आजकल खेती में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ रहा है. लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या किसान उन तकनीकों का इस्तेमाल करने में सक्षम हैं या नहीं. आजकल बाज़ार में कई मशीनें उपलब्ध हैं जिनका इस्तेमाल करके किसान अपना काम आसानी से कर सकते हैं. ऐसे में, किसानक्राफ्ट ड्राई डायरेक्ट सीडेड राइस (DDSR) तकनीक को बढ़ावा देने के लिए एक जागरूकता और शिक्षा अभियान शुरू करने जा रहा है ताकि किसान इन तकनीकों का आसानी से इस्तेमाल कर सकें. यह अभियान 10 अक्टूबर 2025 को उत्तर प्रदेश के सीतापुर से शुरू होगा और दिसंबर 2025 तक चलेगा. यह अभियान 10 राज्यों में चलेगा और इसका उद्देश्य किसानों को आधुनिक, टिकाऊ और लाभदायक धान की खेती के तरीकों से अवगत कराना है.
DDSR यानी ड्राई डायरेक्ट सीडेड राइस एक नई और आधुनिक खेती की विधि है जिसमें धान की खेती बिना पानी भरे और बिना मिट्टी को जोते हुए की जाती है. इसमें धान के बीज सीधे खेत में बोए जाते हैं और पौधों को रोपने की जरूरत नहीं होती. इस तकनीक में:
भारत में एक किलो चावल उगाने के लिए लगभग 5000 लीटर पानी खर्च होता है. ऐसे में DDSR तकनीक एक क्रांतिकारी विकल्प है जो 50-60% तक पानी की बचत करती है. इसके अलावा, चूंकि इसमें खेत में पानी नहीं भरा जाता, तो मेथेन गैस का उत्सर्जन भी न के बराबर होता है, जो सामान्य धान की खेती में होता है और पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है.
यह जागरूकता अभियान उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और ओडिशा के प्रमुख कृषि जिलों में चलाया जाएगा. इस दौरान किसानों को मैदान में प्रदर्शन (field demonstration), प्रशिक्षण कार्यक्रम, और सामूहिक चर्चाओं के माध्यम से DDSR की पूरी प्रक्रिया समझाई जाएगी.
KisanKraft का उद्देश्य है कि किसानों को भूमि की तैयारी, बुवाई की विधि, खरपतवार नियंत्रण, कीट व रोग प्रबंधन जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां दी जाएं ताकि वे इस तकनीक को आत्मविश्वास के साथ अपनाएं. DDSR की किस्में 110-140 दिनों में पकती हैं और अलग-अलग मिट्टी में उगाई जा सकती हैं.
KisanKraft के चेयरमैन रविंद्र अग्रवाल ने कहा "हमारे R&D विभाग द्वारा विकसित किस्मों और उनकी संपूर्ण पैकेज ऑफ प्रैक्टिस के साथ हम भारत में DSR तकनीक को लोकप्रिय बनाना चाहते हैं ताकि किसान अधिक लाभ कमा सकें और पर्यावरण की रक्षा भी हो."
KisanKraft का यह अभियान भारत के किसानों को धान की खेती का एक नया, आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल रास्ता दिखा रहा है. DDSR तकनीक से न केवल पैदावार बनी रहती है, बल्कि पानी की बचत, कम लागत, और पर्यावरण सुरक्षा भी होती है.
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