
उत्तर प्रदेश सरकार किसानों तक सस्ते और अच्छे बीजों की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR), वाराणसी ने एक बड़ी पहल की है. इसी क्रम में आईआईवीआर, वाराणसी में राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (नास) के वाराणसी चैप्टर द्वारा सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण सब्जियों के बीजों की उपलब्धता बढ़ाने एवं उद्यमशीलता के लिए जागरूकता कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया.
इस अवसर पर विभिन्न प्रान्तों के 40 से अधिक कंपनी प्रतिनिधियों, संस्थान के वैज्ञानिकों, शोधार्थियों सहित 100 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि भारत में सब्जी उत्पादन में स्थिरता और उत्पादकता के लिए गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता अत्यंत जरूरी है.
उन्होंने कहा कि पीपीपी मॉडल के माध्यम से संस्थान और निजी कंपनियां मिलकर उच्च उत्पादकता एवं रोग प्रतिरोधी किस्मों पर अनुसंधान के माध्यम से किसानों तक उन्नत बीज पहुंचा रहे हैं, जिससे सब्जी बीजों में आत्मनिर्भरता बढ़ रही है.
संस्थान के निदेशक ने आगे बताया कि सब्जी बीज क्षेत्र में नवीनतम पीपीपी मॉडल के द्वारा गुणवत्ता सुधार एवं किसानों के लिए बेहतर उद्यम अवसरों का सशक्त माध्यम साबित हो रहा है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश में हर साल लगभग 139.43 लाख क्विंटल बीजों की जरूरत होती है. बीज उत्पादन में कमी के कारण प्रमुख फसलों के लिए करीब 50 फीसदी बीज दक्षिण भारत के राज्यों से मंगाना पड़ता हैं. इस आयात पर हर साल करीब 3000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं. सभी फसलों के हाइब्रिड बीज तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से आते है. बता दें किआईआईवीआर ने अब तक 27 सब्जी फसलों में 129 से अधिक उन्नत किस्में विकसित की हैं.
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