यूपी के उपमुख्यमंत्री और ग्राम्य विकास मंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने राज्य में मिलेट्स की खेती का रकबा बढ़ाने में महिला किसानों की भागीदारी को कारगर मानते हुए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) को माध्यम बनाने की पहल की है. मिशन के तहत गठित महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों की 2 लाख महिला सदस्यों को गांवों में श्री अन्न के महत्व से ग्रामीणों को अवगत कराते हुए उन्हें जागरूक करने और मिलेट्स की खेती में सहभागी बनकर कम से कम 01 लाख हेक्टेयर जमीन पर मोटे अनाजों का कृषि उत्पाद पैदा करने का लक्ष्य तय किया है. ग्राम्य विकास विभाग की ओर से बताया गया कि इस योजना का मकसद मिलेट्स की खेती के साथ इसके उपभोग को भी बढ़ावा देना है. इस काम में प्रदेश की महिला किसान प्रभावी भूमिका निभा सकती हैं.
विभाग की ओर से बताया गया कि मिलेट्स की खेती से महिला किसानों को जोड़ने की जिम्मेदारी एनआरएलएम को सौंपी गई है. मिशन की मदद से पूरे प्रदेश में लगभग हर गांव में महिलाओं के स्वयं सहायता समूह कार्यरत हैं. एनआरएलएम की मिशन निदेशक सी इन्दुमती ने बताया कि इस वर्ष स्वयं सहायता समूहों की 2 लाख से अधिक महिला किसानों के माध्यम से 1 लाख हेक्टेयर भूमि पर श्री अन्न उपजाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसका मकसद महिला किसानों की आय में वृद्धि करने के साथ स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार करते हुए परिवार को सशक्त बनाने हेतु सक्षम बनाना है.
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विभाग की ओर से बताया गया कि इस मुहिम के लिए उन 34 जिलों को चुना गया है, जिनमें पहले से मिलेट्स की खेती हो रही है या जिनमें इसकी खेती के लिए मुफीद हालात हैं. इनमें बुंदेलखंड में जालौन, हमीरपुर और महोबा के अलावा पश्चिमी यूपी में आगरा, इटावा, फिरोजाबाद, अलीगढ और मैनपुरी तथा पूर्वांचल में सोनभद्र और मिर्जापुर सहित अन्य जिले शामिल हैं. इन जिलों में स्वयं सहायता समूहों की लगभग 2 लाख महिला किसान सदस्यों को लगभग 1 लाख हेक्टेयर जमीन पर श्री अन्न की खेती करने का लक्ष्य दिया गया है. एनआरएलएम इस काम में महिला किसानों को बीज एवं अन्य तकनीकी सहयोग मुहैया कराएगा.
एनआरएलएम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस योजना को जमीन पर लागू करने से पहले अलीगढ़ जिले में इसका सफल प्रयोग किया गया. इसमें अलीगढ़ जिले में गोंडा ब्लॉक के 4-5 गांवों में स्वयं सहायता समूह की 50 महिला किसानों ने सफलता पूर्वक इस काम को पूरा किया. इसमें 'छाया महिला उत्पादक समूह' की किसान श्रीमती नीरज देवी ने एक एकड़ जमीन पर बाजरे की खेती की. पूरी तरह से जैविक पद्धति से की गई खेती की उपज के रूप में दो कुंतल प्रति बीघा की दर से उत्पादन हुआ. उन्होंने बताया कि महिला किसानों ने दोनों पद्धतियों (रासायनिक एवं जैविक) से मिलेट्स की खेती की थी. इसके मिले जुले परिणाम मिले. यह बात दीगर है कि जैविक पद्धति से की गई खेती में उपज जरूर कम हुई लेकिन उपज की गुणवत्ता, रासायनिक खेती की उपज से बेहतर थी.
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एनआरएलएम ने महिलाओं द्वारा उपजाए गए मिलेट्स को बाजार मुहैया कराने का भी इंतजाम किया है. इसके लिए इस योजना से जुड़े 34 जिलों के 25 एफपीओ को चुना गया है. इनके माध्यम से महिला किसानों की उपज को बाजार भाव पर खरीदा जाएगा. इसके अलावा महिला किसानों को मिलेट्स के बिस्कुट एवं लड्डू जैसे उत्पाद बनाने के लिए भी प्रेरित एवं प्रशिक्षित किया जा रहा है. जिससे महिलाओं के उपजाए श्री अन्न के उत्पादों को मिड डे मील आदि पोषाहार योजनाओं से जोड़ने की भी पहल की गई है.
एनआरएलएम की ओर से इस योजना को लागू करने की तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है. मिशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस मुहिम को आगामी खरीफ सीजन से लागू कर दिया जाएगा. इसमें शामिल की जाने वाली महिला किसानों को सूचीबद्ध करने का काम अंतिम चरण में है. खरीफ सीजन की बुआई से पहले चयनित महिला किसानों को बीज का वितरण कर दिया जाएगा.
इसके अलावा उन्हें मिलेट्स की खेती की विधि और खाद पानी के इस्तेमाल आदि से जुड़ी जानकारियां मुहैया कराने के लिए प्रशिक्षित भी किया जाएगा. इस दौरान उन्हें रासायनिक या जैविक खाद के इस्तेमाल की जानकारी के अलावा अन्य प्रकार का तकनीकी सहयोग भी मुहैया कराया जाएगा. गौरतलब है कि महिला किसानों को आधुनिक कृषि एवं पशुपालन गतिविधियों के प्रोत्साहन हेतु इस वर्ष स्वयं सहायता समूह की 19 लाख 78 हजार 836 महिला सदस्यों को आजीविका संवर्धन से जुड़ी कृषि एवं पशुपालन संबंधी गतिविधियों से जोड़ा जाएगा. इस मिशन के अंतर्गत 1500 प्रेरणा कृषि टूल बैंक की स्थापना भी सुनिश्चित की जाएगी.
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