सीएम योगी ने आज लखनऊ में आयोजित चीनी उद्योग के 120 वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित किया. योगी ने इस अवसर पर कहा कि 120 साल पहले यूपी में गोरखपुर मंडल के देवरिया में पहली चीनी मिल स्थापित हुई थी. प्रदेश में चीन उद्योग के 120 साल के शानदार सफर की बदौलत चीनी उद्योग यूपी की अर्थव्यवस्था का आधार स्तंभ बन गया है. उन्होंने कहा कि चीनी उद्योग की कामयाबी के परिणामस्वरूप ही चीनी उत्पादन में यूपी, देश का अग्रणी राज्य बन सका है.
इस अवसर पर प्रदेश के चीनी मिल एवं गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी और राज्य मंत्री संजय गंगवार के अलावा चीनी उद्योग के प्रमुख कारोबारी एवं गन्ना किसान मौजूद थे.
योगी ने कहा कि चीनी उद्योग तभी अपने वजूद को कायम रख सकता है, जबकि गन्ना किसानों के हित को ध्यान में रखकर चीनी मिलों की कार्य प्रणाली तय की जाए. उन्होंने कहा कि 2017 में सत्ता संभालने पर यही बात उन्होंने चीनी मिल मालिकों से कहते हुए गन्ना किसानों के बकाया का भुगतान समय से करने की अपील की थी.
योगी ने कहा कि बीते 6 सालों में चीनी मिल मालिकों ने उनकी इस अपील का पालन किया, और आज स्थिति यह है कि चीनी उद्योग एवं गन्ना किसान दोनों संतुष्ट हैं. उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की जानकारी है कि प्रदेश लगभग 100 चीनी मिलें समय से गन्ना किसानों के बकाया का भुगतान कर रही हैं. समयबद्ध बकाया भुगतान से हमारे गन्ना किसानों का लाभ हुआ. परिणामस्वरूप यूपी आज देश में सबसे बड़ा इथेनॉल उत्पादक राज्य बन गया है. यह भविष्य का बेहतर संकेत है.''
योगी ने कहा कि सरकार पूरी तरह से किसानों के हित सुरक्षति करने के लिए प्रतिबद्ध है. उनका स्पष्ट तौर पर मानना है कि चाहे सरकार हो या गन्ना उद्योग, दोनों के लिए अन्नदाता किसान ही है. इसलिए किसान का हित दांव पर लगाकर कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है. किसानों के हित को ध्यान में रखकर ही चीनी मिलें और सरकार सहित सभी पक्षकारों का भला हो सकता है. सरकार इसी सोच के साथ छह साल से काम कर रही है. इसी का नतीजा है कि चीनी उद्योग और किसान दोनों के हित सुरक्षित हो पा रहे हैं.
योगी ने कहा कि 6 साल पहले, एक तरफ चीनी मिलें बंद हो रही थीं, गन्ना किसान भी खेती से पलायन कर रहे थे. अब स्थिति बदली है. प्रदेश में पहले 45 लाख गन्ना किसान थे, लेकिन आज 60 लाख गन्ना किसान हैं. इससे चीनी मिलें भी मजबूत हुई हैं. किसानों में उनके हित सुरक्षित होने का विश्वास बढ़ा है. इसलिए किसान प्रोत्साहित होकर उत्पादन बढ़ाने के लिए जी तोड़ मेहनत भी कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि किसान घटतौली से परेशान थे, अब तकनीक का उपयोग करके किसानों की इस समस्या का समाधान किया गया है. अब ऐसी शिकायतें ना के बराबर रह गई हैं. सरकार ने दोनों मोर्चों पर काम किया है, जिसमें ना तो चीनी मिलें बंद होने दी, ना ही गन्ना किसानों के हित प्रभावित होने दिए.
योगी ने कहा कि सभी पक्षकारों ने जब मिलकर काम किया तो कोरोना महामारी में इन्हीं चीनी मिलों ने सेनेटाइजर का रिकॉर्ड उत्पादन करके, इसकी कालाबाजारी को खत्म करने में बड़ी मदद की. उन्होंने कहा, ''हालत यह हो गई कि यूपी ने 27 राज्यों को सेनेटाइजर की आपूर्ति की. इसीलिए मैं कहता हूं कि अगर चीनी मिलें न होती, तो प्रदेश का गन्ना किसान कब का उखड़ गया होता. इसलिए चीनी मिलें एवं गन्ना किसान एक दूसरे के पूरक हैं.''
योगी ने कहा कि इथेनॉल ने गन्ना किसानों और चीनी मिलों के गठजोड़ को आगे बढ़ाने का नया रास्ता खोला है. छह साल पहले व्यवस्थाएं इस हद तक गड़बड़ कर दी गई थीं कि चीनी मिलें और गन्ना किसान एक दूसरे के शत्रु बन गए थे. व्यवस्थाएं जब बदलीं तो आज प्रदेश की 100 चीनी मिलें ऐसी हैं जो समय से गन्ना किसानों का भुगतान कर रही हैं. ये मिलें किसान के हित में अपनी उद्योग नीति बना रही हैं. यह किसान और उद्योग के सफल संयोजन का सबूत है.
उन्होंने कहा कि किसान को तकनीक और नए बीज देने का काम सरकार का है. जिसे पूरी सजगता से किया जा रहा है. उन्होंने चीनी मिलों से अपील करते हुए कहा कि चीनी उद्यमी, किसानों के हित को ध्यान में रखकर योजनाएं बनायें. योगी ने कहा कि उनकी सरकार ने गन्ना किसानों को छह साल में 1.97 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया है. जिस दिन यह आंकड़ा 2 लाख करोड़ हो उस दिन एक बड़ा आयोजन किया जाएगा.
इस अवसर पर गन्ना मंत्री चौधरी ने कहा कि गन्ना पेराई में कोल्हू संचालकों का भी उल्लेखनीय योगदान है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुल 284 कोल्हू हैं, जिनसे 73 हजार टन गन्ने की सालाना पेराई होती है. इसलिए सरकार कोल्हू संचालकों के हितों का भी ध्यान रखते हुए अपनी नीतियां बना रही है.
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