खांडसारी इकाइयां लगने से चीनी मिलों पर पेराई का लोड भी घटा (Photo: Kisan Tak)उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के लिए एक काम की खबर है. कहते है कि एक उचित फैसला कितना प्रभावी हो सकता है, इसका प्रमाण है वर्षों से लंबित खांडसारी इकाइयों के लाइसेंस की प्रक्रिया में बदलाव के साथ उसे पाने की पारदर्शी व्यवस्था. इसका नतीजा है कि आज प्रदेश में खासकर पश्चिम उत्तर प्रदेश के गन्ना उत्पादक बेल्ट ने लगभग 285 खांडसारी इकाइयां संचालित हो रही हैं. स्थानीय लोगों के लिए ये रोजी रोजगार का जरिया तो बनीं ही, उस इलाके की मिलों पर पेराई का लोड भी घटा. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश की खांडसारी इकाइयों की कुल पेराई क्षमता 8 अत्याधुनिक चीनी मिलों के बराबर है.
एक अनुमान के मुताबिक खांडसारी की एक इकाई में उसकी क्षमता के अनुसार प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से 300-500 लोगों को रोजगार मिलता है. प्रदेश में खांडसारी इकाइयों की संख्या के मद्देनजर इनसे करीब हजार से एक लाख लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल रहा है.
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल में ही 25 साल पुरानी खांडसारी नीति में बदलाव लाते हुए इसकी लाइसेंसिंग प्रक्रिया को पारदर्शी कर दिया गया था. मकसद था, गन्ना किसानों की आय बढ़ाना और पेराई के लिए चीनी मिलों पर निर्भरता कम करना. वहीं योगी सरकार के इस कदम से प्रदेश 285 खांडसारी इकाइयां खुली. इनकी रोजाना की पेराई क्षमता आठ अत्याधुनिक चीनी मिलों के बराबर है. इससे स्थानीय चीनी मिलों पर पेराई का लोड तो घटा ही, स्थानीय स्तर पर रोजी रोजगार का एक और विकल्प भी मिला.
इससे पहले की सरकारों ने मीलर्स के हित खांडसारी इकाइयों के लिए नियम बनाए थे. पेराई के लिए भरपूर गन्ना न मिलने से इनमें से तमाम इकाइयां बंद हो गई थीं. जबकि 25 साल बाद किसी सरकार ने इस ओर ध्यान दिया. पहले के नियम में बदलाव करते हुए सरकार ने किसी मिल से खांडसारी इकाई की 15 किमी एयर डिस्टेंस की मानक दूरी को घटाकर आधा कर दिया.
साथ ही लाइसेंस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाते हुए इसे ऑनलाइन कर दिया गया. नई व्यवस्था के तहत अब 285 खांडसारी इकाइयों को अब तक लाइसेंस जारी हो चुका है. इनकी कुल पेराई क्षमता आठ नई चीनी मिलों के बराबर है. इससे स्थानीय स्तर पर रोजी रोजगार का एक अन्य साधन तो मिला ही. चीनी मिलों पर भी पेराई क्षमता का लोड कुछ हद तक घटा हैं.
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