Zero tillage technique: तेल-पानी के खर्च की टेंशन ख़त्म, अब मक्के की खेती में पाएं दोहरा लाभ

Zero tillage technique: तेल-पानी के खर्च की टेंशन ख़त्म, अब मक्के की खेती में पाएं दोहरा लाभ

दरअसल, खेत में शून्य जुताई होने से खेती की नमी या पानी भाप बनकर नहीं उड़ता. इससे खेत में फसल के लिए जरूरी नमी बनी रहती है. इसका फायदा कम सिंचाई के रूप में मिलता है. इस तरह जीरो टिलेज टेक्निक से किसान का कम से कम दो सिंचाई का खर्च बच जाता है. इसलिए आप भी मक्के की खेती करना चाहते हैं और दोहरा लाभ पाना चाहते हैं तो जीरो टिलेज टेक्निक का फायदा जरूर उठाएं.

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Zero tillage technique: तेल-पानी के खर्च की टेंशन ख़त्म, अब मक्के की खेती में पाएं दोहरा लाभजीरो टिलेज टेक्निक के फायदे कई

मक्के की खेती फायदे का सौदा साबित हो रही है. इसकी वजह कई है. मक्के का रेट पहले से बहुत बढ़ गया है, इसलिए किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं. जब से मक्के का इस्तेमाल पोल्ट्री फीड और इथेनॉल बनाने में होने लगा है, तब से मक्के का रेट बढ़ा हुआ है. यही वजह है कि किसान अब अधिक से अधिक मक्के की खेती कर रहे हैं. इसका एक और बड़ा लाभ है. मक्के को कम पानी और कम खाद में उगा सकते हैं. आइए इसकी और भी डिटेल्स के बारे में जान लेते हैं.

मक्के की खेती में जीरो टिलेज टेक्निक बहुत मशहूर है. इस तकनीक के नाम से ही स्पष्ट है कि इसमें खेत में जुताई किए बिना फसल की बुवाई होती है. यही वजह है कि जीरो टिलेज टेक्निक किसानों को कई तरह के लाभ देती है. इसमें भी सबसे प्रमुख दो लाभ हैं-एक, इससे जुताई में लगने वाला तेल का खर्च बचता है. जब खेत में ट्रैक्टर ही नहीं चलेगा तो उसमें डीजल के खर्च का सवाल ही नहीं उठता. इस तरह किसान का तेल का खर्च बच जाता है. दूसरा, पानी का खर्च भी बचता है.

जीरो टिलेज टेक्निक के क्या-क्या फायदे

आइए जान लेते हैं कि जीरो टिलेज टेक्निक से किसानों का पानी का खर्च कैसे बचता है. दरअसल, खेत में शून्य जुताई होने से खेती की नमी या पानी भाप बनकर नहीं उड़ता. इससे खेत में फसल के लिए जरूरी नमी बनी रहती है. इसका फायदा कम सिंचाई के रूप में मिलता है. इस तरह जीरो टिलेज टेक्निक से किसान का कम से कम दो सिंचाई का खर्च बच जाता है. इसलिए आप भी मक्के की खेती करना चाहते हैं और दोहरा लाभ पाना चाहते हैं तो जीरो टिलेज टेक्निक का फायदा जरूर उठाएं.

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जीरो टिलेज टेक्निक के और भी कई फायदे हैं. इस जीरो-टिलेज तकनीक से फसल को पिछली धान की फसल से बची हुई नमी का इस्तेमाल करने का फायदा मिलता है, जिससे उन्हें एक से दो सिंचाई के पानी की बचत होती है और खेती की लागत कम हो जाती है. इसके अलावा, जीरो-टिलेज खेती मिट्टी को नुकसान नहीं पहुंचाती है, जिससे सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को बढ़ावा मिलता है जिससे पौधों को लाभ होता है. सूक्ष्जीव मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ को बढ़ाने में मदद करते हैं.

किसान बचा सकते हैं खेती का खर्च

मक्का बुवाई के समय मजदूरों की कमी भी बड़ी समस्या रहती है. या तो मजदूर कम मिलते हैं या अधिक पैसे की मांग करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि जीरो टिलेज टेक्निक से इस समस्या का समाधान भी मिलता है. आम तौर पर, एक एकड़ मक्का की बुवाई के लिए एक दिन में छह मजदूरों की जरूरत होती है, जो छोटे किसानों के लिए बोझिल हो सकता है. इस कमी के कारण अक्सर बुवाई देर से होती है, जिससे पैदावार कम होती है. लेकिन जीरो टिलेज में किसी मजदूर की जरूरत नहीं होती.

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