ब्रिंजल+टोमेटो=ब्रिमेटो: एक ही पौधे पर इस विधि से करें बैंगन और टमाटर की खेती

ब्रिंजल+टोमेटो=ब्रिमेटो: एक ही पौधे पर इस विधि से करें बैंगन और टमाटर की खेती

यहां ब्रिमेटो का अर्थ है ब्रिंजल यानी की बैंगन और मेटो अर्थात टोमैटो या टमाटर. वैज्ञानिकों की इस नई खोज में ब्रिमेटो पौधे पर एक साथ बैंगन और टमाटर उगेंगे. ब्रिमेटो से पहले वैज्ञानिकों ने पेमोटो नाम का पौधा तैयार किया था जिसमें आलू और टमाटर एक साथ उगते हैं. पेमोटो हो या ब्रिमेटो, इस तरह के पौधों से किसानों का बहुत लाभ होता है.

Advertisement
ब्रिंजल+टोमेटो=ब्रिमेटो: एक ही पौधे पर इस विधि से करें बैंगन और टमाटर की खेतीएक ही पौधे पर बैंगन और टमाटर की खेती

टेक्नोलॉजी बहुत कारगर चीज है. इसकी बदौलत बड़ी-बड़ी कमी को दूर किया जा सकता है. खेती में तो इसका बड़ा रोल हो जाता है क्योंकि टेक्नोलॉजी की मदद से पैदावार बढ़ाई जा सकती है. इसका नतीजा होगा कि किसानों की आय अपने आप बढ़ती जाएगी. यही वजह है कि सरकार से लेकर कृषि वैज्ञानिक तक आधुनिक खेती और पारंपरिक खेती में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर जोर दे रहे हैं. इसी कड़ी में वैज्ञानिकों ने टेक्नोलॉजी की मदद से एक ऐसा पौधा तैयार किया है जिसमें टमाटर और बैंगन एक साथ उगेगा. इस पौधे का नाम है ब्रिमेटो.

यहां ब्रिमेटो का अर्थ है ब्रिंजल यानी की बैंगन और मेटो अर्थात टोमैटो या टमाटर. वैज्ञानिकों की इस नई खोज में ब्रिमेटो पौधे पर एक साथ बैंगन और टमाटर उगेंगे. ब्रिमेटो से पहले वैज्ञानिकों ने पेमोटो नाम का पौधा तैयार किया था जिसमें आलू और टमाटर एक साथ उगते हैं. पेमोटो हो या ब्रिमेटो, इस तरह के पौधों से किसानों का बहुत लाभ होता है. उन्हें अलग-अलग फसलों की खेती करने के बजाय एक में ही दो तरह की पैदावार मिल जाती है. इससे खेती की लागत कम होती है और उपज बढ़ाने में मदद मिलती है.

ये भी पढ़ें: आजीविका मिशन के तहत महिलाओं ने शुरू किया मछली पालन, म‍िला रोजगार

इस तरह के पौधे ग्राफ्टिंग के जरिये तैयार किए जाते हैं जिसमें देश के कृषि संस्थानों का बड़ा रोल होता है. इस तरह की टेक्नोलॉजी विकसित करने के पीछे असली मकसद देश में सब्जियों की पैदावार बढ़ाने और आयात पर निर्भरता को कम करना होता है. इस बात को एक उदाहरण से समझ सकते हैं. विश्व में चीन के बाद भारत, टमाटर और बैंगन की सबसे अधिक पैदावार वाला दूसरा देश है. लेकिन देश के अनेक राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, तमिलनाडु, केरल, जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश टमाटर उपजाने वाले ऐसे राज्य हैं जहां पैदावार से अधिक खपत होती है.

ऐसे में इन प्रदेशों से टमाटर के निर्यात की संभावना खत्म हो जाती है. पैदावार कम होने के पीछे एक वजह मिट्टी से फसलों में फैलने वाली बीमारी है. इससे टमाटर या अन्य सब्जियों की फसलों का भारी नुकसान होता है. इस नुकसान को कम करने और पैदावार बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी की मदद से पोमोटे और ब्रिमेटो जैसे पौधे तैयार किए गए हैं. इस तरह के पौधों से किसान एक ही खेत में दोनों फसलों की पैदावार बढ़ा सकेंगे.

किसने तैयार किया ब्रिमेटो

ब्रिमेटो को तैयार करने में दो संस्थानों का रोल है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली और भारतीय सब्जी अनुसंधान, वाराणसी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अनंत बहादुर और उनकी टीम ने ब्रिमेटो तैयार किया है. इसके लिए वैज्ञानिकों की टीम ने टमाटर की हाइब्रिड किस्म काशी अमन और बैंगन की हाइब्रिड किस्म काशी संदेश को लिया. काशी अमन ऐसी प्रजाति है जिस पर वायरस का असर नहीं होता जबकि बैंगन की किस्म काशी संदेश पर बाढ़ या सूखे का असर नहीं होता.

ये भी पढ़ें: आजीविका मिशन के तहत महिलाओं ने शुरू किया मछली पालन, म‍िला रोजगार

किसान अगर टमाटर और बैंगन को अलग-अलग लगाएं तो उन्हें अधिक दिनों में पैदावार मिलेगी. काशी संदेश बैंगन 75-78 दिनों में तैयार होता है और काशी अमन टमाटर 80-85 दिनों में तैयार होता है. दूसरी ओर इन दोनों को मिलाकर तैयार किया गया पौधा ब्रिमेटो 60 से 70 दिन में तैयार होता है. ब्रिमेटो पौधे पर एक बैंगन का वजन 230 ग्राम और टमाटर का वजन 70-80 ग्राम होता है. एक ब्रिमेटो पौधे पर 9-12 बैंगन और 22-30 टमाटर लगते हैं. 

कैसे करें ब्रिमेटो की खेती

इसके लिए टमाटर और बैंगन के पौधे का कलम तैयार करना होगा. कलम लगाने के लिए पहले दोनों फसलों की पौध लगानी होगी. बैंगन की पौध लगभग 25 से 30 दिन की और टमाटर की 20 से 25 दिन की होनी चाहिए. दोनों पौध को पेंसिल की तरह छील कर कलम तैयार करते हैं. कलम बांधकर ऐसी जगह पर रखें जहां 5-7 दिन तापमान, नमी और प्रकाश कम रहे. इसके बाद कलम को एक हफ्ते छाया में रखा जाए. फिर इसे रोप दें और 15 दिन बाद इस कलम वाले पौधे को खेत में लगा दें. 60 से 70 दिनों बाद इस ब्रिमेटो पौधे में एक साथ टमाटर और बैंगन आने लगेंगे.

POST A COMMENT