हरियाणा सरकार बाढ़ नियंत्रण के लिए एक बड़ी योजना बना रही है, जो राज्य में बाढ़ की स्थिति को नियंत्रित करने में सहायक होगी. राज्य सरकार ने आगामी मॉनसून सत्र से पहले एकीकृत बाढ़ प्रबंधन और सूचना प्रणाली (आईएफएमआईएस) लागू करने का निर्णय लिया है. इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य बाढ़ की रोकथाम में एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना है, ताकि बाढ़ के प्रभावों को कम किया जा सके और इससे होने वाले जान-माल के नुकसान को रोका जा सके.
आईएफएमआईएस प्रणाली में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) का व्यापक उपयोग किया जाएगा, जिससे बाढ़ की पूर्व चेतावनी प्रणाली को बेहतर बनाया जा सकेगा. इसके जरिए बाढ़ की तैयारी और आपदा प्रबंधन में भी सुधार होगा. अधिकारियों ने संबंधित विभागों से 15 अप्रैल तक अपने प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए कहा है.
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इस प्रणाली को उत्तर प्रदेश और बिहार में लागू सर्वोत्तम बाढ़ नियंत्रण प्रथाओं पर आधारित किया गया है, जो राज्य में बाढ़ के प्रभाव को कम करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है. सरकार का मानना है कि यह नई प्रणाली हरियाणा में बाढ़ के नियंत्रण में एक लंबा रास्ता तय करेगी, जहां हर साल बाढ़ के कारण जान और माल की बड़ी हानि होती है.
हरियाणा राज्य सूखा राहत और बाढ़ नियंत्रण बोर्ड ने राज्य में बाढ़ नियंत्रण के लिए कुल 657.99 करोड़ रुपये की 352 योजनाओं को मंजूरी दी है. इसके अतिरिक्त, सिंचाई और जल संसाधन विभाग द्वारा प्रस्तावित मध्यम और दीर्घकालिक योजनाओं पर मई में बाढ़ पूर्व समीक्षा बैठक के बाद निर्णय लिया जाएगा. अधिकारियों के अनुसार, बाढ़ नियंत्रण के लिए अब तक 619 योजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जबकि 302 योजनाओं पर काम चल रहा है.
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अतिरिक्त गृह सचिव एवं वित्त आयुक्त, राजस्व, सुमिता मिश्रा ने कहा, "डेटा आधारित निर्णय लेने से राज्य सरकार बुनियादी ढांचे के निर्माण और बाढ़ शमन के लिए अधिक प्रभावी नीतियां विकसित करने में सक्षम होगी. आईएफएमआईएस अत्यधिक जल-जमाव और मिट्टी के कटाव को रोककर पर्यावरण की रक्षा के लिए स्थायी बाढ़ प्रबंधन रणनीतियों के विकास का भी समर्थन करेगा."
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