पूर्वी यूपी में बाढ़ का खतरा मंडराया हुआ है. घाघरा-रोहिन नदी खतरे के निशान के पार बह रही है, जबकि राप्ती नदी खतरे के निशान के करीब पहुंच चुकी है. ऐसे में जमीन कटान के चलते ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. पूर्वी यूपी में नेपाल के पहाड़ों पर बारिश का असर दिखाई देने लगा है. पहाड़ों पर हो रही बारिश से पहाड़ी नदियां उफान पर हैं. कटान की राप्ती नदी में तेजी से हो रही कटान से ग्रामीण दहशत में हैं. ग्रामीण जुगाड़ से पेड़ की डालियों को काटकर उससे कटान को रोकने का प्रयास कर रहे हैं. पूर्वी यूपी के तराई इलाकों में भी नदियों में दो से तीन दिनों में पानी तेजी से बढ़ा है.
घाघरा और रोहिन नदी ने खतरे के निशान को पार कर लिया है. तो वहीं राप्ती नदी खतरे के निशान से महज 5 सेंटीमीटर नीचे बह रही है. राप्ती-रोहिन और घाघरा नदी पूरे उफान पर है. ऐसे में नदियों के किनारे बसे गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. गोरखपुर में नदियों का जलस्तर तेजी के साथ बढ़ने से सैकड़ों गांव एक से दो दिनों में बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे. ऐसे में धान की खड़ी फसलों को भी काफी नुकसान पहुंच सकता है. किसान जहां फसलों के पकने का इंतजार कर रहे हैं तो वहीं मॉनसून के खत्म होने से पहले बाढ़ की आशंका ने उन्हें चिंताग्रस्त कर दिया है. अगर वाकई में बाढ़ आई तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
गोरखपुर के जंगल कौड़िया ब्लाक के उतरासोर गांव के लोग काफी दहशत में हैं. गुरुवार 18 सितंबर को सुबह से राप्ती नदी का रौद्र रूप से ग्रामीण दहशत में हैं. कटान को रोकने के लिए ग्रामीण पेड़ की डाल डालकर जुगाड़ लगा रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि सुबह से ही जमीन का कटान हो रही है. ऐसा ही रहा तो धान की फसल तो छोड़िए बांध कटने से पूरे गांव के ही डूबने और कटान की जद में आने का खतरा दिख रहा है.
गोरखपुर के तहसीलदार सदर ज्ञान प्रताप सिंह ने बताया कि जंगल कौड़िया ब्लाक के उतरासोर गांव में राप्ती नदी द्वारा कटान की जानकारी हुई है. यहां पर अधिकारियों और कर्मचारियों को कटान को रोकने के लिए समुचित उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं. आज सुबह से ही कटान हो रहा है. राप्ती नदी अभी खतरे के निशान से नीचे है. प्रशासन और ग्रामीणों द्वारा राहत और बचाव कार्य किया जा रहा है.
गोरखपुर के जिला आपदा विशेषज्ञ गौतम गुप्ता ने बताया कि नेपाल पर पहाड़ों पर हो रही बारिश का असर पूर्वी यूपी में दिखाई दे रहा है. तीन से चार दिनों में नदियों में पानी तेजी से बढ़ा है. बाढ़ चौकियों को अलर्ट कर दिया गया है. नदी अभी खतरे के निशान से नीचे बह रही है. बाढ़ से बचाव के लिए सभी आवश्यक जरूरतों को सुनिश्चित किया जा रहा है. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की दो टीम भी सतत निगरानी कर रही है. इसके अलावा आर्मी और एयरफोर्स से भी संपर्क बनाकर कार्य किया जा रहा है तहसीलदार और पुलिस टीमें भी निगरानी कर रही है. (गजेंद्र त्रिपाठी की रिपोर्ट)
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