उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मिशन 'विकसित यूपी @2047'अभियान निरंतर जनभागीदारी और सुझावों के साथ आगे बढ़ रहा है. कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए बहराइच, महाराजगंज, सहारनपुर आदि जिलों से किसानों ने भी योगी सरकार को अपने सुझाव साझा किए हैं. प्रगतिशील किसानों ने कहा कि कृषि क्षेत्र को सशक्त और टिकाऊ बनाने के लिए आधुनिक व जैविक खेती को बढ़ावा देना आवश्यक है. इसके लिए फसल विविधीकरण, किसानों को वित्तीय सहायता, जल प्रबंधन एवं मृदा संरक्षण पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
साथ ही कृषि आधारित व्यवसायों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए. इसके अलावा जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु मृदा में कार्बनिक पदार्थ बढ़ाना, टिकाऊ खेती पद्धति अपनाना, आधुनिक तकनीक का प्रयोग करना और सरकारी योजनाओं का लाभ लेना ज़रूरी है.
किसानों को वैज्ञानिक खेती, एकीकृत कृषि प्रणाली और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर जोर देना चाहिए. इससे पहले पशुओं का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा, रोक लगाने के लिए स्कैनर ऐप विकसित किया जाए. कृषि कार्य से जुड़े अधिकांश किसान पशुपालन भी करते हैं, किंतु बीते कुछ वर्षों में पशु आहार बनाने वाले फैक्ट्री संचालक महंगाई से बचने अथवा अधिक लाभ कमाने की दृष्टि से पशु आहार में मिलावट करने लगे हैं.
इस पर रोक लगाने के लिए एक ऐसा स्कैनर ऐप विकसित किया जाए, जो न केवल पशु आहार की शुद्धता की पहचान कर सके, बल्कि पशु को स्कैन करते ही उसकी नस्ल, दूध उत्पादन क्षमता तथा स्वास्थ्य संबंधी जानकारी भी उपलब्ध करा सके. साथ ही, पशुपालन, मत्स्य पालन और मधुमक्खी पालन से जुड़े लोगों को बीमा के दायरे में लाया जाए.
सरकार द्वारा विकसित पोर्टल samarthuttarpradesh.up.gov.in पर अब तक करीब दो लाख फीडबैक दर्ज किए जा चुके हैं. इनमें से ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 1.55 लाख और नगरीय क्षेत्रों में करीब 70 हजार फीडबैक प्राप्त हुए. आयु वर्ग के अनुसार करीब 77 हजार सुझाव 31 वर्ष से कम आयु वर्ग से, करीब 1.14 लाख से अधिक सुझाव 31-60 वर्ग और 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग से करीब 30 हजार से अधिक सुझाव आए हैं.
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में एमएसएमई का भी सबसे बड़ा बेस था. सर्विस सेक्टर में हमारे पास स्प्रिचुअल टूरिज्म, ईको-टूरिज्म तथा हेरिटेज टूरिज्म के बेहतरीन केन्द्र थे. हमने इन्हें विस्मृत कर दिया था. पहले हमारे किसान आत्महत्या करने को मजबूर थे. यहां का एमएसएमई सेक्टर बंद हो गया था.
इनमें कार्य करने वाले हस्तशिल्पी व कारीगर पलायन करने को मजबूर हो गये थे. प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था खराब हो गयी थी. अपने गौरव और गरिमा को आगे बढ़ाने के लिए जो प्रयास होना चाहिए था, वह शिथिल हो गया था. इसका परिणाम हुआ कि हम हर क्षेत्र में पिछड़ गए, बीमार मानसिकता वालों ने उत्तर प्रदेश को ही बीमारू बना दिया था.
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