बेंगलुरु के तहत आने वाले देवेनाहल्ली के करीब 13 गांवों के किसानों ने 26 अप्रैल को होने वाले लोकसभा मतदान का बायकॉट करने का फैसला किया था. लेकिन अब जो खबरें आ रही हैं, उसके मुताबिक किसानों ने अपना फैसला वापस ले लिया है. मंगलवार को जिला प्रशासन ने किसानों को मनाने में सफलता हासिल की है. इन किसानों को भरोसा दिलाया गया है कि चुनाव के बाद उनके मसलों को तुरंत सुलझाया जाएगा.
पालया, हरालूर, पोलनाहल्ली, नेल्लोर, मल्लेपुरा, नल्लापप्नाहल्ली, चीमाछानाहल्ली, मत्ताबारलू, मदेनाहल्ली, चन्नरायपटना और दूसरे गांवाों की तरफ से साल 2022 में आए एक नोटिफिकेशन का विरोध किया जा रहा है. इस नोटिफिकेशन के मुताबिक 1777 एकड़ कृषि भूमि का अधिग्रहण उस क्षेत्र में एक इंडस्ट्रीयल एरिया को विकसित करने के लिए किया जाएगा.
इन गांवों में बसे किसानों की तरफ से पिछले 752 दिनों से विरोध प्रदर्शन जारी था. बेंगलुरु रूरल डिस्ट्रीक्ट इंचार्ज केएच मुनियाप्पा ने गांवों का दौरा किया था. मंगलवार को इन गांवों में गए और उन्होंने गांववालों से अपील की कि वो चुनाव में हिस्सा लें और चुनाव पूरे होने के बाद उनकी मांगों पर कार्यवाही की जाएगी.
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23 मई, 2022 से, 13 गांवों के किसान हर दिन देवनहल्ली तालुक के चन्नरायपटना गांव में इकट्ठा हो रहे थे. इन किसानों का मकसद कर्नाटक सरकार से अपने फैसले को रद्द करने की मांग को मजबूत करना था. एक समृद्ध कृषि बेल्ट है जहां पर कई तरह की बागवानी, रेशम उत्पादन, पशुपालन और बाकी कृषि गतिविधियां होती हैं जिसमें रागी और प्रसिद्ध बैंगलोर नीले अंगूर,अलग-अलग तरह की सब्जियां और फलों और हाल ही में फूलों यहां पर खेती शामिल हुई है.
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अक्टूबर 2023 में किसानों ने 567 दिनों के लगातार विरोध के बाद, देवेनाहल्ली में कर्नाटक के उद्योग मंत्री से मुलाकात की थी. बताया जा रहा है कि 1777 एकड़ कृषि भूमि के अधिग्रहण से 13 गांवों के करीब 450 परिवारों पर असर पड़ेगा. किसानों का कहना था कि वो किसी भी हालत में जमीन नहीं छोड़ेंगे.
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