2025-26 के खरीफ सीजन में भारत में कपास का उत्पादन बीते साल के मुकाबले बेहतर रहने की उम्मीद है. भले ही महाराष्ट्र और गुजरात जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में बुआई क्षेत्र में कमी दर्ज की गई है और अगस्त की भारी बारिश ने कुछ हिस्सों में फसल को नुकसान भी पहुंचाया है, फिर भी व्यापार से जुड़े लोगों को अच्छी उपज की उम्मीद है.
इस बार समय पर और अच्छी बारिश के साथ ही कीट प्रकोप की कम घटनाओं के चलते कपास की औसत पैदावार बढ़ने की संभावना जताई जा रही है. कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CCI) के अध्यक्ष अतुल एस. गणात्रा ने 'बिजनेसलाइन' को बताया कि इस सीजन भारत का कपास उत्पादन 325 से 340 लाख गांठ (170 किलो प्रति गांठ) तक पहुंच सकता है, जो पिछले साल के 312 लाख गांठ के मुकाबले अधिक होगा.
कुल कपास क्षेत्र घटकर 109.64 लाख हेक्टेयर रह गया है (पिछले साल 112.48 लाख हेक्टेयर).
गुजरात में कपास क्षेत्र घटकर 20.82 लाख हेक्टेयर (23.66 lh) और
महाराष्ट्र में 38.44 लाख हेक्टेयर (40.81 lh) रह गया.
इसके विपरीत, तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में कपास क्षेत्र बढ़ा है.
इस साल दक्षिण भारत में कपास उत्पादन 105 लाख गांठ तक पहुंच सकता है (पिछले साल 88 लाख गांठ).
हालांकि तेलंगाना और महाराष्ट्र में बारिश से कुछ नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार इससे 5-6% से अधिक नुकसान नहीं होगा.
आंध्र प्रदेश के कुछ जिलों जैसे अनंतपुर, गुंटूर, और प्रकाशम में सफेद मक्खी (whitefly), थ्रिप्स (thrips), जैसिड्स (jassids) का
हमला देखा गया है. प्रभावित क्षेत्र करीब 11,600 हेक्टेयर तक पहुंच गया है. सरकार ने किसानों को कीटनाशक छिड़काव की सलाह दी है.
कपास की कीमतें वर्तमान में ₹5,500–₹7,000 प्रति क्विंटल के बीच चल रही हैं, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे है. सरकार द्वारा आयात शुल्क हटाने (11%) से अक्टूबर-दिसंबर में आयात 20 लाख गांठ तक पहुंच सकता है. 2024-25 में 41 लाख गांठ कपास आयात होने की उम्मीद है (पिछले वर्ष 15 लाख गांठ).
कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) ने इस बार 550 खरीद केंद्र खोलकर MSP पर कपास खरीदने की तैयारी कर ली है. पिछले साल CCI ने 1 करोड़ गांठ कपास खरीदी थी और इस समय 12 लाख गांठ स्टॉक में हैं. कम मांग और भारी आयात के चलते कीमतों में नरमी रहने की संभावना है
अमेरिका और पाकिस्तान में जल संकट और सूखे के चलते उत्पादन घटा है. अमेरिकी संस्था USDA के अनुसार, भारत का उत्पादन बढ़ेगा और आयात घटकर 35.8 लाख गांठ रह सकता है. ICAC का अनुमान है कि वैश्विक कपास उत्पादन 260 लाख टन से घटकर 250 लाख टन रह सकता है.
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