हरियाणा की मुर्रा भैंसों का ठप पड़ा है कारोबार, इस वजह से नहीं म‍िल रहे खरीदार 

हरियाणा की मुर्रा भैंसों का ठप पड़ा है कारोबार, इस वजह से नहीं म‍िल रहे खरीदार 

देश में मुर्रा भैंसों की संख्या 6 करोड़ के आस-पास हैं. तो वहीं इस नस्ल की भैंसों को अच्छा भी माना जाता है. ऐसे में पशुपालकों के बीच इन भैंसों की ड‍िमांड रहती है, ज‍िसके तहत देश भर से लोग हर‍ियाणा से मुर्रा भैंसों की खरीदारी करने आते हैं, लेक‍िन, इन द‍िनों इन भैंसों को खरीदार नहीं म‍िल रहे हैं.  

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हरियाणा की मुर्रा भैंस का ठप पड़ा है कारोबार, इस वजह से नहीं म‍िल रहे खरीदारमुर्रा भैंस की देश में सबसे ज्यादा मांग रहती है. फोटो क्रेडिट- ICAR-CIRB

देश के पशुपालकों के बीच मुर्रा नस्ल की भैंसों की मांग हमेशा से बनी रहती हैं. देशभर के पशुपालक और क‍िसान हर‍ियाणा से मुर्रा नस्ल की भैंस खरीदने के ल‍िए जाते हैं. मुर्रा नस्ल की इस मांग के चलते कभी मुर्रा नस्ल की वेट‍िंग 6-6 महीने तक रहा करती थी. लेक‍िन इन द‍िनों हर‍ियाणा की मुर्रा भैंसों कारोबार ठप पड़ा है. आलम ये है क‍ि मुर्रा भैंसों के खरीदार नहीं आ रहे हैं. जिन्होंने बुकिंग कराई थी, वो भी अपना एडवांस वापस मांग रहे हैं. इसके पीछे लंपी स्कीन ड‍िजीज प्रमुख वजह है. बेशक ये बीमारी अब खत्म हो गई है. लेक‍िन, इसके बाद भी इस वजह से देशभर से पशुपालक और क‍िसान मुर्रा नस्ल की भैंस खरीदने के ल‍िए हर‍ियाणा नहीं पहुंच जा रहे हैं. 

 हरियाणा के 150 किमी के दायरे में आने वाले सात इलाकों से मुर्रा भैंस देश के दूसरे इलाकों में भेजी जाती है. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकार भी मुर्रा भैंस की बड़ी खरीदार हैं. लेकिन इस वक्त सरकारी ऑर्डर भी बंद हो गए हैं.

सरकारी आदेश बना है वजह

लंपी स्किन डिजीज के चलते अगस्त 2022 से पशुओं को ट्रांसपोर्ट करने पर रोक लगी हुई है. इस संबंध में सरकारी आदेश जारी क‍िए गए है. ज‍िसके तहत एक राज्य से दूसरे राज्य की बात तो दूर प्रतिबंध के चलते एक शहर से दूसरे शहर में पशुओं को ट्रांसपोर्ट नहीं किया जा सकता है. यही मुर्रा भैंस के साथ हो रहा है. हर महीने करीब 800 से 850 मुर्राह भैंस की होने वाली बिक्री एकदम से ठप्प पड़ी हुई है.  

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मुर्रा भैंस की सबसे बड़ी खरीदार हैं राज्य सरकारें

मुर्रा भैंस एसोसिएशन के प्रधान नरेन्द्र सिंह ने किसान तक को बताया कि हरियाणा से मुर्रा भैंस की सबसे बड़ी खरीददार राज्यों की सरकारें हैं. जिसमे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकार सबसे ज्यादा मुर्रा भैंस खरीदती है. रोहतक, हरियाणा से बड़ी संख्या में मुर्रा भैंस आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जाती हैं.

2009 तक स्पेशल ट्रेन से भैंसे दूसरे राज्यों को भेजी जाती थीं, लेकिन, अब ट्रक से भेजी जाती हैं. राज्य सरकारों के टेंडर पर भैंसों की खरीद-फरोख्त होती है. आंकड़ों के मुताबिक राज्य सरकारें हर महीने करीब 700 से 750 भैंसे खरीदती हैं. सबसे ज्या‍दा मुर्रा भैंस जींद,पानीपत, रोहतक, हिसार, भिवानी, महेन्द्र गढ़, नारनौल और झज्जर में पाई जाती हैं.

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सवा लाख रुपये तक मुर्रा भैंस की कीमत

नरेन्द्र  सिंह ने बताया कि टेंडर के माध्याम से राज्य सरकारें जो मुर्रा भैंस की खरीद करती हैं, उनकी कीमत औसत 80 हजार से एक लाख रुपये तक आती है. जबकि मुर्रा भैंस के जो खरीदार सीधे आते हैं. उन्हें एक मुर्रा भैंस एक लाख से लेकर सवा लाख रुपये तक की पड़ती है.

हरियाणा से बड़ी संख्या में मुर्रा भैंस खरीदने वालों में यूपी, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, मध्या प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और बिहार के लोग होते हैं. मुर्रा भैंस के सौदे करने ज्यादातर कारोबारी सीधे हरियाणा आते हैं. पशु मेलों में यह कारोबारी पहले मुर्रा के बारे में जानकारी जुटा लेते हैं कि कहां, कैसी और कितने की मिल रही है. 

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