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वायनाड से राहुल गांधी ने दाखिल किया पर्चा, जानिए दक्षिण की इस सीट पर कांग्रेस नेता के सामने क्या हैं चुनौतियां 

वायनाड से राहुल गांधी ने दाखिल किया पर्चा, जानिए दक्षिण की इस सीट पर कांग्रेस नेता के सामने क्या हैं चुनौतियां 

केरल के वायनाड से कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने बुधवार को केरल के वायनाड से आगामी लोकसभा चुनावों के लिए नामांकन दाखिल किया वायनाड, केरल का अल्‍पसंख्‍यक बहुल इलाका है जिसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. इस बार यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा. इस बार राहुल के सामने सीपीआई की एनी राजा और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राज्य प्रमुख के सुरेंद्रन से होगा. 

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पिछली बार चुनावों में मिली थी राहुल को शानदार जीत  पिछली बार चुनावों में मिली थी राहुल को शानदार जीत

केरल के वायनाड से कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने बुधवार को केरल के वायनाड से आगामी लोकसभा चुनावों के लिए नामांकन दाखिल किया. वायनाड वह सीट है जिसे कांग्रेस के लिए सुरक्षित माना जाता है. इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि साल 2009 से यहां पर सिर्फ कांग्रेस उम्‍मीदवार ही जीत रहे हैं. ऐसे में विशेषज्ञ वायनाड को न सिर्फ दक्षिण भारत में कांग्रेस को मजबूत करने का प्रयास मान रहे हैं बल्कि वो इसे व्‍यापक राष्‍ट्रीय राजनीति परिदृश्य में भी महत्वपूर्ण मानते हैं. वायनाड, केरल का अल्‍पसंख्‍यक बहुल इलाका है जिसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. इस बार यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा.

राहुल के सामने कौन 

साल 2019 में राहुल गांधी को इस सीट के तहत आने वाले सभी सातों विधानसभा क्षेत्रों में भारी जीत मिली थी. कोझिकोड और मलप्पुरम तक फैले वायनाड ने राहुल को 4.3 लाख से ज्‍यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. यह पिछले लोकसभा चुनावों में पार्टी की सबसे बड़ी जीत थी. उस समय राहुल गांधी ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला नेता पीपी सुनीर के खिलाफ जीत हासिल की थी. अब, पांच साल और दो विशाल यात्राओं में 10000 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद, कांग्रेस को भरोसा है कि इस सीट पर ब्रांड राहुल की बराबरी कोई नहीं कर सकता है. उसे उम्मीद है कि जीत का अंतर इस बार भी उतना ही होगा. इस बार राहुल के सामने सीपीआई की एनी राजा और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राज्य प्रमुख के सुरेंद्रन से होगा. 

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कांग्रेस रही यहां वोटर्स की पसंद 

राहुल से पहले केरल कांग्रेस  कार्यसमिति के पूर्व अध्यक्ष एम.आई. शानवास साल 2009 और 2014 में वायनाड से चुने गए. नवंबर 2018 में अपनी मृत्यु तक संसद के सदस्य बने रहे. उन्‍होंने  2014 में सीपीआई के जोशीले और लोकप्रिय नेता सत्यन मोकेरी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. हालांकि उसे एक बड़ी चुनौती माना गया था. शानवास 20870 वोटों के मामूली अंतर से चुनाव जीतने में सफल रहे थे. यह तब हुआ जब कांग्रेस ने एक निर्दलीय सत्यन थझेमंगद को भी मैदान में उतारा, जिसने 5476 वोट हासिल किए. 

साल 2019 में अमेठी में राहुल गांधी को केंद्रीय मंत्री स्‍मृति गांधी ने मात दी थी. इसके बाद वायनाड से राहुल ने चुनाव जीता और उनके चुनाव जीतते ही यह क्षेत्र एक हाई-प्रोफाइल संसदीय क्षेत्र बन गया. राहुल  और कांग्रेस हाईकमान उनके लिए एक सुरक्षित राजनीतिक ठिकाने की तलाश कर रहे थे. अल्पसंख्यक चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते थे और उस समय भारत में कोई और निर्वाचन क्षेत्र वायनाड जैसी राजनीतिक सुरक्षा प्रदान नहीं करता था. 

