Male Breeder Goat बकरी पालन में मीट के बाद किसी और से मुनाफा होता है तो वो है दूध. यही वजह है कि बकरी पालक मीट के लिए ऐसे बकरे चाहते हैं जिनकी तेजी से ग्रोथ हो, वजनदार हों, वहीं बकरियां ऐसी चाहिए होती हैं जो ज्यादा से ज्यादा दूध दें. गोट एक्सपर्ट की मानें तो ये कोई नामुमकिन नहीं है, बस जरूरत है कुछ खास मौकों पर अलर्ट रहने की है. जैसे अगर बकरी हीट में आई है और उसे गाभिन करा रहे हैं तो ब्रीडर बकरे को लेकर अलर्ट हो जाएं.
बकरी को गाभिन कराने से पहले उस ब्रीडर बकरे के फैमिली ट्री के बारे में पूरी जानकारी ले लें. जैसे खासतौर पर ब्रीडर बकरे की मां और उसके पिता के बारे में मालूम होना बहुत जरूरी है. वर्ना जरा सी लापरवाही के चलते बकरी का होने वाला बच्चा बीमार और कमजोर हो सकता है. वहीं ब्रीडर बकरा बीमार नहीं होना चाहिए.
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के सीनियर साइंटिस्ट एमके सिंह के मुताबिक ब्रीडर बकरा आपके अपने गोट फार्म हाउस का हो या किसी और का, लेकिन इस बात की तस्दीक कर लेना बहुत जरूरी है कि ब्रीडर उस प्योर नस्ल का है या नहीं जिस नस्ल की बकरी है. वहीं इस बात की जांच भी कर लें कि ब्रीड के मुताबिक ब्रीडर बकरे में वो सारे गुण भी हैं कि नहीं. जैसे उसका रंग, उसकी हाइट, उसका वजन, उसके कान और शरीर की बनावट.
एमके सिंह के अनुसार ब्रीडर बकरे की फैमिली क्वालिटी से मतलब यह है कि जो ब्रीडर की मां है वो दूध कितना देती थी. उस बकरी से एक बार में कितने बच्चे होते थे. इतना ही नहीं जब ब्रीडर पैदा हुआ था तो उस वक्त कितने बच्चे दिए थे. ब्रीडर के पिता की हाइट कितनी थी. पिता की ग्रोथ रेट कैसी थी. ब्रीडर के दूसरे भाई-बहन कैसे हैं.
एमके सिंह के हैल्थ कार्ड पर जो सुझाव हैं उसके मुताबिक जब भी बकरी को गाभिन कराने ले जाएं तो पहले ब्रीडर बकरे की हैल्थ को जरूर जांच लें. अंदरुनी बीमारियों के बारे में जल्दी पता करना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन ब्रीडर फुर्तीला है या नहीं. उसकी उम्र एक-डेढ़ साल है तो उसका वजन उम्र के मुताबिक 35 से 40 किलो हो. साथ ही गाभिन कराने के दौरान इस बात का भी खास ख्याल रखें कि ब्रीडर बकरे में और गाभिन होने वाली बकरी में किसी भी तरह का ब्लड रिलेशन न हो. वर्ना इससे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
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