हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने राज्य के किसानों के लिए एक केंद्र सरकार से एक बड़ी मांग की है. सरकार ने फसल अवशेष प्रबंधन यानी पराली को नष्ट करने में इस्तेमाल होने वाले 10 कृषि मशीनों पर जीएसटी में छूट देने की मांग की है. CM सैनी ने इस संबंध में केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामले की मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है. बता दें कि हरियाणा फसलों की कटाई के बाद पराली की समस्या काफी अधिक होती है, जिसे लेकर सरकार भी पराली नष्ट करने वाली मशीनों पर सब्सिडी देती है.
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बताया कि हाल के वर्षों में पराली जलाना एक बड़ा मुद्दा बन गया है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट और वायु गुणवत्ता आयोग इसकी निगरानी कर रहे हैं.
सैनी ने कहा कि हरियाणा के किसान उन्नत तकनीक अपना रहे हैं और फसल अवशेष को नष्ट करने के लिए नए-नए कृषि उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में केंद्र और राज्य सरकार दोनों पराली को नष्ट करने के लिए मशीनरी पर सब्सिडी दे रहे हैं. बता दें कि साल 2024 में, 2023 की तुलना में पराली जलाने की घटनाओं में 39 फीसदी की कमी आई है.
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राज्य सरकार ने 2025 के लिए एक एक्शन प्लान तैयार किया था, जिसमें फसल अवशेष को नष्ट करने वाली मशीनों की खरीद के लिए लगभग 200 करोड़ रुपये की सब्सिडी का प्रावधान शामिल था. इन मशीनों की कुल लागत लगभग 500 करोड़ रुपये होने की उम्मीद थी, जिसमें 12 फीसदी जीएसटी के कारण किसानों पर लगभग 60 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ने की उम्मीद थी. इसी को लेकर सीएम सैनी ने किसानों की सुविधा के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा है.
सैनी ने वित्त मंत्रालय से कृषि मशीनों जैसे रोटावेटर, डिस्क हैरो, कल्टीवेटर, जीरो ड्रिल, सुपर सीडर, स्ट्रॉ बेलर, हे रेक, स्लेशर, रीपर बाइंडर और ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रे पंप पर जीएसटी छूट देने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार छूट देती है तो इससे किसान इन तकनीकों को अधिक व्यापक रूप से अपनाने के लिए प्रोत्साहित होंगे, जिससे पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने में मदद मिलेगी.
बता दें कि राज्य में कई किसान मशीनों की कमी होने के कारण खेतों में ही पराली को जला देते हैं. वहीं, सरकार के निरंतर प्रयास से हरियाणा में पराली जलाने की संख्या में भारी कमी आई है. दरअसल, हरियाणा में पिछले पांच वर्षों में इस बार सबसे कम पराली जली है. वर्ष 2020 में पराली जलाने के 2699, 2021 में 3438, 2022 में 2377, 2023 में 1372 मामले सामने आए थे. इस बार अभी तक 857 स्थानों पर पराली जलाई गई जो पिछले साल से 315 कम है.
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