जैसे पानी मछली पालन की जान है, ठीक उसी तरह से धूप भी मछली पालन के लिए बहुत जरूरी है. ऐसा भी नहीं है कि किसी एक से काम चल जाए. फिशरीज एक्सपर्ट के मुताबिक मछली पालन में पानी और धूप का बहुत गहरा संबंध है. अगर मछलियों के तालाब में पानी साफ और स्वच्छ नहीं है तो न मछलियों की ग्रोथ तेजी से होगी और न ही वो हेल्दी रहेंगी, बल्कि जल्दी-जल्दी बीमार पड़ेंगी. और इस सब के लिए जरूरी होता है कि तालाब के पानी को प्रदूषण मुक्त रखा जाए. और इसके लिए जरूरी है कि पानी पर सूरज की सीधी धूप पड़े.
क्योंकि तालाब के पानी पर पड़ने वाली सूरज की सीधी धूप एक खास तरह के प्रदूषण को पनपने नहीं देती है और मछलियां हेल्दी रहती हैं. वर्ना पानी में प्रदूषण बढ़ने से ऑक्सीजन की कमी भी होने लगती है. शायद इसीलिए एक्सपर्ट का कहना है कि सबसे बेहतर तालाब में मछली पालन माना गया है. कम खर्च में ज्यादा मछलियां पल जाती हैं. तालाब में मछलियों की देखभाल भी अच्छी तरह से हो जाती है. और अगर देखभाल सही तरीके से की जाए तो मछलियों में बीमारी भी कम होती है.
फिशरीज एक्सपर्ट सुशांत वर्मा का कहना है कि मछली पालन के लिए तैयार किए गए टैंक या तालाब खुले में ऐसी जगह होने चाहिए जहां सूरज की सीधी धूप पड़ती हो. ऐसा होने से पानी में सीप और घोंघे आदि जीव-जन्तु नहीं पनपते हैं. बरसात के दौरान मछलियों को मांसाहारी जीव-जन्तु से बचाने के लिए तालाब में जाल का इस्तेमाल करें. एक्सपर्ट की सलाह पर पानी में दवा का छिड़काव करते रहें.
फिशरीज एक्सपर्ट का कहना है कि गर्मी और सर्दी में तालाब और टैंक के पानी का खासतौर पर ख्याल रखा जाता है. सर्दियों में तालाब और टैंक के पानी को ज्यादा ठंडा न होने दें. सुबह-शाम मोटर चलाकर ताजा पानी मिलाकर तालाब के पानी को सामान्य कर दें. इसी तरह से गर्मियों में ताजा पानी चलाकर उसकी गर्माहाट को कम कर दें. इसके लिए तालाब के पास पानी की बड़ी मोटर का इंतजाम करके रखें.
हवा के जरिए या फिर और दूसरी वजह से तालाब के पानी में प्रदूषण होने लगता है. यही वजह है कि प्रदूषण बढ़ते ही तालाब के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम होना एक सामान्य बात है. पानी में आक्सीजन कम होने से मछली पालक को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है. ऑक्सीजन की कमी के चलते मछलियां मरने लगती हैं. इसलिए समय-समय पर उपकरण की मदद से पानी का ऑक्सीजन और पीएच लेवल जांच लेना चाहिए. अगर ऑक्सीजन की कमी ज्यादा है तो मशीनों की मदद से ऑक्सीजन पानी में छोड़ी जानी चाहिए.
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