मक्का किसानों के लिए एक लाभदायक नगदी फसल के रूप में उभर रही है. आजकल किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ नगदी फसलों की ओर भी रुख कर रहे है. मक्का की खेती से उनकी आमदनी में वृद्धि हो रही है. गर्मी और बरसात के मौसम में मक्के की खेती से बंपर उत्पादन होता है और बाजार में मक्के की निरंतर मांग बनी रहती है. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश में मक्का की खेती खुशहाली का आधार बन चुकी है. मक्का मतलब कम लागत, बेहतर उत्पादन व व्यापक बाजार.
वैज्ञानिकों की सलाह व प्रशिक्षण के बाद किसानों को मक्का की खेती में काफी लाभ हुआ है. एक तरफ जहां सरकार की योजनाएं किसानों के लिए कारगर साबित हो रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ किसान इसका क्रियान्वयन कर मक्का की खेती कर काफी लाभ भी कमा रहे हैं. मक्का की खेती करने वाले प्रगतिशील किसानों ने विकसित कृषि संकल्प अभियान-2025 के तहत रविवार को औरैया में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष अपनी सफलता की कहानी भी साझा की.
औरैया के अजीतमल निवासी किसान गौरव विश्नोई ने बताया कि खेतों में दो साल से मक्का लगाया है. बहुत अच्छा उत्पादन हुआ है. एक हेक्टेयर में 100 कुंतल उत्पादन हुआ. उन्होंने बताया कि प्रति हेक्टेयर ढाई लाख रुपये मुनाफा हुआ, इसके अलावा अमरुद की खेती में भी अच्छा मुनाफा मिल रहा है.
कानपुर नगर के बिल्हौर तहसील के किसान सुनील सिंह बताते हैं कि आलू की फसल के बाद ऐसी कोई फसल नहीं मिल रही थी, जो अच्छा लाभ दे सके. चार-पांच साल पहले कृषि विभाग के अधिकारियों व वैज्ञानिकों ने मक्का की फसल को लेकर सलाह व प्रशिक्षण दिया. आज हमें उसका लाभ प्राप्त हो रहा है. आलू से जो नुकसान होता है, उसकी भरपाई मक्का की फसल कर देती है. इससे पूरे वर्ष का खर्च, बच्चों की पढ़ाई का भी खर्च निकल जाता है.
प्रति एकड़ 35-40 कुंतल पैदा कर रहे मक्का
किसान शिवशंकर सिंह ने बताया कि मक्का ऐसी फसल मिली है, जिसने किसानों की आय को डेढ़ गुना कर दिया है. पहले एक एकड़ में 20-25 कुंतल मक्का का उत्पादन करते थे, आज प्रति एकड़ 35-40 कुंतल पैदा करते हैं. सीड स्टोर पर बीज अनुदान पर मिल रहे हैं. उचित मूल्य पर अच्छी प्रजाति के हाईब्रिड मक्का का प्रबंध कराया जाए, जिससे आय दोगुनी हो सके.
बाराबंकी जिले के भनौली गांव के किसान सत्यनाम ने पारंपरिक फसलों के साथ देसी मक्के की खेती शुरू की. जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है. सत्यनाम ने बताया कि वे कई वर्षों से मक्के की खेती कर रहे है और आज लगभग दो बीघे में मक्के की खेती कर रहे है. जिससे उन्हें प्रति फसल लगभग 60 से 70 हजार रुपये का मुनाफा हो रहा है.
मक्का पोषण से भरपूर आहार है. कम लागत, बेहतर उत्पाादन व व्यापक बाजार, मक्का विकल्प नहीं, भविष्य है.
मक्का बहुपयोगी फसल है। यह खाद्य, पशु आहार व औद्योगिक उत्पादों में प्रमुख भूमिका निभाती है.
त्वरित मक्का विकास योजना के अंतर्गत संकर बीजों पर 150 रुपये प्रतिकिलो का अनुदान
बेबी कॉर्न, स्वीट कॉर्न, पॉप कॉर्न तथा संकर बीजों के प्रदर्शनों में ₹2,400 - ₹20,000 प्रति एकड़ तक का अनुदान
कानपुर के बिल्हौर क्षेत्र एवं समीपवर्ती इलाकों में जायद में मक्का के क्षेत्रफल में अभूतपूर्व वृद्धि.
जायद के मक्का में साधारण खरीफ मक्का की तुलना में दोगुनी से अधिक पैदावार
80 से 100 क्विंटल/हेक्टेयर की पैदावार, एथेनॉल के उत्पादन में मक्का का प्रमुख योगदान
मुर्गी, जानवरों का चारा तथा बेकरी उद्योगों में भी मक्का का उपयोग
मक्का की बिक्री 22 रुपये प्रतिकिलो से 25 रुपये प्रतिकिलो के बीच, कृषकों की आय में वृद्धि
मक्का किसानों को 15 हजार रुपये प्रति किलोवॉट की दर से बीजों पर अनुदान.
जायद के मक्का का रकबा वर्ष-2023-24 में 3.06 लाख हेक्टेयर के सापेक्ष 2024-25 में बढ़कर 4.87 लाख हेक्टेयर पहुंचा.
विपणन वर्ष 2025-26 के लिए खरीफ मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,400 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित.
मक्का की खेती करना बहुत ही आसान है. पहले खेत की दो बार जुताई की जाती है, फिर गोबर और वर्मी कंपोस्ट खाद का छिड़काव कर मक्के के बीज बोए जाते है. जब पौधा निकल आता है, तो उसकी सिंचाई की जाती है. बुवाई के 80 से 85 दिनों बाद फसल तैयार हो जाती है. जिसे बाजार में बेचा जा सकता है. वहीं मक्के की खेती करके आप मालामाल हो सकते हैं.
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