह किसानों तक सूचना या अलर्ट को पहुंचा सकता है. साथ ही इस यंत्र में सॉइल मॉइस्चर सेंसर भी लगाया गया है जिससे खेत की नमी को मापा जा सकता है. अपने खेत की नमी के बारे में घर बैठे मोबाइल पर जाना जा सकेगा.
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इस प्रोजेक्ट से जुड़े छात्र आदित्य कसौधन ने बताया कि इस यंत्र के प्रोटोटाइप को बनाने में लगभग 50,000 रुपये का खर्च आया है क्योंकि इस यंत्र में लगे सारे उपकरण बहुत ही अत्याधुनिक और हाईटेक हैं. इसलिए खर्चा थोड़ा ज्यादा है लेकिन इसके परिणाम बहुत ही कारगर साबित हो रहे हैं. ऐसा करने से किसान बहुत हद तक अपने खेतों को छुट्टा पशुओं से बचा सकेंगे. इस कॉलेज के निदेशक ने बच्चों की इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर की है.
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