Supariदेश में एक तरफ सुपारी के किसान खासे परेशान हैं तो दूसरी तरफ जो आंकड़ें सरकार की तरफ से जारी किए गए हैं, वो उनकी टेंशन को बढ़ा सकते हैं. केंद्र सरकार की तरफ से जारी ताजा आंकड़ें बताते हैं कि बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार और इंडोनेशिया, भारत को सुपारी निर्यात करने वाले प्रमुख देशों में शामिल हैं. मंगलवार को लोकसभा में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सुपारी आयात और निर्यात से जुड़े जो आंकड़ें जारी किए, वो ये बताने के लिए काफी हैं कि देश के सुपारी किसान किस कदर घाटा झेलने को मजबूर हैं. इस पूरे नुकसान की वजह है वह एक सरकारी नियम जो आयात पर कस्टम ड्यूटी को एकदम जीरो कर देता है. अब संसद के शीतकालीन सत्र में भी इस मसले को उठाया गया है.
पीयूष गोयल ने संसद में बताया कि भारत ने 2024-25 में 42,236.02 टन सुपारी का आयात किया, जिसकी कीमत 1208.34 करोड़ रुपये या 143.45 मिलियन डॉलर रही. इसी दौरान भारत ने 2,396.26 टन सुपारी का निर्यात किया जिसकी कीमत 105.84 करोड़ रुपये या 12.55 मिलियन डॉलर) रही. इससे एक ही दिन पहले, सोमवार को, दक्षिण कन्नड़ से सांसद कप्तान बृजेश चौटा ने सबसे कम विकसित देशों (LDCs) से बड़े पैमाने पर सुपारी आयात किए जाने के मुद्दे को उठाया और बताया कि इसका देश के घरेलू सुपारी बाजार और किसानों पर गंभीर असर पड़ रहा है. दिलचस्प बात यह है कि चौटा खुद बीजेपी सांसद हैं.
मंत्री के जवाब के अनुसार, भारत ने 2024-25 में बांग्लादेश से 12,155.40 टन सुपारी आयात की. इसकी कीमत 447.76 करोड़ रुपये या 53.06 मिलियन डॉलर रही. इसके बाद श्रीलंका से 8,353.70 टन सुपारी का आयात किया गया, जिसकी कीमत 303.70 करोड़ रुपये यानी 35.97 मिलियन डॉलर थी. इसी तरह से म्यांमार से 7,569.03 टन की सुपारी आयात हुई जिसके लिए 278.24 करोड़ रुपये या 33.20 मिलियन डॉलर अदा किए गए. वहीं इंडोनेशिया से 11,589.56 टन सुपारी आयात की गई जिसकी कीमत 129.35 करोड़ रुपये यानी 15.36 मिलियन डॉलर रही.
लोकसभा में सोमवार को नियम 377 के तहत यह मुद्दा उठाते हुए कैप्टन चौटा ने कहा कि कुछ सबसे कम विकसित देश (LDCs) भारत की ड्यूटी-फ्री कोटा-फ्री (DFQF) विशेष व्यापार योजना के तहत जीरो कस्टम ड्यूटी का फायदा उठाते हैं. DFQF का उद्देश्य मूल रूप से LDC अर्थव्यवस्थाओं को समर्थन देना था, लेकिन अब इसका उपयोग ऐसे तरीके से किया जा रहा है जिससे भारतीय किसानों को नुकसान हो रहा है.
उन्होंने कहा कि भारत सुपारी उत्पादन में आत्मनिर्भर है और 2023-24 में लगभग 14 लाख टन सुपारी का उत्पादन किया. इसमें से अकेले कर्नाटक ने लगभग 10 लाख टन का योगदान दिया. इसके बावजूद, कस्टम ड्यूटी जीरो होने की वजह से बड़े पैमाने का आयात लगातार देश में आ रहा है. इससे बाजार में गंभीर और गलत मूल्य असमानता पैदा हो रही है. यह अंतर प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों के किसानों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को कमजोर कर रहा है.
यह बताते हुए कि सामान्य सुपारी आयात पर 100 प्रतिशत मूल सीमा शुल्क लगता है, कैप्टन चौटा ने कहा कि DFQF छूट इस सुरक्षा को पूरी तरह खत्म कर देती है. इस कमी का फायदा उठाकर बड़े पैमाने पर आयात होने लगा है. इससे कीमतों में गिरावट, बाजार में अस्थिरता और लाखों किसानों में गहरी आर्थिक चिंता पैदा हुई है, जिनकी आजीविका इस फसल पर निर्भर है.
कैप्टन चौटा ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल से आग्रह किया है कि सुपारी को DFQF लाभ की सूची से बाहर किया जाए और LDC देशों से होने वाले आयात पर सामान्य सीमा शुल्क फिर से लागू किया जाए. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत का उद्देश्य LDC देशों की अर्थव्यवस्थाओं को सहयोग देना है, लेकिन ऐसे रियायती प्रावधान भारतीय किसानों की आर्थिक सुरक्षा से समझौता नहीं कर सकते.
उन्होंने कहा, 'DFQF छूट ने अनजाने में सुपारी डंपिंग के लिए रास्ते खोल दिए हैं जिससे हमारे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है, खासकर दक्षिण कन्नड़ के किसानों को, जो पहले से ही कीमतों में उतार-चढ़ाव का सामना कर रहे हैं. भारत सुपारी उत्पादन में पूरी तरह आत्मनिर्भर है, फिर भी हमारे बाजार शून्य-ड्यूटी आयात से अस्थिर हो रहे हैं. मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि किसानों की आजीविका की रक्षा के लिए सुपारी को तुरंत DFQF लाभों से बाहर किया जाए. इससे दक्षिण कन्नड़ सहित देश के दूसरे सुपारी-उत्पादक क्षेत्रों में लाखों किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी.'
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