
आज कल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI तकनीक का सभी क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जाता है. महाराष्ट्र के बारामती में कृषि विज्ञान केंद्र में अब एआई तकनीक की मदद से गन्ने की फसल उगाई गई है. और खास बात है कि विशेषज्ञों को गन्ने की फसल में फायदेमंद असर दिखाई दे रहा है. आजकल खेती में जिस तरह से एआई तकनीक का चलन बढ़ रहा है, उसे देखते हुए आने वाले समय में इसके कई सारे फायदे दिखने वाले हैं. बारामती में गन्ने की खेती इसी का एक बड़ा उदाहरण है.
बारामती के एग्रीकल्चर डेव्हलपमेंट ट्रस्ट ने माइक्रोसॉफ्ट की मदद से कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करके राज्य भर के 1,000 किसानों के खेतों पर गन्ने की खेती को सफलतापूर्वक लागू किया है. इससे किसानों को यह विश्वास भी हुआ है कि पारंपरिक खेती की तुलना में कम उत्पादन लागत पर अधिक कुशल खेती की जा सकती है. माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला ने भी गन्ने की खेती की जानकारी लेकर बारामती कृषि विज्ञान केंद्र की सराहना की है.
इस संबंध में बारामती स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के प्रायोगिक क्षेत्र में प्रदर्शन (डेमो) किए गए हैं और सात से आठ महीने पुराना यह गन्ना वर्तमान में राज्य भर के 500 किसानों के खेतों में उगाया जा रहा है. इस गन्ने का परीक्षण 500 किसानों के खेतों में किया गया है. इसमें कृषि विज्ञान केंद्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का उपयोग करते हुए एक वॉर रूम बनाया गया है, जिसके माध्यम से सभी क्षेत्रों से प्रयोगों को एकत्रित किया जा रहा है. एआई तकनीक से लैस सेंसर यह निर्धारित कर सकते हैं कि गन्ने के खेत में कितने पानी की जरूरत है. किस क्षेत्र में किस खाद की कमी है, किस स्थान पर कितने पानी की जरूरत है. इसके साथ ही मौसम में परिवर्तन, हवा के पैटर्न, और बीमारियों और कीटों के बारे में भी सटीक पूर्वानुमान लगाया जा रहा है.
बारामती कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ तुषार जाधव ने कहा, एआई तकनीक का इस्तेमाल करके उगाई गई फसल पारंपरिक गन्ना खेती की तुलना में गन्ना उत्पादन की क्वालिटी और मानक को बढ़ाने में मदद की है. किसान खुद भी विश्वास जता रहे हैं कि इस तकनीक से प्रति एकड़ गन्ने का उत्पादन 30 प्रतिशत बढ़ जाएगा. इस प्रयोग पर माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला का ध्यान गया, जो भारत की यात्रा पर थे. कृषि विकास ट्रस्ट के सीईओ नीलेश नलवाडे और उनके सहयोगियों ने उनके सामने प्रस्तुति दी. इसके बाद एआई तकनीक पर काम शुरू हो गया.
इस अवसर पर सत्य नडेला ने बारामती की किसान सीमा चव्हाण से भी बातचीत की और जानकारी ली. यह जानकारी मिलने के बाद उन्होंने इस प्रयोग पर अपनी खुशी जाहिर की. नडेला ने किसान से कहा कि प्रगतिशील कृषि का भविष्य वह है जिसमें इस तकनीक के माध्यम से उच्च उपज, कम लागत वाली कृषि का निर्माण किया जा सके. सत्य नडेला ने राय जाहिर की है कि यह विश्वास बारामती में हुए इस प्रयोग से आया है.
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