देश में किसान आईडी (Farmer ID) बनाने काम तेज चल रहा है. इस स्कीम में किसानों के आधार और उनके लैंड रिकॉर्ड को एक साथ जोड़ते हुए एक डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है. इसके लिए सरकार की ओर से किसानों की रजिस्ट्री की जा रही है जिसे फार्मर रजिस्ट्री (Farmer registry) का नाम दिया गया है. इस रजिस्ट्री के पूरा होने के बाद किसानों को आधार की तरह ही एक नंबर दिया जा रहा है जिसका नाम किसान आईडी है. अभी तक पूरे देश में तकरीबन 360 लाख किसान आईडी बन चुकी है जिसमें यूपी सबसे आगे है.
कुल किसान आईडी बनाने की जहां तक बात है तो अभी तक 11 राज्यों में इसकी तादाद 360 लाख से अधिक पहुंच चुकी है. इस काम में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है जहां अभी तक 120 लाख Kisan ID बन कर तैयार है. इसके बाद दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है जहां लगभग 60.50 लाख आईडी बनाई गई है. तीसरे नंबर पर 50.60 लाख किसान आईडी के साथ मध्य प्रदेश तीसरे पायदान पर है. चौथे नंबर पर गुजरात है जहां अभी तक लगभग 40 लाख फार्मर आईडी बनाई गई है. पांच राज्यों की लिस्ट में सबसे अंत में यानी पांचवें स्थान पर आंध्र प्रदेश है जहां लगभग 30 लाख किसान आईडी बनकर तैयार है.
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Farmer Registry करने के लिए सरकार ने एग्रीस्टैक नाम की मुहिम चलाई है जो कि पूरी तरह से डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर आधारित है. एग्रीस्टैक के जरिये ही किसानों की रजिस्ट्री की जा रही है और फार्मर आईडी बनाकर मुहैया कराई जा रही है. सरकार ने इसके लिए 2027 तक का एक लक्ष्य तय किया है जिस दरम्यान 11 करोड़ किसानों को फार्मर आईडी मुहैया कराई जाएगी. इस विशेष आईडी को किसान पहचान पत्र का नाम दिया गया है. इस आईडी में किसान का लैंड रिकॉर्ड, खेत में बोई गई फसलों की भी जानकारी दर्ज होगी.
जिन 11 राज्यों में फार्मर आईडी बनाने का काम तेजी से चल रहा है उनमें यूपी (120 लाख), महाराष्ट्र (60.50 लाख), मध्य प्रदेश (50.60 लाख), गुजरात (30.90 लाख), आंध्र प्रदेश (20.90 लाख)और राजस्थान (20.20 लाख) के नाम हैं. तमिलनाडु, असम, छ्त्तीसगढ़, ओडिशा और बिहार जैसे राज्यों ने भी किसानों को फार्मर आईडी देने का काम शुरू कर दिया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 26 में 3 करोड़ और वित्त वर्ष 27 में 20 करोड़ किसानों को फार्मर आईडी मिलने का अनुमान है.
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कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, Kisan ID बनने के बाद किसानों को लोन मिलना और फसल बीमा कराने जैसा काम आसान हो जाएगा. इसके अलावा, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का पैसा डीबीटी के जरिये ट्रांसफर करने का काम भी आसान हो जाएगा. अभी तक किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि की राशि देने के लिए एपीआई आधारित सॉफ्टवेयर के जरिये किसानों के लैंड रिकॉर्ड की जांच की जाती है. जानकारी वेरिफाई होने के बाद किसानों को पीएम किसान स्कीम (PM Kisan yojana) का पैसा दिया जाता है. लेकिन अब कृषि मंत्रालय ने नए पीएम किसान लाभार्थियों के लिए फार्मर रजिस्ट्री (Farmer registry) को अनिवार्य कर दिया है.
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