तमिलनाडु के करीब 200 किसान फसल की कीमतों और नदियों को जोड़ने के संबंध में अपनी चिंताओं को उठाने के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर इकट्ठा हुए हैं. अपने विरोध के तौर पर कुछ किसान ध्यान आकर्षित करने के लिए एक मोबाइल टावर पर भी चढ़ गए. हल और झंडों से लैस किसान खोपड़ियां और हड्डियां भी लेकर आए हैं. इन किसानों का दावा है कि ये उन किसानों की हैं जिन्होंने मुश्किल स्थिति का सामना करने के कारण अपनी जान ले ली है.
प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार के कृषि आय दोगुनी करने के वादे के बावजूद फसल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं. एक किसान ने कहा, 'हम फसलों की दो गुना लाभदायक कीमतें, किसानों को 5,000 रुपये की पेंशन, व्यक्तिगत बीमा और भारत में सभी नदियों को जोड़ने की मांग करते हैं.' एक बयान में किसानों ने घोषणा की है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए वाराणसी जाएंगे.
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प्रदर्शनकारी अपनी आवाज सुनने और सरकार द्वारा अपने मुद्दों का समाधान करने के अपने संकल्प पर दृढ़ हैं. पुलिस ने कहा कि तमिलनाडु से बड़ी संख्या में किसान जंतर-मंतर पर इकट्ठा हुए. इनमें से कुछ ने पास के पेड़ों और एक मोबाइल टावर पर चढ़ने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों में से एक को मोबाइल टावर से वापस जमीन पर लाने के लिए फायर ब्रिगेड क्रेन का इस्तेमाल किया.
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नई दिल्ली के डिप्टी पुलिस कमिश्नर देवेश कुमार महला ने कहा कि करीब 50 किसान नदियों को जोड़ने की मांग कर रहे थे. उनमें से दो ने मोबाइल टावर पर चढ़ने की कोशिश की, लेकिन वे जमीन पर आ गये. दिल्ली दमकल सर्विस के एक सीनियर ऑफिसर ने कहा कि उन्हें विरोध प्रदर्शन के बारे में फोन आया. इसके बाद वे स्काई लिफ्टों के साथ स्थान पर पहुंचे और किसानों को मोबाइल टावर से हटा दिया गया.
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