जब पाकिस्‍तान रख रहा था भारत में चुनाव पर नजर,  इस्‍लामाबाद में नवाज शरीफ को हो रही थी टेंशन 

जब पाकिस्‍तान रख रहा था भारत में चुनाव पर नजर,  इस्‍लामाबाद में नवाज शरीफ को हो रही थी टेंशन 

साल 2014 में भारत में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई में एनडीए की सरकार बनने वाली थी. जहां भारत में नई सरकार को लेकर जनता में नई उम्‍मीदें थीं तो पाकिस्‍तान में थोड़ा चिंता का माहौल था. एक दशक के बाद भारत में एनडीए की सरकार सत्‍ता में वापसी कर रही थी. 

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जब पाकिस्‍तान रख रहा था भारत में चुनाव पर नजर,  इस्‍लामाबाद में नवाज शरीफ को हो रही थी टेंशन जब भारत में चुनावों को लेकर पाकिस्‍तान में भी टेंशन

भारत और पाकिस्‍तान दोनों पिछले सात दशक से ऐसे पड़ोसी के तौर पर हैं जिनके रिश्‍ते तनावपूर्ण बने हुए हैं. इस समय जहां पाकिस्‍तान में चुनाच हो चुके हैं तो वहीं भारत में अगले कुछ महीनों में चुनाव होने वाले हैं. इन चुनावों के बीच ही एक ऐसा किस्‍सा आपको बताते हैं जब भारत से ज्‍यादा पाकिस्‍तान को यहां पर बनने वाली नई सरकार का इंतजार था. यह साल था 2014 और भारत में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई में एनडीए की सरकार बनने वाली थी. जहां भारत में नई सरकार को लेकर जनता में नई उम्‍मीदें थीं तो पाकिस्‍तान में थोड़ा चिंता का माहौल था. एक दशक के बाद भारत में एनडीए की सरकार सत्‍ता में वापसी कर रही थी. 

इस्‍लामाबाद में नवाज ले रहे थे हालचाल 

पाकिस्‍तान में भारत में होने वाले सत्‍ता परिवर्तन को लेकर खासी चिंता थी. तत्‍कालीन पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पल-पल इस्‍लामाबाद में बैठकर नई दिल्‍ली का हालचाल जान रहे थे. शायद इस्लामाबाद में राजनीतिक नेतृत्व के मन में सबसे बड़ा सवाल यह था कि भारत में नई सरकार डॉक्‍टर मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से कितनी अलग होगी?  यह सवाल चिंता से भरा था. इसकी सबसे बड़ी वजह थी, एनडीए के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की कट्टरपंथी छवि. 

विशेषज्ञों ने पाकिस्‍तान की चिंता को गैर-वाजिब करार दे डाला था. उनका मानना था कि विदेश नीति निर्माण में राष्‍ट्रीय हित से जुड़ीं कई वजहों को ध्यान में रखा जाता है.  चुनाव से पहले आए बयानों में इन सभी विचारों को दर्शाया नहीं जाता है. उनका कहना था कि पीएम मोदी की सख्त बयानबाजी के बावजूद, ऐसा नहीं लगता था कि भारत-पाकिस्तान की स्थिति में कोई खास बदलाव आएगा. 

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पाकिस्‍तान पर कड़ा रुख 

साल 2014 का भारतीय राष्‍ट्रीय चुनाव, पीएम मोदी की उम्‍मीदवारी की वजह से ध्रुवीकरण का बड़ा कारण बन गया था. उस समय अपने प्रचार अभियान के दौरान पीएम मोदी ने पाकिस्तान को लेकर कड़ा रुख अपनाने की वकालत की थी. चुनावों से पहले बीजेपी के घोषणापत्र के कुछ हिस्से पाकिस्तान पर भी केंद्रित थे. घोषणापत्र में कहा गया था कि जब जरूरी होगा, बीजेपी सरकार अपनी विदेश नीति पर विचार करते हुए 'कड़ा रुख अपनाने और कदम उठाने से नहीं हिचकिचाएगी'. 

जब नवाज आए थे भारत 

चुनाव नतीजे आने के बाद जब नरेंद्र मोदी के शपथ की तैयारियां शुरू हुई तो कई विदेशी मेहमानों को आमंत्रित किया गया. जिस निमंत्रण ने दुनिया का ध्‍यान अपनी तरफ खींचा, वह था पाकिस्‍तान के तत्‍कालीन पीएम नवाज शरीफ को आमंत्रित करना. नवाज पहली बार अपने भारतीय समकक्ष मोदी के शपथ ग्रहण में शामिल होने के लिए पहली बार भारत आए थे।  यह बात भी सच है कि पिछले 10 सालों में भारत और पाकिस्‍तान के रिश्‍ते काफी ज्‍यादा तनावपूर्ण हुए हैं. लेकिन पाकिस्‍तान जिस बेसब्री से भारत में नतीजों का इंतजार कर रहा था, वह इतिहास में पहला मौका था. 

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