पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी तेजी से वायरल हुआ और लोगों ने इसे काफी पसंद भी किया. यह वीडियो था लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) की शांभवी कुणाल चौधरी का जो टिकट मिलने की खुशी में अपने पिता अशोक चौधरी के गले लगती हैं. बेटी ने दौड़कर अपने पिता को गले लगाते हुए अपनी खुश जाहिर करती हैं. पिता अशोक इस समय बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कैबिनेट में मंत्री हैं और शांभवी परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं जो राजनीति में उतर रही हैं. पिता अशोक से पहले उनके दादा महावीर चौधरी कांग्रेस से आते थे और वह भी बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं. जानिए कौन हैं शांभवी और क्या है उनकी शिक्षा-दीक्षा.
एलजेपी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथ हुए सीट शेयरिंग समझौते के तहत शांभवी को उतराने का ऐलान किया है. शांभवी इन लोकसभा चुनावों की सबसे कम उम्र की उम्मीदवार हैं जो दलित हैं. 25 साल की शांभवी को समस्तीपुर से मैदान में उतारा गया है. समस्तीपुर सीट दलित आरक्षित सीट है और शांभवी से पहले सीट का नेतृत्व चिराग के चचेरे भाई प्रिंस राज ने किया था. प्रिंस फिलहाल पाला बदलकर चाचा पशुपति कुमार पारस से हाथ मिला चुके हैं. शांभवी का जो वीडियो वायरल हो रहा है, उसमें पिता अशोक को कहते हुए सुना जा सकता है कि बेटी ने जो सपना बचपन में देखा था, अब वह सच हो रहा है.
यह भी पढ़ें-पंजाब में प्राइवेट गोदामों पर नहीं होगी गेहूं की सरकारी खरीद, सरकार ने लिया बड़ा फैसला
अशोक चौधरी और उनकी बेटी शांभवी चौधरी लोकसभा चुनाव 2024 में टिकट पाने के लिए काफी कोशिश कर रहे थे. अशोक चौधरी, शांभवी को जमुई लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में देखना चाह रहे थे, लेकिन वहां से टिकट नहीं मिलने पर चिराग पासवान ने शांभवी चौधरी को समस्तीपुर से पार्टी का टिकट दिया है. पिता अशोक के लिए भी बेटी को टिकट मिलना एक इमोशनल पल था. शांभवी ने नॉट्रेडम एकेडमी पटना से स्कूल की पढ़ाई की है. इसके बाद उन्होंने देश के प्रतिष्ठित लेडी श्री राम कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. फिलहाल वह मगध यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रही हैं.
यह भी पढ़ें- वायनाड से राहुल गांधी ने दाखिल किया पर्चा, जानिए कांग्रेस नेता के सामने क्या हैं चुनौतियां
शांभवी के लिए समस्तीपुर काफी मायने रखता है. यह उनके पति शायन कुणाल का ननिहाल भी है. शांभवी के ससुर किशोर कुणाल आईपीएस ऑफिसर रह चुके हैं. वह इस पीएचडी में तो बिजी हैं ही साथ ही साथ पटना के ज्ञान निकेतन स्कूल की डायरेक्टर भी हैं. वह स्कूल की सारी जिम्मेदारी देखती हैं और सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं. शांभवी के पिता ने उन्हें बस एक ही सलाह दी है कि मतदाता हमेशा भगवान की तरह होता है. ऐसे में उन्हें कभी निराश नहीं करना चाहिए. अगर क्षमता 100 फीसदी है तो आपको उनके लिए 150 फीसदी तक काम करना होगा.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today