
वाराणसी में किसानों के लिए कई गेहूं खरीद केंद्र बनाए गए हैं. लेकिन आलम ये है कि जितने खरीद केंद्र हैं, उतने किसान भी नहीं पहुंच रहे. किसान अपनी उपज को प्राइवेट में बेच रहे हैं. वाराणसी में इस बार कृषि विभाग की ओर से कुल 34 क्रय केंद्रों की सूची बनाई गई है. बीते 15 दिनों में इन क्रय केंद्रों पर मात्र 25 किसान ही पहुंच सके हैं. मार्च के महीने में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी. किसानों की कई फसलें बर्बाद हो गईं जिनमें एक गेहूं भी था. जब गेहूं बेचने की बारी आई तो खरीद केंद्रों पर किसान नहीं पहुंच रहे. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि मंडी से अधिक रेट उन्हें प्राइवेट में मिल रहा है.
बताया जा रहा है कि वाराणसी में बारिश और ओलावृष्टि से 50 फीसद गेहूं की फसल बर्बाद हो चुकी है. किसान परेशान हैं. वही बाजार का भाव क्रय केंद्र के भाव से 100 से 200 रुपये ज्यादा है. क्रय केंद्र पर जहां 2125 रुपये की MSP निर्धारित की गई है. वहीं बाजार में गेहूं का भाव 2300 रुपये तक है. इसकी वजह से किसान का रुख क्रय केंद्र की ओर न हो कर बाजार की तरफ है. मंडी में किसान अगर गेहूं बेचते हैं तो शासन द्वारा तीन दिन के अंदर पब्लिक फंड मैनेजमेंट सिस्टम (PFMS) से ऑनलाइन पेमेंट से भुगतान होता है. जबकि प्राइवेट में किसानों को अधिक रेट और समय पर पैसा भी मिल जाता है.
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वाराणसी आसपास के इलाकों में गेहूं उत्पादन में फसल खराब होने की वजह से 50 फीसद की कमी आई है. जिला खाद्य विपणन अधिकारी सुनील भारती ने बताया कि इस बार वाराणसी में बेमौसम बारिश की वजह से धान की फ़सल बर्बाद हो गई है. किसान अभी क्रय केंद्र नहीं जा रहे हैं क्योंकि बाजार का भाव क्रय केंद्र की अपेक्षा 100 रुपये ज्यादा है. भारती ने यह भी बताया कि अप्रैल महीने में किसान खरीद सेंटर पर नहीं जाते क्योंकि फसल में नमी रहती है. इस वजह से उन्हें फसल का सही दाम नहीं मिलने की आशंका रहती है. किसान मई के महीने में ही क्रय केंद्रों में आना शुरू करते हैं. हालांकि प्राइवेट में ऐसी बात नहीं होती. किसान वहां जब चाहे अपनी उपज बेच सकता है. इसी सुविधा को देखते हुए किसान प्राइवेट में गेहूं बेच रहे हैं.
हालांकि यह स्थिति केवल वाराणसी में ही नहीं है. उत्तर प्रदेश की कई मंडियों से ऐसी खबरें आ रही हैं. यूपी के बारे में कहा जा रहा है कि बारिश और ओलावृष्टि से 55 से 60 परसेंट तक गेहूं की फसल बर्बाद हुई है. गेहूं में नमी की मात्रा भी अधिक आ गई है जिसके चलते किसान अपनी उपज को मंडियों में लेकर नहीं आ रहे हैं. इसके बदले वे प्राइवेट में गेहूं बेच रहे हैं.
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किसानों का कहना है कि जब प्राइवेट में उन्हें अधिक दाम मिल रहा है, तो वे मंडियों का भला रुख क्यों करें. जब प्राइवेट में उन्हें मंडी की अपेक्षा अधिक दाम मिल रहे हैं, तो वे मंडियों में क्यों जाएंगे. यूपी के अलावा अन्य राज्यों में भी यह समस्या देखी जा रही है. बाकी राज्यों में गेहूं उठाव में भी देरी चल रही है जिसे लेकर किसान और आढ़ती शिकायत कर चुके हैं. हरियाणा में हाल के दिनों में गेहूं के उठाव में कुछ तेजी देखी जा रही है.(बृजेश कुमार की रिपोर्ट)
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