राहुल गांधी की मुश्किलें 

राहुल गांधी को बचाने में वायनाड की अहमियत कांग्रेस पार्टी या बीजेपी दोनों के लिए ही कम नहीं है. इसलिए यह कोई हैरानी की बात नहीं है कि बीजेपी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन को वहां उतारा है. हालांकि इस बार राहुल गांधी के लिए सब कुछ ठीक नहीं है. इंसानों और जानवरों के संघर्ष की बार-बार की घटनाओं और स्थानीय लोगों के विरोध प्रदर्शनों ने वायनाड को हिलाकर रख दिया है. राहुल का नियमित रूप से संसदीय क्षेत्र में न आना भी चर्चा का विषय है. के सुरेंद्रन ने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद कहा, 'राहुल गांधी से ज्‍यादा जंगली हाथियों ने वायनाड का दौरा किया है.' 

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सात विधानसभा क्षेत्रों वाला वायनाड 

सूत्रों का यह भी कहना है कि दक्षिण के किसी और जगह कह तुलना में वायनाड से फिर से चुनाव लड़ना, राहुल गांधी की ही पसंद थी. बताया जा रहा है कि वह नहीं चाहते थे कि उन्हें उन मतदाताओं को छोड़ कर जाना पड़े जो राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई में उनके साथ खड़े थे. यह भी ध्यान देने योग्य है कि संख्यात्मक रूप से, राहुल  को यहां पर कोई खतरा नहीं है. हालांकि यह भी सच है कि इस बार उनकी जीत बहुत कम अंतर वाली हो सकती है. वायनाड में सात विधानसभा क्षेत्र हैं: कलपेट्टा, मनंतावडी, सुल्तान बाथरी, थिरुवंबाडी, एरानाड, नीलांबुर और वंडूर. कलपेट्टा और मनंतावडी अनुसूचित जनजाति संसदीय क्षेत्र हैं और वंडूरअनुसूचित जाति निर्वाचन क्षेत्र है. 

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राहुल के लिए आरामदायक क्षेत्र 

साल  2021 के विधानसभा चुनावों में, मनंतावडी, थिरुवंबाडी और नीलांबुर  कम्युनिस्ट पार्टी के पाले में चले गए. बाकी चार ने वाम लोकतांत्रिक मोर्चे के पक्ष में लहर के बावजूद कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट को चुना.  वायनाड में कुल मतदाताओं में अनुसूचित जाति के लोग तीन फीसदी हैं, जबकि अनुसूचित जनजाति के लोग 9.5 प्रतिशत हैं. मुस्लिम 32 प्रतिशत और ईसाई 13 प्रतिशत हैं. इन अल्पसंख्यक समूहों की बहुतायत और सीट पर जरूरी हिंदुत्व वोट बैंक की अनुपस्थिति राहुल गांधी के लिए एक आरामदायक क्षेत्र बनाती है.  

उम्‍मीदवारी से नाराज सीपीआई! 

वहीं माना जा रहा है कि राहुल गांधी को इस बार कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है और प्रचार में पूरी ताकत झोंकनी पड़ सकती है.  केरल में वामपंथियों ने इस बार राहुल गांधी की उम्मीदवारी पर तब से ही आपत्ति जताई थी, जब से इंडिया ब्लॉक का गठन हुआ था. उनका तर्क था कि इंडिया फ्रंट के मुख्य चेहरे को बीजेपी के गढ़ में चुनाव लड़ना चाहिए, न कि केरल में अपने ही गठबंधन सहयोगी के खिलाफ. कन्याकुमारी से कश्मीर तक की भारत जोड़ो यात्रा पूरी करने के बाद राहुल गांधी वायनाड पहुंचे और इस जगह को 'अपना घर' बताया था.