scorecardresearch
गांव वाले श्रमदान से बनाते हैं बोरी बांध, पलायन को मात देने के ल‍िए करते हैं ये काम

गांव वाले श्रमदान से बनाते हैं बोरी बांध, पलायन को मात देने के ल‍िए करते हैं ये काम

गुमला जिले के घाघरा प्रखंड अंतर्गत गुनिया जरगाटोली गांव में बोरी बांध का निर्माण किया गया है. लगभग हर साल यहां पर ग्रामीण इसे बनाते हैं. गांव के ग्रामीण इसे मिलकर श्रमदान करके बनाते हैं,

advertisement
ग्रामीणों द्वारा बनाया गया बोरी बांध                 फोटोः किसान तक ग्रामीणों द्वारा बनाया गया बोरी बांध फोटोः किसान तक

झारखंड में सिंचाई एक बडी समस्या है. यहां की भौगोलिक स्थिति ऐसी है की यहां की जमीन पर पानी नहीं ठहरता है. ऐसे में अधिकांश किसान खेती के लिए बारिश के पानी पर निर्भर हैं. हालांकि झारखंड की एक खासियत यह भी है कि यहां पर नदी और नालों की संख्या अधिक है, जहां से पानी का बहाव होता है. पानी के इस बहाव को रोक कर बांध बनाया जाता है. इसके ल‍िए कई गांवों में ग्रामीण बोरी बांध बनाते हैं, इसके जरिए पानी के बहाव को रोका जाता  है और ठहरे हुए पानी का इस्तेमाल किसान सिंचाई के लिए कर सकते हैं. ऐसे ही एक गांव की कहानी गुमला जिले के घाघरा प्रखंड अंतर्गत गुनिया जरगाटोली गांव की भी हैं. यहां के ग्रामीण श्रमदान से बाेरो बांध बनाते हैं. इस बोरी बांध बनाने का फायदा ये होता है कि‍ गांव से आज‍िवि‍का के ल‍िए पलायन करने वाले लोगों की संख्या में बड़ी कमी दर्ज की गई है. 

श्रमदान में केवीके करता है मदद 

लगभग हर साल यहां के ग्रामवासी बोरी बांध को बनाते हैं. गांव के ग्रामीण इसे मिलकर श्रमदान करके बनाते हैं, इसमें बोरी का सहयोग कृषि विज्ञान केंद्र बिशुनपुर की तरह से दिया जाता है. इसके अलावा गांव के किसानों को समय-समय पर कृषि से संबंधित सलाह भी केवीके के वैज्ञानिकों द्वारा दी जाती है, इसका फायदा ग्रामीणों को मिलता है और वो अच्छे तरीके से खेती कर पा रहे हैं. यहां के ग्रामीण बलभद्र गोप बताते हैं कि बोरी बांध बनाने के बाद गांव के किसानों को काफी लाभ हुआ है और गांव से होने वाले पलायन में भी कमी आई है.

ये भी पढ़ें- यूपी: किसानों की चिंता बढ़ा रहा मौसम का बदलता मिजाज, बागवानी किसान बेफिक्र

जलस्तर बढ़ने से बढ़ा खेती का रकबा

बलभद्र गोप बताते हैं कि गांव की भौगोलिक स्थिति ऐसी है की सारा पानी बहकर गांव के बाहर चला जाता है. ऐसे में मार्च अप्रैल का महीना आते-आते गांव के कुएं सूख जाते थे, इसलिए किसान सिंचाई के अभाव में खेती नहीं कर पाते थे, इससे पहले चेक डैम बनाए गए थे, लेकि‍न वे कारगर साब‍ित नहीं हुए. इसलिए समस्या से पार पाने के लिए ग्रामीणों ने बोरी बांध का निर्माण किया. इसका फायदा यह हुआ की गांव के कुओं का जलस्तर चार से पांच फीट ऊपर आ गया है. 

पलायन में आई कमी

गर्मियों के मौसम में बांध बनने से जमा हुए पानी से गांव की करीब 10 से 15 एकड जमीन में सिंचाई हो जाती है.गर्मी के मौसम में यहां आस-पास के क्षेत्र में हरियाली फैली होती है. बोरी बांध का एक फायदा यह हुआ है कि गांव में सिंचाई की सुविधा हो गई है. इससे काफी संख्या में लोग खेती कर रहे हैं और पलायन में भी कमी आई है. बलभद्र बताते हैं कि गांव में लगभग 100 परिवार रहत हैं, जिनमें से आधे परिवार खेती के लिए पूरी तक खेती पर निर्भर है. ऐसे में बोरी बांध बन जाने से उन्हें काफी लाभ हो रहा है.