पंजाब में धान के किसानों की पसंद बन रहा है स्‍मार्ट ट्रैक्टर-सीडर, जानें कैसे उनकी आय में हो रहा इजाफा 

पंजाब में धान के किसानों की पसंद बन रहा है स्‍मार्ट ट्रैक्टर-सीडर, जानें कैसे उनकी आय में हो रहा इजाफा 

Paddy Farming: साल 2021 में विकसित, ट्रैक्टर से चलने वाला यह सीडर मिट्टी तैयार करने, पॉलीथीन बिछाने, बीज बोने और मिट्टी को ढकने जैसे सभी जरूरी कामों को एक ही बार में आसान बना देता है. 40+ एचपी ट्रैक्टर से चलने वाली यह मशीन, सिर्फ 4.65 लीटर प्रति घंटे की ईंधन खपत के साथ, रोजाना करीब 150 एकड़ में रोपाई के लिए मैट तैयार कर सकती है. यह 64 से 68 प्रतिशत लागत और 93 से 94.4 फीसदी तक मेहनत की बचत करता है.

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पंजाब में धान के किसानों की पसंद बन रहा है स्‍मार्ट ट्रैक्टर-सीडर, जानें कैसे उनकी आय में हो रहा इजाफा tractor seeder: पंजाब में किसानों की पहली पसंद बनी यह खास मशीन

पंजाब एग्रीकल्‍चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) ने ट्रैक्टर से चलने वाला मैट-टाइप नर्सरी सीडर पेश किया है. यह अब तेजी से किसानों का पसंदीदा बनता जा रहा है. परंपरागत रूप से, धान की मशीन से रोपाई के लिए जरूरी मैट-टाइप नर्सरी तैयार करने में बहुत मेहनत लगती थी, इस काफी धीमी गति से काम होता था और साथ ही इसमें लागत भी ज्‍यादा आती थी. लेकिन अब पीएयू के इस नए आविष्कार ने किसानों की पूरी दुनिया को बदल दिया है. 

लागत में 68 फीसदी तक बचत 

साल 2021 में विकसित, ट्रैक्टर से चलने वाला यह सीडर मिट्टी तैयार करने, पॉलीथीन बिछाने, बीज बोने और मिट्टी को ढकने जैसे सभी जरूरी कामों को एक ही बार में आसान बना देता है. 40+ एचपी ट्रैक्टर से चलने वाली यह मशीन, सिर्फ 4.65 लीटर प्रति घंटे की ईंधन खपत के साथ, रोजाना करीब 150 एकड़ में रोपाई के लिए मैट तैयार कर सकती है. यह 64 से 68 प्रतिशत लागत और 93 से 94.4 फीसदी तक मेहनत की बचत करता है. इससे यह पारंपरिक तरीकों की तुलना में 30 गुना अधिक कुशल हो जाता है. 

कई किसान कर रहे प्रयोग

यह स्मार्ट सीडर एक समान रूप से बुवाई करता है. धान की 24-27 मिमी मोटाई की एक जैसी मैट तैयार करता है और हाथ से बीज तैयार करने की थकान को दूर करता है. इसकी सफलता जमीनी स्तर पर भी साफ नजर आने लगी है. होशियारपुर में, तीन प्रगतिशील किसानों ने खरीफ 2023 के दौरान विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में इस मशीन का प्रयोग किया और 300 एकड़ से ज्‍यादा क्षेत्र में नर्सरी तैयार की. खरीफ 2025 तक, यह संख्या बढ़कर 500 एकड़ हो गई. उनमें से एक, कोट फतूही के गुरदीप सिंह को मार्च 2025 में पीएयू में आयोजित किसान मेले में कृषि मशीनीकरण के लिए सीआरआई पंप्स पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. 

अब तक बिकीं कई मशीनें 

पीएयू-केवीके के प्रशिक्षण अभियानों और खेतों में प्रदर्शन से प्रोत्साहित होकर, कई किसान अब 3.35 लाख रुपये की कीमत वाली यह मशीन 40 फीसदी सरकारी सब्सिडी के साथ खरीद रहे हैं. मुल्लांपुर स्थित राजाढ़ एग्रीकल्चरल वर्क्स द्वारा पूरे भारत में पहले ही 28 मशीनें बेची जा चुकी हैं. धीरे-धीरे यह इनोवेशन देश के दूसरे हिस्‍सों में भी लोकप्रिय हो रहा है. 

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