Grafting Technique: यूपी में किसानों को सशक्त बनाने लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. अलग-अलग तरह की टेक्नोलॉजी को खोजने का काम कर रही हैं. इसी क्रम में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, (IIVR) वाराणसी में उत्तर प्रदेश शोध परिषद (उपकार) लखनऊ के द्वारा सब्जियों में ग्राफ्टिंग द्वारा किसानों की आय बढ़ाने को लेकर चर्चा हुई. इस अवसर पर संस्थान के कार्यकारी निदेशक डॉ. नागेंद्र राय ने उद्यमिता विकास के लिए किसानों को प्रेरित किया और सब्जियों में ग्राफ्टिंग तकनीक के महत्व पर प्रकाश डाला तथा इसे उद्यम के रूप में अपनाने के लिये प्रेरित किया. दरअसल, इस प्रशिक्षण का उद्देश्य किसानों को उद्यमी बनाना तथा उनकी आय बढ़ाना है.
उन्होंने बताया कि ग्राफ्टिंग तकनीक से जहां उद्यमी रोगमुक्त सब्जियां उगाकर अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं वही दूसरी तरफ ग्राफ्टेड पौध विक्रय कर उचित लाभ ले सकेंगे. इस कार्यक्रम के अन्तर्गत डॉ. शुभदीप रॉय, एसोसिएट प्रोफेसर, कृषि प्रसार (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) ने किसानों को सब्जियों में ग्राफ्टिंग के बारे में किसानों को विस्तार से बताया तथा ग्राफ्टिंग तकनीक की बारीकियों से किसानों को जानकारी दी गई.
डॉ. हरे कृष्ण द्वारा ग्राफ्टेड सब्जियों का पॉलीहाउस में उत्पादन एवं हाइटेक नर्सरी में पौध उत्पादन पर प्रशिक्षण किसानों को दिया जा रहा है. ग्राफ्टिंग विधि के माध्यम से एक ही पौधे से मल्टीपल्स पौधे कैसे तैयार किए जा सकते हैं. प्रोटेक्टिव फार्मिंग की प्रकार से की जाए. ताकि किसानों की आय को बढ़ाई जा सके.
उन्होंने कहा कि टमाटर और आलू दोनों के पौधे को इंटीग्रेट कर एक ही पौधे से दोनों फसल प्राप्त की जा सकती है. इसके अलावा मल्टी क्रॉपिंग के बारे में जानकारी दी गई. जिसमें ग्राफ्टिंग तकनीक के माध्यम से आलू और टमाटर के पौधे को एक कर नया प्रोडक्ट तैयार किया गया है. जिसके तहत पौधे के नीचे आलू और ऊपर टमाटर लगेंगे. इस विधि से एक ही बार में किसान दो फसलों को प्राप्त कर सकते हैं.
डॉ. हरे कृष्ण के अनुसार, ग्राफ्टिंग तकनीक किसानों के लिए बहुत फायदेमंद होती है. इसकी शुरूआत 2013-14 में हुई थी. इस तकनीक का इस्तेमाल उन इलाकों में ज्यादा फायदा करता है, जहां बरसात के बाद काफी दिनों तक पानी भरा रहता है. फिलहाल शुरुआती तौर पर इस पौधे को शहर में रहने वाले उन लोगों के लिए तैयार किया गया है, जिनके पास जगह कम है और वो बाजार की रसायन वाली सब्जियों से बचना चाहते हैं. बता दें कि भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के वैज्ञानिक मौसम के अनुसार अधिक पैदावार वाली सब्जियों की नई प्रजाति तैयार करते रहे हैं.
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