उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में इस बार धान की फसल पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण बना है Bacterial Leaf Blight (BLB) या जीवाणु पत्ती झुलसा रोग, जिसने अलीगढ़, बुलंदशहर और गौतमबुद्ध नगर जिलों में बासमती धान की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है.
इस बीमारी ने खासतौर पर उन किसानों की कमर तोड़ी है, जो बासमती की प्रीमियम किस्में जैसे पूसा बासमती-1, बासमती 1509 और बासमती 1718 उगाते हैं. ये किस्में निर्यात (एक्सपोर्ट) के लिए जानी जाती हैं, लेकिन इस बार इनकी पैदावार न के बराबर रह जाने की आशंका है.
'फॉर्च्यून राइस' कंपनी के तहत जिन किसानों ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की थी, उन्हें भी इस साल मायूसी हाथ लगी है. कंपनी के प्रमुख अजय भालोटिया ने ‘किसान तक’ को बताया कि “केवल अलीगढ़ जिले में ही 22 गांवों में करीब 5000 बीघा धान पूरी तरह प्रभावित हो चुका है. इसके अलावा बुलंदशहर के 6 गांव और गौतमबुद्ध नगर के 2 गांव भी बीमारी की चपेट में हैं.”
BLB यानी जीवाणु पत्ती झुलसा रोग का मुख्य कारण इस बार की भारी बारिश और खेतों में जलजमाव रहा है. बारिश के पानी में बैक्टीरिया तेजी से फैलते हैं और धान की पत्तियों को पूरी तरह नष्ट कर देते हैं. सबसे चिंताजनक बात ये है कि इस बीमारी का फिलहाल कोई पक्का इलाज मौजूद नहीं है.
अजय भालोटिया ने साफ कहा कि “जब उपज नहीं निकलेगी तो एक्सपोर्ट कैसे होगा?” पूसा बासमती-1, जो बड़ी मात्रा में उगाया जाता है, इस बार प्रभावित है. इससे बासमती एक्सपोर्ट पर सीधा असर पड़ेगा, और किसानों की आमदनी में भारी गिरावट आएगी.
अलीगढ़ में बैना, बुधका, रसूलपुर, अटारी, मानपुर कला, वसेरा, बढ़ियार, मौर, लालगर्गी, नगलाडंडा, बलमपुर, सहजपुरा, दीवा, भोजका, गणेशपुर, शादीपुर, मीरपुर, मेरहेला, कसेरू, अमृतपुर बखतपुर, नूरपुर गांव शामिल हैं. इसके अलावा बुलंदशहर में मानचंद, मोहम्मदपुर नार, कलाखुरी और जीबी नगर में हिमऊपुर और जहांगिरपुर शामिल हैं.
बुलंदशहर के बैना गांव के किसान रवींद्र बताते हैं, हमारा 10 बीघे का नुकसान है. इसमें 3 बीघे में ज्यादा तो 7 बीघे में कुछ कम है. रवींद्र ने अपने खेतों में पूसा बासमती-1 और पूसा बासमती 1509 की खेती की है. वे कहते हैं कि पूसा की टीम मुआयना करने आई थी. देख-सुन कर लौट गई. अब तो सरकार से ही उम्मीद है कि कुछ आर्थिक मदद मिल जाए.
गौतमबुद्ध नगर के किसान अनुज ने कहा कि उनके इलाके में 2 गांव के धान बहुत प्रभावित हैं. उन्होंने खुद 30 बीघे में बासमती की खेती की है, लेकिन पत्ती झुलसा रोग ने चौपट कर दिया है. पहली दफा दवा छिड़काव किया तो कुछ राहत मिली. दोबारा बारिश होते ही बीमारी फिर लौट आई. उनकी तरह 33 किसानों की फसल इस रोग से प्रभावित है.
अलीगढ़ के रूपेंद्र जो कि खुद किसान के साथ फसल एक्सपर्ट हैं, वे बताते हैं कि उनके क्षेत्र में 700 एकड़ धान की खेती हुई है, लेकिन झुलसा रोग का कोई अटैक नहीं है. अभी फसल पूरी तरह से अच्छी चल रही है. उन्होंने खुद भी 4 एकड़ में पीबी-1 लगाई है जो कि ठीक चल रही है.
बुलंदशहर के गांव नगला कट के किसान पुष्पेंद्र भी इस रोग को लेकर चिंतित हैं. उनकी पूरी फसल पर बीएलबी का असर देखा जा रहा है. 6 एकड़ में 1509 बासमती की खेती की है. उसमें 2 एकड़ पूरी तरह तबाह हो गई है जबकि 4 एकड़ में प्रभाव देखा जा रहा है. इस 4 एकड़ में दवा छिड़काव किया है और कुछ अच्छा होने का इंतजार है.
पुष्पेंद्र कहते हैं कि उनके गांव के 10-12 किसान प्रभावित हैं. पुष्पेंद्र को उम्मीद थी कि इस बार बासमती के अच्छे रेट मिलेंगे, बाजार भाव भी ठीक चल रहा था. लेकिन 4-5 दिन में ही पूरी फसल चौपट हो गई. पूरी फसल सूख गई है. अब सरकार से उम्मीद है कि कुछ मुआवजा मिले.
अलीगढ़ जिले के किसानों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर BLB से हुए नुकसान का सर्वे कराने और सरकारी मुआवजा देने की मांग की है. किसानों का कहना है कि “हमने उम्मीद से मेहनत की, लेकिन बीमारी ने हमारी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया.”
अब किसान इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि सरकार जल्द से जल्द संज्ञान ले और उन्हें आर्थिक राहत दे. तभी वे अगली फसल के लिए खुद को अपने खेत को तैयार कर पाएंगे.
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